प्रस्तावित टाइगर रिज़र्व को लेकर इदु मिश्मियों का विरोध | 11 Apr 2023
हाल ही में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने यह घोषणा की कि अरुणाचल प्रदेश में दिबांग वन्यजीव अभयारण्य को जल्द ही बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया जाएगा।
- इस कदम से इदु मिश्मी नामक जनजाति में अशांति उत्पन्न हो गई है, क्योंकि उनका मानना है कि एक टाइगर रिज़र्व वन "उनकी पहुँच में बाधा" बनेगा।
इदु मिश्मी
- इदु मिश्मी अरुणाचल प्रदेश और पड़ोसी देश तिब्बत में स्थित मिश्मी समूह की एक उप-जनजाति है, जो मुख्य रूप से तिब्बत की सीमा से लगी मिश्मी पहाड़ियों में निवास करती है।
- उनके पैतृक घर दिबांग घाटी और निचली दिबांग घाटी के साथ-साथ ऊपरी सियांग तथा लोहित के कुछ हिस्सों में फैले हुए हैं।
- वे अपने बुनाई और शिल्प कौशल के लिये जाने जाते हैं, जिनकी अनुमानित संख्या लगभग 12,000 (वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार) है।
- उनकी भाषा, जिसे इदु मिश्मी कहा जाता है, यूनेस्को द्वारा लुप्तप्राय मानी जाती है।
- यह जनजाति, क्षेत्र की समृद्ध वनस्पतियों और जीवों की अच्छी समझ रखती है। उनकी जीववादी परंपरा ने अद्वितीय वन्यजीव संरक्षण प्रथाओं को जन्म दिया है।
- इस जनजाति के लिये बाघ विशेष महत्त्व रखते हैं। उनकी पौराणिक कथाओं के अनुसार, बाघ उनके बड़े भाई हैं।
दिबांग वन्यजीव अभयारण्य:
- अवस्थिति: दिबांग वन्यजीव अभयारण्य भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थित है।
- इस अभयारण्य का नाम इससे होकर बहने वाली दिबांग नदी के नाम पर रखा गया है।
- जैव विविधता हॉटस्पॉट:
- यह एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है और यह पूर्वी हिमालय के स्थानिक पक्षी क्षेत्र का हिस्सा है।
- वनस्पति:
- इस अभयारण्य में विविध प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती है जिनमें उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन, उपोष्णकटिबंधीय चौड़ी पत्ती वाले वन, अल्पाइन घास के मैदान और शंकुधारी वन शामिल हैं।
- यहाँ पाए जाने वाले कुछ महत्त्वपूर्ण वृक्ष प्रजातियों में ओक, रोडोडेंड्रोन, बाँस और देवदार शामिल हैं।
- जीव:
- इस अभयारण्य में पशुओं की कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें मिश्मी ताकिन, कस्तूरी मृग, गोरल, क्लाउडेड लेपर्ड, हिम तेंदुआ और बाघ शामिल हैं।
- यहाँ कई पक्षी प्रजातियाँ भी पाई जाती है, जैसे कि सतीर ट्रैगोपैन, बेलीथ ट्रैगोपैन और टेम्मिंक ट्रैगोपैन।
- निवासी:
- इस अभयारण्य में कई स्वदेशी समुदाय पाए जाते हैं, जैसे कि इदु मिश्मी।
- संरक्षण के प्रयास:
- दिबांग वन्यजीव अभयारण्य को इसकी समृद्ध जैव विविधता की रक्षा के लिये वर्ष 1998 में अधिसूचित किया गया था।
- बीते कई वर्षों से इसके संरक्षण प्रयास किये गए हैं, जिनमें बाघों के निवास स्थान का मानचित्रण करना और इस क्षेत्र में बाघों की गणना कार्य शामिल है।
- इस अभयारण्य को टाइगर रिज़र्व घोषित करने का प्रस्ताव इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है।
- खतरे:
- दिबांग वन्यजीव अभयारण्य कई खतरों का सामना कर रहा है, जिसमें निवास स्थान की क्षति, अवैध शिकार एवं मानव-वन्यजीव संघर्ष शामिल हैं।
- प्रस्तावित टाइगर रिज़र्व से अभयारण्य के वन्यजीवों तथा उनके आवास को बेहतर सुरक्षा मिलने की उम्मीद है।
अरुणाचल प्रदेश में अन्य संरक्षित क्षेत्र:
- पक्के वन्यजीव अभयारण्य।
- नामदफा राष्ट्रीय उद्यान।
- मौलिंग राष्ट्रीय उद्यान।
- कमलांग वन्यजीव अभयारण्य।
- ईटानगर वन्यजीव अभयारण्य।
- ईगल नेस्ट वन्यजीव अभयारण्य।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
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