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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 जून, 2023

  • 06 Jun 2023
  • 9 min read

पैलियो आहार के स्वास्थ्य संबंधी दावों को खारिज करना 

पैलियो आहार ने हाल ही में अपने स्वास्थ्य दावों और प्रभावकारिता के कारण समाचारों में ध्यान आकर्षित किया है। पैलियो आहार के समर्थकों का दावा है कि हमारे पूर्वजों के खान-पान का अनुसरण करने से लोगों को वज़न कम करने में मदद मिल सकती है, साथ ही लंबी अवधि की बीमारी होने की संभावना कम हो सकती है। हालाँकि आलोचकों का तर्क है कि इन दावों का समर्थन करने वाले वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी है। यह आहार डेयरी, अनाज, फलियाँ तथा प्रसंस्कृत शर्करा को छोड़कर असंसाधित खाद्य पदार्थ जैसे- सब्जियाँ, फल, नट्स तथा लीन मीट के सेवन पर ज़ोर देता है। पैलियो आहार का वर्तमान संस्करण पारंपरिक आहार दिशा-निर्देशों की तुलना में कम कार्बोहाइड्रेट और उच्च प्रोटीन सेवन को दर्शाता है। वज़न घटाने हेतु पैलियो आहार की पारंपरिक अनुशंसित आहार से तुलना करने वाले अध्ययनों में दो वर्षों के बाद प्रभावशीलता में कोई महत्त्वपूर्ण अंतर नहीं पाया गया। टाइप 2 मधुमेह पर आहार के प्रभाव के संबंध में समान अनिर्णायक परिणाम देखे गए। इसके अलावा एक अध्ययन से पता चला है कि पैलियो आहार ने हृदय रोग से जुड़े पेट के जीवाणुओं की अधिकता को जन्म दिया, जो रोग की रोकथाम के दावों का खंडन करता है। पैलियो आहार खाने की योजना है जो उन प्राचीन मनुष्यों के आहार का अनुसरण करने पर ज़ोर देता है जो पुरापाषाण युग में रहते थे। पैलियो आहार इस धारणा पर आधारित है कि हमारे जीन हमारे पूर्वजों के आहार के अनुकूल हैं एवं आधुनिक आहार हमारे जीव विज्ञान से बेमेल हैं। हालाँकि आनुवंशिक शोध इस धारणा का खंडन करते हैं। लैक्टेज़ पर अध्ययन (यह एंजाइम लैक्टेज़ को पचाने में मदद करता है, जो डेयरी उत्पादों में पाया जाता है) शराब के चयापचय में दृढ़ता एवं अनुकूलन से पता चलता है कि पैलियो आहार की तुलना में विकास बहुत कम समय-सीमा के भीतर हो सकता है। 

और पढ़ें…भारत की पोषण समस्या

भारत का पहला अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ पोत एमवी एम्प्रेस

केंद्रीय पोत, नौवहन एवं जलमार्ग और आयुष मंत्री ने चेन्नई से श्रीलंका के लिये भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ पोत, एमवी एम्प्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस महत्त्वपूर्ण आयोजन में चेन्नई स्थित अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ पर्यटन टर्मिनल का उद्घाटन किया गया जो क्रूज़ पर्यटन और समुद्री व्यापार के अवसरों को बढ़ाने हेतु सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एमवी एम्प्रेस तीन श्रीलंकाई बंदरगाहों के लिये रवाना होगा: हनबंटोटा, त्रिंकोमाली और कांकेसंतुरेई। क्रूज़ सेवा वर्ष 2022 में प्रथम अतुल्य भारत अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ सम्मेलन के दौरान चेन्नई पोर्ट और मेसर्स वाटरवेज लीजर टूरिज़्म  प्राइवेट लिमिटेड के बीच हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (MoU) का परिणाम है। सरकार अंडमान, पुद्दुचेरी और लक्षद्वीप में तीन नए अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ टर्मिनल विकसित करने की योजना बना रही है जिनके वर्ष 2024 तक चालू होने की उम्मीद है। सरकार ने क्रूज़ जहाज़ों की संख्या वर्ष 2023 के 208 से बढ़ाकर वर्ष 2030 में 500 और 1100 तक करने की कल्पना की है। वर्ष 2047 तक यात्रियों की संख्या वर्ष 2030 के 9.5 लाख से बढ़कर 45 लाख हो जाएगी।

और पढ़ें… गंगा विलास क्रूज़, भारत में क्रूज़ पर्यटन की संभावना

भारत की IT ग्रोथ: पिलर्स, ऑपर्च्युनिटीज़ और फ्यूचर टेक इकोसिस्टम

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (STPI) ने "भारतीय आईटी उद्योग के विकास के रास्ते और उभरते तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र" पर एक सेमिनार की मेज़बानी करके अपना 32वाँ स्थापना दिवस मनाया। इस कार्यक्रम में भारत के आईटी विकास में योगदान देने वाले छह स्तंभों पर प्रकाश डाला गया। इन स्तंभों में कनेक्टिविटी, कम लागत वाला डेटा, किफायती उपकरण, लोगों के अनुकूल नीतियाँ, भविष्य के लिये तैयार प्रतिभा और साइबर सुरक्षा शामिल हैं। इसके अतिरिक्त "इनोवेशन थ्रू एग्रीटेक: ए स्टडी ऑन एडॉप्शन एंड इम्पैक्ट ऑफ टेक्नोलॉजी ऑन एग्री एंड एग्री-एलाइड सेक्टर्स" शीर्षक वाली एक एग्रीटेक रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट का उद्देश्य भारत में एग्रीटेक की वर्तमान स्थिति, क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों तथा विकास एवं नवाचार के अवसरों के बारे में जानकारी प्रदान करना है। STPI की स्थापना वर्ष 1991 में MeitY के तहत एक स्वायत्त संस्थान  के रूप में की गई थी। STPI का मुख्य उद्देश्य देश से सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देना रहा है। STPI आईटी/आईटीईएस उद्योग को बढ़ावा देने के लिये सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (STP) योजना और इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (EHTP) योजना लागू कर रहा है।

और पढ़ें: भारतीय आईटी उद्योग, एग्रीटेक

न्याय विकास पोर्टल

न्याय विकास पोर्टल ज़िलों और अधीनस्थ न्यायपालिका के लिये बुनियादी सुविधाओं के विकास हेतु केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के न्याय विभाग के कार्यान्वयन का हिस्सा है, जो वर्ष 1993-94 से परिचालन में है। इसे हितधारकों को वित्तपोषण, दस्तावेज़ीकरण, परियोजना निगरानी और अनुमोदन से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी तक निर्बाध पहुँच प्रदान करने के लिये विकसित किया गया है। इस CSS का उद्देश्य न्यायिक अधिकारियों, ज़िला एवं अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिये कोर्ट हॉल व आवासीय इकाइयों के निर्माण में राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन का समर्थन करना है। समय के साथ यह योजना वकीलों और वादियों के लिये सुविधा बढ़ाने के लिये लॉयर हॉल, शौचालय परिसर और डिजिटल कंप्यूटर रूम जैसी अतिरिक्त सुविधाओं को शामिल करने के लिये विकसित की गई है। योजना के तहत वित्तपोषण पैटर्न केंद्र सरकार और राज्य सरकारों (पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को छोड़कर) के बीच 60:40 के अनुपात का पालन करता है। उत्तर पूर्वी और हिमालयी राज्यों के लिये अनुपात 90:10 है, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों को 100% राशि प्राप्त होती है। न्याय विकास पोर्टल इस योजना के कार्यान्वयन की निगरानी, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

और पढ़ें.. न्यायपालिका के लिये आधारभूत संरचना सुविधाओं के विकास के लिये केंद्र प्रायोजित योजना (CSS)

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