Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 जनवरी, 2023 | 04 Jan 2023
संविधान उद्यान का उद्घाटन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 3 जनवरी, 2023 को राजभवन, जयपुर में संविधान उद्यान, मयूर स्तंभ, राष्ट्रीय ध्वज पोस्ट का उदघाटन किया तथा महात्मा गांधी और महाराणा प्रताप की प्रतिमा का अनावरण किया। संविधान पार्क में संविधान निर्माण में योगदान देने वाले विभूतियों की प्रतिमाओ को स्थापित किया गया है। आमजन में संविधान के प्रति जागरूकता लाने हेतु राजस्थान इस तरह का निर्णय लेने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इस अवसर पर उन्होंने वर्चुअल रूप से राजस्थान में सौर ऊर्जा क्षेत्रों के लिये ट्रांसमिशन प्रणाली का उद्घाटन किया और SJVN लिमिटेड की 1000 मेगावाट की बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना की आधारशिला रखी।
विश्व ब्रेल दिवस
संपूर्ण विश्व में प्रत्येक वर्ष 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है। यह दिन ब्रेल लिपि का आविष्कार करने वाले फ्रांँसीसी शिक्षक लुई ब्रेल की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसके लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 नवंबर, 2018 को प्रस्ताव पारित किया था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व भर में लगभग 39 मिलियन लोग देख नहीं सकते, जबकि 253 मिलियन लोगों में कोई-न-कोई दृष्टि विकार है। विश्व ब्रेल दिवस का उद्देश्य दृष्टि-बाधित लोगों को उनके अधिकार प्रदान करना तथा ब्रेल लिपि को बढ़ावा देना है। लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी, 1809 को फ्राँस के कूपवरे में हुआ था। वर्ष 1824 तक लुइस ब्रेल ने इस लिपि को लगभग तैयार कर लिया था, उस समय वे 15 वर्ष के थे। लुइस ब्रेल की लिपि काफी सरल थी। ब्रेल लिपि उन लोगों के लिये वरदान बन गई जो आँखों से देख नहीं सकते। ब्रेल लिपि नेत्रहीनों के पढ़ने और लिखने का एक स्पर्शनीय कोड है। इसमें विशेष प्रकार के उभरे कागज़ का इस्तेमाल होता है, जिस पर उभरे हुए बिंदुओं को छूकर पढ़ा जा सकता है। टाइपराइटर की तरह ही एक मशीन 'ब्रेलराइटर' के माध्यम से ब्रेल लिपि को लिखा जा सकता है। इसके अलावा इसे स्टायलस और ब्रेल स्लेट के ज़रिये भी लिख सकते हैं। ब्रेल में उभरे हुए बिंदुओं को 'सेल' कहा जाता है।
PNG नेटवर्क में पहली हरित हाइड्रोजन मिश्रण परियोजना
सूरत के आदित्यनगर में कवास टाउनशिप के घरों में H2-NG (प्राकृतिक गैस) की सप्लाई करने की व्यवस्था की गई है। यह परियोजना एनटीपीसी तथा गुजरात गैस लिमिटेड (GGL) का संयुक्त प्रयास है। कवास में ग्रीन हाइड्रोजन पहले से स्थापित एक मेगावाट फ्लोटिंग सौर परियोजना से बिजली का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा बनाया गया है। नियामक निकाय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (PNGRB) ने पीएनजी के साथ ग्रीन हाइड्रोजन के 5 प्रतिशत वॉल्यूम मिश्रण के लिये मंज़ूरी दे दी है और मिश्रण स्तर को चरणबद्ध तरीके से 20 प्रतिशत तक पहुँचाया जाएगा। प्राकृतिक गैस के साथ मिलाए जाने पर ग्रीन हाइड्रोजन शुद्ध हीटिंग सामग्री को समान रखते हुए कार्बन उत्सर्जन को कम करता है। यह उपलब्धि केवल ब्रिटेन, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देशों द्वारा प्राप्त की गई है। यह भारत को वैश्विक हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के केंद्र में लाएगा। इसके परिणामस्वरूप भारत न केवल अपने हाइड्रोकार्बन आयात बिल को कम करेगा बल्कि विश्व में हरित हाइड्रोजन और हरित रसायन निर्यातक बनकर विदेशी मुद्रा अर्जित करेगा।
वन्यजीव संरक्षण बाॅण्ड
विश्व बैंक (अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक/International Bank for Reconstruction and Development- IBRD) ने ब्लैक राइनो की लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण हेतु दक्षिण अफ्रीका के प्रयासों का समर्थन करने के लिये वन्यजीव संरक्षण बाॅण्ड (Wildlife Conservation Bond- WCB) जारी किया है। WCB को “राइनो बाॅण्ड” के रूप में भी जाना जाता है। यह पाँच वर्ष का 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सतत् विकास बाॅण्ड है। इस बाॅण्ड के तहत पाँच वर्ष बाद ब्लैक राइनो की आबादी बढ़ने पर निवेशकों को 3.7 से 9.2% तक का रिटर्न प्रदान किया जाएगा, हालाँकि आबादी न बढ़ने की स्थिति में भुगतान राशि शून्य हो जाएगी। इसमें वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility- GEF) से संभावित प्रदर्शन भुगतान शामिल है। यह बाॅण्ड दक्षिण अफ्रीका में दो संरक्षित क्षेत्रों में ब्लैक राइनो की आबादी को बचाने और बढ़ाने में योगदान देगा, ये दो संरक्षित क्षेत्र- एडो एलीफेंट नेशनल पार्क (AENP) और ग्रेट फिश रिवर नेचर रिज़र्व (GFRNR) है। ब्लैक राइनो केन्या, तंजानिया, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका एवं जिम्बाब्वे सहित पूरे दक्षिणी तथा पूर्वी अफ्रीका में पाए जाते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम डायसेरोस बिकोर्निस है। ब्लैक राइनो ब्राउज़र होते हैं जिसका अर्थ है कि वे भोजन के रूप में टहनियों, शाखाओं, पत्तियों और झाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। ब्लैक राइनो IUCN की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के तौर पर सूचीबद्ध है।
सावित्रीबाई फुले की जयंती
हाल ही में भारत के प्रधान मंत्री ने सावित्रीबाई फुले (1831-97) की 191वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। महिला शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाली सावित्रीबाई फुले 19वीं सदी की समाज सुधारक थीं।
अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ, उन्होंने पूना (1848) में बालिकाओं, शूद्रों और अति-शूद्रों के लिये एक विद्यालय की स्थापना की और अपने घर में बालहत्या प्रतिबन्धक गृह - शिशुहत्या की रोकथाम हेतु गृह की शुरुआत की। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिये वर्ष 1852 में महिला सेवा मंडल की भी स्थापना की।
उन्होंने वर्ष 1854 में काव्या फुले और वर्ष 1892 में बावन काशी सुबोध रत्नाकर का प्रकाशन किया। वर्ष 1873 में, फुले ने सामाजिक समता के लिये सत्यशोधक समाज की स्थापना की। फुले परिवार के सदस्यों का भारत के सामाजिक और शैक्षिक इतिहास में एक असाधारण योगदान रहा।
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रानी वेलु नचियार
भारत के प्रधानमंत्री ने रानी वेलु नचियार (3 जनवरी 1730 - 25 दिसंबर 1796) को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। वह वर्ष 1780 के दशक में भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता (और आर्कोट के नवाब के बेटे) के खिलाफ लड़ने वाली पहली रानी थीं। रानी वेलु नचियार, जिसे तमिल लोग वीरमंगई के नाम से जानते हैं, रामनाथपुरम (तमिलनाडु) के रामनाद साम्राज्य की राजकुमारी थीं। फ्रेंच, अंग्रेज़ी और उर्दू जैसी भाषाओं में दक्षता के साथ-साथ उन्हें वल्लारी, सिलंबम, घुड़सवारी और तीरंदाज़ी जैसी मार्शल आर्ट में प्रशिक्षित किया गया था। वह पति मुथुवदुगनाथपेरिया उदययथेवर की मृत्यु के बाद वर्ष 1780 में शिवगंगई (तमिलनाडु) की रानी के रूप में उत्तराधिकारी बनी।
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एशिया प्रशांत पोस्टल यूनियन
भारत एशिया प्रशांत पोस्टल यूनियन (APPU) का नेतृत्त्व संभालने के लिये पूरी तरह तैयार है। विनय प्रकाश सिंह को 4 वर्ष के कार्यकाल (जनवरी 2023 से) के लिये APPU के महासचिव के रूप में चुना गया है। यह पहली बार है जब कोई भारतीय पोस्टल क्षेत्र में किसी अंतरराष्ट्रीय संगठन का नेतृत्त्व कर रहा है।
APPU जिसका मुख्यालय बैंकॉक (थाईलैंड) में है, एशियाई-प्रशांत क्षेत्र के 32 सदस्य देशों का एक अंतर-सरकारी संगठन है। यह इस क्षेत्र में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) (संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी) का एकमात्र प्रतिबंधित संघ है। APPU का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच पोस्टल संबंधों का विस्तार, सुविधा और सुधार करना तथा पोस्टल सेवाओं के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है।
एशिया प्रशांत क्षेत्र वैश्विक मेल की कुल मात्रा का लगभग आधा उत्पन्न करता है और वैश्विक पोस्टल मानव संसाधन का लगभग एक तिहाई हिस्सा है।
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