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पुराना किला का उत्खनन

  • 02 Jun 2023
  • 4 min read

दिल्ली स्थित पुराना किला में हाल ही में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई उत्खनन कार्यवाही से 2,500 वर्षों से अधिक पुराने इतिहास का पता चला है। इस उत्खनन का उद्देश्य स्थल के पूर्ण कालक्रम को स्थापित करना है। 

  • यहाँ विभिन्न ऐतिहासिक काल की कलाकृतियों की खोज की गई है जिसमें पूर्व-मौर्य, मौर्य, सुंग, कुषाण, गुप्त, राजपूत, सल्तनत और मुगल सहित 9 सांस्कृतिक स्तरों का पता चला है।
  • इस योजना का लक्ष्य कलाकृतियों को किले में एक ओपन एयर साइट संग्रहालय में प्रदर्शित करना है। 

उत्खनन के निष्कर्ष: 

  • चित्रित धूसर बर्तनों के टुकड़े: 
    • इन मृदभांडों (मिट्टी के बर्तनों) के टुकड़े आमतौर पर 1200 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व की अवधि के हैं, जो पूर्व मौर्य युग में मानव बस्तियों के अस्तित्व का संकेत देते हैं।
  • वैकुंठ विष्णु मूर्तिकला:
    • खुदाई के दौरान राजपूत काल से संबंधित वैकुंठ विष्णु की 900 वर्ष पुरानी एक मूर्ति की खोज की गई।
  • टेराकोटा पट्टिका:
    • इस स्थल पर देवी गजलक्ष्मी की एक टेराकोटा पट्टिका मिली है, जो गुप्त काल की है।
  • टेराकोटा रिंग वेल:
    • मौर्य काल के 2,500 वर्ष पुराने कुएँ के अवशेषों का पता चला था।
  • शुंग-कुषाण काल का परिसर:
    • खुदाई में सुंग-कुशान काल के एक अच्छी तरह से परिभाषित फोर-रूम परिसर का पता चला, जो लगभग 2,300 वर्ष पुराना है।
  • सिक्के, मुहरें और ताँबे की कलाकृतियाँ:  
    • साइट पर 136 से अधिक सिक्के, 35 मुहरें और सीलिंग तथा अन्य ताँबे की कलाकृतियों की खोज की गई। ये निष्कर्ष व्यापार गतिविधियों के केंद्र के रूप में साइट के महत्त्व को इंगित करते हैं।

पुराना किला:

  • पुराना किला मुगल युग से संबंधित सबसे पुराने किलों में से एक है और इस स्थल की पहचान इंद्रप्रस्थ (पांडवों की राजधानी) की प्राचीन बस्ती के रूप में की जाती है।
  • पुराना किला के विशाल प्रवेश द्वार और दीवारों का निर्माण हुमायूँ ने 16वीं शताब्दी में किया था तथा नई राजधानी दीनपनाह की नींव रखी गई थी।
  • इस काम को शेरशाह सूरी ने आगे बढ़ाया, जिसने हुमायूँ को विस्थापित किया।
  • किले के अंदर के प्रमुख आकर्षण शेरशाह सूरी की किला-ए-कुहना मस्जिद, शेर मंडल (एक मीनार जो पारंपरिक रूप से हुमायूँ की मृत्यु से संबंधित है), एक बावड़ी और व्यापक प्राचीर के अवशेष हैं इसमें तीन द्वार हैं। 
  • इंडो-इस्लामिक वास्तुकला की अनूठी विशेषताएँ जैसे- घोड़े की नाल के आकार के मेहराब, ब्रैकेटेड ओपनिंग्स, संगमरमर की जड़ाई, नक्काशी आदि संरचना में प्रमुख हैं।
    • मस्जिद में एक शिलालेख है, जिसमें कहा गया है 'जब तक इस धरती पर लोग हैं तब तक इस भवन में बार-बार आना चाहिये और लोग इसमें खुश रहेंगे’।

स्रोत: द हिंदू

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