प्रारंभिक परीक्षा
खदानों से हम्पी को खतरा
- 05 Aug 2024
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स्रोत: द हिंदू
हाल ही में कर्नाटक के विजयनगर ज़िले में स्थित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हम्पी के आस-पास के क्षेत्र में पत्थर उत्खनन गतिविधियाँ शुरू हो गई हैं।
- पर्यावरणविदों और पर्यटकों ने इन गतिविधियों के कारण इस स्थल की ऐतिहासिक तथा पारिस्थितिक अखंडता पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में चिंता जताई है।
विजयनगर साम्राज्य और हम्पी के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- विजयनगर साम्राज्य:
- विजयनगर साम्राज्य या "विजय का शहर" की स्थापना वर्ष 1336 में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी, जो पहले मुहम्मद-बिन-तुगलक की सेना में सेवा कर चुके थे।
- वे दिल्ली सल्तनत से अलग हो गये और कर्नाटक में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की, जिसका राजधानी शहर विजयनगर तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित था।
- उनके राज्य की स्थापना में समकालीन विद्वान और संत विद्यारण्य (Saint Vidyaranya) की सहायता और प्रेरणा मिली थी।
- विजयनगर साम्राज्य पर संगम, सलुवा, तुलुवा और अराविदु नामक चार महत्त्वपूर्ण राजवंशों का शासन था।
- तुलुव वंश के कृष्णदेवराय (1509-29) विजयनगर के सबसे प्रसिद्ध शासक थे।
- उन्होंने तेलुगु में राजव्यवस्था पर एक ग्रंथ की रचना की जिसे अमुक्तमाल्यदा (Amuktamalyada) के नाम से जाना जाता है।
- हम्पी:
- यह कर्नाटक के बेल्लारी ज़िले में स्थित है, जिसमें विजयनगर साम्राज्य की राजधानी (14वीं-16वीं शताब्दी ई.) के अवशेष शामिल हैं।
- हम्पी के मंदिरों की एक अनूठी विशेषता यह है कि यहाँ की चौड़ी रथ सड़कें स्तंभयुक्त मंडपों की पंक्ति से घिरी हुई हैं।
- इसके प्रसिद्ध स्थलों में कृष्ण मंदिर परिसर, नरसिंह, गणेश, हेमकूट मंदिर समूह, अच्युतराय मंदिर परिसर, विठ्ठल मंदिर परिसर, पट्टाभिराम मंदिर परिसर, लोटस महल परिसर आदि शामिल हैं।
- हम्पी को वर्ष 1986 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
- वर्ष 1565 में दक्कन सल्तनतों के गठबंधन द्वारा विजयनगर साम्राज्य को पराजित कर दिया गया (तालिकोटा का युद्ध), जिसके बाद हम्पी खंडहर बन गया।
विट्ठल मंदिर:
- इसका निर्माण 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के शासकों में से एक देवराय द्वितीय के शासनकाल में हुआ था।
- यह विट्ठल (भगवान विष्णु) को समर्पित है और इसे विजय विट्ठल मंदिर भी कहा जाता है।
- इसमें पत्थर के रथ और संगीतमय स्तंभ जैसे उल्लेखनीय आकर्षण हैं, जिसमें पत्थर के रथ को 50 रुपए के नोट पर दर्शाया गया है।
हम्पी रथ:
- यह भारत के तीन प्रसिद्ध पत्थर के रथों में से एक है, अन्य दो कोणार्क (ओडिशा) और महाबलीपुरम (तमिलनाडु) में हैं।
- इसे 16वीं शताब्दी में विजयनगर के शासक राजा कृष्णदेवराय के आदेश पर बनाया गया था।
- यह भगवान विष्णु के आधिकारिक वाहन गरुड़ को समर्पित एक मंदिर है।
विरुपाक्ष मंदिर:
- यह कर्नाटक के मध्य हम्पी में 7वीं शताब्दी का शिव मंदिर है।
- भगवान विरुपाक्ष जिन्हें पंपापति भी कहा जाता है, विरुपाक्ष मंदिर के मुख्य देवता हैं।
- इसे विजयनगर शैली की वास्तुकला में बनाया गया था और विजयनगर साम्राज्य के शासक देव राय द्वितीय के अधीन नायक लखन दंडेश ने इसका निर्माण कराया था।
विजयनगर मंदिर वास्तुकला शैली:
- विविध संरचनाएँ: इसमें मंदिर, अखंड मूर्तियाँ, महल, आधिकारिक इमारतें, शहर, सिंचाई प्रणालियाँ, बावड़ियाँ और तालाब शामिल थे।
- शैलियों का मिश्रण: वास्तुकला में हिंदू और इस्लामी तत्त्वों का अनूठा मिश्रण था।
- मंदिरों की विशेषताएँ थीं:
- मंदिरों की दीवारें नक्काशी और ज्यामितीय पैटर्न से अत्यधिक सुसज्जित थीं।
- अब चारों तरफ गौपुरम बनाए गए।
- अखंड चट्टान के स्तंभ
- सामान्यतः मंदिर के स्तंभों पर एक पौराणिक प्राणी याली (घोड़ा) उकेरा जाता है
- प्रत्येक मंदिर में एक से अधिक मंडप बनाए गए थे। केंद्रीय मंडप को कल्याण मंडप के रूप में जाना जाने लगा।
- मंदिर परिसर के अंदर धर्मनिरपेक्ष इमारतों की अवधारणा भी इसी अवधि के दौरान शुरू की गई थी।
- उल्लेखनीय संरचनाओं में महानवमी टिब्बा, कल्याण मंडप और हज़ारा राम मंदिर शामिल हैं। सजावटी तत्त्वों में अक्सर घोड़े और राया गोपुरम (भव्य प्रवेश द्वार टॉवर) होते थे।
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