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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 अक्तूबर, 2023

  • 06 Oct 2023
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सरकार ने विमानन क्षेत्र से हटाया IBC प्रतिबंध 

हाल ही में कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने विमान और उनके इंजनों से संबंधित सभी लेनदेन और समझौतों को दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC), 2016 की धारा 14 के तहत निषेध से छूट दी है, यह विमान पट्टेदारों (ऐसी कंपनियाँ जो अपने विमानों के बेड़े को एयरलाइंस को पट्टे पर देती हैं) को राहत प्रदान करती है।

  • विमान पट्टेदारों को तब चुनौतियों का सामना करना पड़ा जब राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने उन्हें गो-फर्स्ट (एक भारतीय एयरलाइन) से विमान वापस लेने से रोक दिया, जिसने दिवालियापन के लिये आवेदन किया था।
  • यह छूट केप टाउन कन्वेंशन (CTC) के अनुरूप है, जो एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो पट्टेदारों को विमान वापस लेने के लिये समयबद्ध समाधान प्रदान करती है, इस प्रकार दिवालियापन के मामले सहित उनके जोखिमों को भी कम करती है।
    •  भारत भी CTC का हस्ताक्षरकर्त्ता है।

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अमेज़न रिवर डॉल्फिन:

  • हाल ही में संभवतः गंभीर सूखे और गर्मी के कारण अमेज़न रिवर की सहायक नदी में 100 से अधिक डॉल्फिन मृत पाई गईं।
  • अमेज़न रिवर डॉल्फिन अपने विशिष्ट गुलाबी और भूरे रंग के लिये जानी जाती हैं। धीमा प्रजनन चक्र उनकी आबादी को विशेष रूप से खतरों के प्रति संवेदनशील बनाता है।
  • अमेज़न रिवर डॉल्फिन विशेष रूप से मीठे जल की डॉल्फिन हैं और दक्षिण अमेरिका की नदी प्रणालियों में रहने के लिये अनुकूल हैं।
    • अमेज़न रिवर डॉल्फिन की कई प्रजातियाँ हैं, जिनमें पिंक डॉल्फिन (Inia geoffrensis) और ग्रे डॉल्फिन (Sotalia fluviatilis) शामिल हैं।
  • अमेज़न रिवर डॉल्फिन मुख्य रूप से मछली का भक्षण करती है, अपने शिकार का पता लगाने के लिये इकोलोकेशन (Echolocation) का उपयोग करती हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) लाल सूची संरक्षण स्थिति: लुप्तप्राय

फिश मिंट: अद्भुत स्वास्थ्य लाभ वाली एक जड़ी-बूटी:

फिश मिंट जिसे हाउटुइनिया कॉर्डेटा(Houttuynia cordata ) या गिरगिट पौधे के रूप में भी जाना जाता है, दिखने में मछली जैसा नहीं है, लेकिन इसकी मछली जैसी विशिष्ट गंध और स्वाद से इसके असामान्य नाम की उत्पत्ति का पता चलता है।

  • दक्षिण पूर्व एशिया में मूल रूप से पाई जाने वाली यह जड़ी-बूटी नम मृदा में पनपती है और बाढ़ के प्रति प्रतिरोधी है।
  • भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है और इसका उपयोग सलाद, मछली व्यंजनों एवं पारंपरिक उपचारों में किया जाता है।
    • मेघालय में इसे जा-मर्दोह कहा जाता है। मणिपुर में इसे टोकनिंग-खोक कहा जाता है।
    • इसके अलावा, पारंपरिक चीनी और जापानी चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेद और सिद्ध भी इसके औषधीय गुणों को स्वीकार करते हैं। 
  • हाल के अध्ययनों ने इसकी चिकित्सीय क्षमता को मज़बूत किया है, जिसमें अस्थमा के लक्षणों को कम करने, बुखार से प्रेरित अंग क्षति को दबाने, संक्रामक मौखिक स्थितियों से निपटने आदि की क्षमताएँ शामिल हैं।

चक्रीय प्रवासन (Circular Migration): 

सर्कुलर माइग्रेशन अर्थात् चक्रीय प्रवासन स्थानांतरण का एक आवर्ती पैटर्न है जिसके तहत व्यक्ति रोज़गार के अवसरों की उपलब्धता के आधार पर अपने मूल देश से गंतव्य देश के लिये प्रवास करते हैं।

  • सर्कुलर माइग्रेशन के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिये, कुछ मानदंडों को पूरा किया जाना होता है, जिसमें अस्थायी निवास, गंतव्य देश में एकाधिक प्रविष्टियाँ, स्थानांतरण की स्वतंत्रता, कानूनी अधिकार, प्रवासी अधिकारों की सुरक्षा और अस्थायी श्रम की मांग शामिल है। जब कई देश इसमें शामिल होते हैं तो यह अवधारणा और अधिक जटिल हो जाती है।
  • सर्कुलर माइग्रेशन को प्रवासन के लिये एक संतुलित दृष्टिकोण के रूप में देखा जाता है, जो गंतव्य और मूल देशों दोनों की आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करता है। यह स्थायी जनसांख्यिकीय बदलाव के बिना कौशल, प्रेषण और श्रम के प्रसार में सहायता करता है।
  • यदि सर्कुलर माइग्रेशन अवसर प्रदान करता है तो साथ ही यह चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करता है, जिसमें मूल देशों के लिये प्रतिभा पलायन और गंतव्य देशों में सांस्कृतिक संघर्ष शामिल हैं।

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