क्वांटम ग्रेविटी ग्रैडियोमीटर | 23 Apr 2025
स्रोत: द हिंदू
राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने पृथ्वी पर सूक्ष्म गुरुत्वीय परिवर्तनों का पता लगाने के लिये निम्न-भू कक्षा में एक उपग्रह पर क्वांटम ग्रेविटी ग्रेडियोमीटर (QGG) परिनियोजित किये जाने का प्रस्ताव दिया है।
- इससे ग्रह के भूमिगत द्रव्यमान वितरण की सटीक निगरानी संभव होगी, जलवायु अध्ययन में सहायता मिलेगी तथा राष्ट्रीय सुरक्षा में वृद्धि होगी।
ग्रेविटी ग्रैडियोमीटर क्या है?
- गुरुत्वाकर्षण: यह दो द्रव्यमान वाली वस्तुओं के बीच आकर्षण का एक प्राकृतिक बल है। इससे दो वस्तुओं का एक-दूसरे की ओर कर्षण होता है और ग्रहों का कक्षा में होने, वस्तुओं का ज़मीन पर गिरने और भौतिक पिंडों का भारित होने में इसकी भूमिका है।
- गुरुत्वाकर्षण किसी वस्तु के द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होता है और पृथ्वी के द्रव्यमान वितरण के आधार पर भिन्न होता है। ये भिन्नताएँ इतनी सूक्ष्म होती हैं कि संवेदनशील उपकरणों के बिना उनका पता नहीं लगाया जा सकता।
- गुरुत्वाकर्षण दो वस्तुओं के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है (जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, गुरुत्वाकर्षण बल कमज़ोर होता जाता है)।
- ग्रेविटी ग्रेडियोमीटर: यह एक अत्यधिक संवेदनशील वैज्ञानिक उपकरण है जिसका उपयोग किसी विशिष्ट दूरी पर गुरुत्वाकर्षण त्वरण में परिवर्तन को मापने के लिये किया जाता है।
- न्यूटन के दूसरे नियम (F = ma) के आधार पर, ग्रेविटी ग्रैडियोमीटर स्थानिक द्रव्यमान वितरण (Local Mass Distribution) में परिवर्तन के कारण गुरुत्वाकर्षण बल और त्वरण में भिन्नता का पता लगाता है।
- तीव्र गिरावट का अर्थ है नीचे अधिक द्रव्यमान (जैसे, पर्वत), जबकि धीमी गिरावट का अर्थ है नीचे कम द्रव्यमान (जैसे, एयर पॉकेट या ऑयल रिज़र्व)।
नोट: न्यूटन का दूसरा नियम कहता है कि किसी पिंड पर कार्य करने वाला बल उसके द्रव्यमान तथा त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है (F = ma)।
क्वांटम ग्रेविटी ग्रैडियोमीटर (QGG) क्या है?
- परिचय: QGG अंतरिक्ष में विभिन्न बिंदुओं पर गुरुत्वाकर्षण त्वरण में अंतर को मापता है। यह पता लगाता है कि पृथ्वी या अन्य खगोलीय पिंडों पर द्रव्यमान वितरण में भिन्नता के कारण गुरुत्वाकर्षण कैसे परिवर्तित होता है।
- कार्य: QGG परमाणुओं को लगभग परम शून्य ताप (0 केल्विन, या -273.15 °C) तक ठंडा कर देता है, जिससे वे तरंगों की तरह व्यवहार करने लगते हैं। लेजर इन परमाणुओं में परिवर्तन करते हैं, और उनका चरण परिवर्तित गुरुत्वाकर्षण बलों के प्रति संवेदनशील हो जाता है।
- इससे 10⁻¹⁵ m/s² जैसे छोटे गुरुत्वाकर्षण अंतर को मापे जाने से गुरुत्वाकर्षण में सूक्ष्म परिवर्तनों का पता लगाना संभव हो जाता है।
- संभावित अनुप्रयोग: QGG द्वारा हिमालय जैसे बड़े भू-स्थलों के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव का पता लगाया जा सकता है क्योंकि इसके द्रव्यमान से एक मज़बूत गुरुत्वाकर्षण बल का विकास होता है। इससे इनके द्रव्यमान के संदर्भ में सटीक डेटा प्रदान करने के लिये इन भिन्नताओं को मापा जाता है।
- इसके द्वारा जल, बर्फ और भूमि द्रव्यमान में होने वाले बदलावों पर निगरानी राखी जा सकती है जो जलवायु परिवर्तन एवं हिमनदों के पिघलने के अध्ययन के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- इसके अतिरिक्त QGG द्वारा भूमिगत हाइड्रोकार्बन, खनिजों और जलभृतों की पहचान करने में मदद करने के साथ संसाधन अन्वेषण में सहायता की जा सकती है।
- इससे रणनीतिक बुनियादी ढाँचे और भू-वैज्ञानिक खतरों की निगरानी भी की जा सकती है जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
- QGG का उपयोग पुरातत्व और विरासत संरक्षण के क्षेत्र में प्राचीन संरचनाओं का पता लगाने के लिये किया जा सकता है।
- यह क्वांटम सेंसर, उपग्रह तकनीक एवं भू-भौतिकी में प्रगति को बढ़ावा देने पर भी केंद्रित है।
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित परिघटनाओं पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से एल्बर्ट आइंस्टीन के आपेक्षिकता के सामान्य सिद्धांत का/के भविष्य कथन कौन सा/से है/हैं, जिसकी/जिनकी प्रायः समाचार माध्यमों में विवेचना होती है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |