Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 अक्तूबर, 2022 | 04 Oct 2022
मतदाता जंक्शन
भारत निर्वाचन आयोग ने 3 अक्तूबर, 2022 से आकाशवाणी पर वर्ष भर चलने वाले मतदाता जागरूकता कार्यक्रम मतदाता जंक्शन का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम की 52 कडि़याँ होंगी,जिनमें प्रत्येक की अवधि 15 मिनट की होगी। इसे प्रत्येक शुक्रवार को विविध भारती स्टेशनों, एफएम रेनबो, एफएम गोल्ड और आकाशवाणी के मुख्य चैनलों पर देश भर में 23 भाषाओं में प्रसारित किया जाएगा। यह कार्यक्रम देश भर के मतदाताओं में जागरूकता पैदा करने में मदद करेगा। कार्यक्रम की प्रत्येक कडी चुनाव प्रक्रिया के एक विशेष विषय पर आधारित होगी। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने अभिनेता पंकज त्रिपाठी को निर्वाचन आयोग का राष्ट्रीय आइकन घोषित किया है। वर्तमान में देश में 95 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं। इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। इस साप्ताहिक कार्यक्रम में मतदाताओं के लिये आवश्यक सभी जानकारियाँ दी जाएंगी। कार्यक्रम में शामिल सभी 52 विषयों का उद्देश्य नागरिकों एवं विशेष रूप से युवा व पहली बार मतदाता बने लोगों को मतदान में भाग लेने के लिये प्रोत्साहित करना है। कार्यक्रम की प्रत्येक कड़ी में निर्वाचन आयोग के “व्यवस्थित मतदाता शिक्षा तथा इलेक्टोरल पार्टिसिपेशन” (SVEEP) द्वारा तैयार प्रश्नोत्तरी, विशेषज्ञों का साक्षात्कार और गीतों को शामिल किया जाएगा। कार्यक्रम में कोई भी नागरिक सवाल पूछ सकता है या मतदान के किसी भी पहलू पर सुझाव दे सकता है। कार्यक्रम का पहला एपिसोड 7 अक्तूबर, 2022 को प्रसारित किया जाएगा।
मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार
वैज्ञानिक स्वंते पाबो (Svante Paabo) ने वर्ष 2022 के लिये Medicine के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। उन्होंने वर्तमान इंसानों में लुप्त हो चुके इंसान के पूर्वजों से जीन्स (Genes) के प्रसार को जानने और पहचानने में काफी मदद की है। यह पुरस्कार उनकी खोज "कंसर्निंग द जीनोम ऑफ एक्सटिंक्ट होमिनिंस एंड ह्यूमन इवॉल्यूशन" (concerning the genomes of extinct hominins and human evolution) के लिये दिया गया है। यह पुरस्कार स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल असेंबली द्वारा दिया जाता है। यह पुरस्कार वर्ष 1901 से विज्ञान, लेखन और शांति के क्षेत्र में दिया जाता है। नोबेल प्राइज़ ऑर्गनाइज़ेशन के अनुसार, स्वंते पाबो ने लगभग असंभव काम किया है. उन्होंने लुप्त हो चुकी आज के इंसानों की पूर्वज प्रजाति निएंडरथल (Neanderthal) के जीनोम सीक्वेंसिंग की. इतना ही नहीं, उन्होंने इंसानों के एक ऐसे पूर्वज को खोज निकाला जिससे हम परिचित नहीं थे। इसका नाम है डेनीसोवा (Denisova)। खास तौर से पाबो ने यह भी पाया कि अफ्रीका से 70,000 साल पहले हुए प्रवास के कारण आज के मानव या होमो सेपिएंस (Homo sapiens) में लुप्त हो चुके पूर्वजों से जीन ट्रांसफर हुए, अतः इंसानों में जीन्स के प्रसार की काफी अहमियत है, इससे निर्धारित होता है कि हमारा इम्यून सिस्टम कैसे संक्रमणों पर प्रतिक्रिया देता है।