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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 05 अक्तूबर, 2023

  • 05 Oct 2023
  • 7 min read

नए अध्ययन में शुक्र ग्रह पर तड़ित के अस्तित्व को चुनौती 

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के पार्कर सोलर प्रोब के डेटा का उपयोग करते हुए एक हालिया अध्ययन ने शुक्र ग्रह पर तड़ित/आकाशीय विद्युत के अस्तित्व को लेकर संदेह जताया है, जो दशकों से वैज्ञानिकों के बीच बहस का विषय रहा है।

  • जियोफिज़िकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि शुक्र के निकट देखी गई "तड़ित" वास्तविक तड़ित नहीं हो सकती है, बल्कि यह शुक्र ग्रह के दुर्बल चुंबकीय क्षेत्रों में किसी प्रकार का व्यवधान हो सकता है।
    • पिछली वैज्ञानिक मान्यता के अनुसार शुक्र ग्रह पर लगातार तड़ित वर्षा होती रहती है, लेकिन समय अद्यतन हुए विभिन्न उपकरणों द्वारा एकत्र किये गए सिग्नल इस अवधारणा को चुनौती दे रहे हैं।
  • एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि तड़ित संबंधी पिछली टिप्पणियों को वायुमंडल में उल्कापिंडों के जलने की घटना के आधार पर गलत समझा जा सकता है।
  • शुक्र अपनी दुर्गम परिस्थितियों के लिये जाना जाता है, जिसपर अत्यधिक तापमान और वायुमंडलीय दाब भी शामिल है जो इसे सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह बनाता है।

और पढ़ें: शुक्र पर सक्रिय ज्वालामुखी, शुक्र के बारे में हालिया खोज 

सैन्य नर्सिंग सेवा (MNS) ने 98वाँ स्थापना दिवस मनाया

  • MNS ने हाल ही में 1 अक्तूबर, 2023 को अपना 98वाँ स्थापना दिवस मनाया। सशस्त्र बलों में सबसे पुरानी और सबसे प्रतिष्ठित महिला सेवाओं में से एक के रूप में, MNS ने भारत में स्वास्थ्य सेवा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • MNS की उत्पत्ति स्वतंत्रता-पूर्व औपनिवेशिक युग के दौरान हुई थी जब ब्रिटिश और भारतीय सैनिक ब्रिटिश सेना में सेवा करते थे। वर्ष 1888 में भारतीय सेना नर्सिंग सेवा (IANS) की औपचारिक रूप से स्थापना की गई, जिससे भारत में सैन्य नर्सिंग की शुरुआत हुई।
  • प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, IANS के अधिकारियों ने घायल सैनिकों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • 1 अक्तूबर, 1926 को भारतीय सेना में स्थायी नर्सिंग सेवा की स्थापना की गई और इसे भारतीय सैन्य नर्सिंग सेवा के रूप में नामित किया गया।
  • स्वतंत्रता के बाद MNS की स्थापना सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (Armed Forces Medical Services- AFMS) के हिस्से के रूप में की गई थी।

राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड

हाल ही में भारत सरकार ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की है। भारत विश्वभर में हल्दी सबसे बड़ा उत्पादक (वैश्विक हल्दी उत्पादन का 75%), उपभोक्ता और निर्यातक है। राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना का उद्देश्य देश के भीतर हल्दी उद्योग के विकास और विस्तार में वृद्धि करना है।

  • बोर्ड में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष, आयुष मंत्रालय, केंद्र सरकार के फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और किसान कल्याण, वाणिज्य एवं उद्योग विभाग, तीन राज्यों के राज्य सरकार के वरिष्ठ प्रतिनिधि, अनुसंधान में शामिल राष्ट्रीय/राज्य संस्थानों, चुनिंदा हल्दी किसानों तथा निर्यातकों के प्रतिनिधि होंगे, बोर्ड के सचिव की नियुक्ति वाणिज्य विभाग द्वारा की जाएगी।
    • बोर्ड से भारत में मसाला बाज़ार को विकसित करने और विस्तारित करने में मदद मिलने की उम्मीद है, हल्दी के विश्व व्यापार में भारत की 62% से अधिक हिस्सेदारी है।
    • हल्दी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं।
  • वर्ष 2030 तक भारत द्वारा हल्दी निर्यात 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है, यह अंततः उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभान्वित करेगा।

और पढ़ें…भारत में मसाला क्षेत्र

नगालैंड की मिलक नदी में मछली की नई प्रजाति की खोज 

हाल ही में शोधकर्ताओं ने नगालैंड की मिलक नदी में एक पूर्व अज्ञात मछली प्रजाति, बादिस लिमाकुमी (Badis limaakumi) की पहचान की है।

  • इस नई प्रजाति का नाम नगालैंड के फज़ल अली कॉलेज में प्राणीशास्त्र के प्रोफेसर लिमाकुम के नाम पर रखा गया है, जो अपनी ऑपेरकुलर स्पाइन के पास स्थित एक अद्वितीय ऑपेरकुलर स्प्लोच तथा इसके शरीर के किनारों और क्लीथ्रम पर धब्बों की अनुपस्थिति, साथ ही कम पार्श्व स्केल्स, इसे अन्य मछलियों से अलग करते है।
  • बादिडे या बादिस प्रजाति से संबंधित, मीठे जल की मछली का एक समूह जो अक्सर धीमी या मध्यम गति से प्रवाहित होने वाली धाराओं में पाया जाता है, यह मछली भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, थाईलैंड और म्याँमार के विभिन्न क्षेत्रों में पाक व्यंजन के रूप में भी उपभोग की जाती है।
  • बादिस प्रजाति की मछली को रंग बदलने की क्षमता के कारण गिरगिट मछली के रूप में भी जाना जाता है। इससे उन्हें खतरे के समय परिवेश के साथ घुलने-मिलने में मदद मिलती है।

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