प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस | 23 Jul 2024

स्रोत : द हिंदू 

केरल ने इस दुर्लभ लेकिन घातक संक्रमण के हाल के मामलों के बाद प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस ((Primary Amoebic Meningoencephaliti - PAM) के निदान, प्रबंधन और रोकथाम के लिये तकनीकी दिशा-निर्देश जारी किये हैं। 

  • केरल स्वास्थ्य विभाग ने मैनिंजाइटिस मामलों से निपटने के लिये SOP जारी किये हैं, जो इस दुर्लभ संक्रमण के लिये भारत में संभवतः दिशा-निर्देशों का पहला सेट है। अधिकांश मामलों में अमीबिक परजीवी नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria Fowleri) की पहचान की गई, जिसमें से एक मामले में वर्मअमीबा वर्मीफॉर्मिस (Vermamoeba Vermiformis) की भी पहचान की गई। 
  • रोग की विशेषताएँ: PAM  नेगलेरिया फाउलेरी के कारण होता है, जो गर्म, स्थिर मीठे जल में स्वतंत्र रूप से मिलने वाला अमीबा है और इसकी मृत्यु दर बहुत अधिक (>97%) है। 
    • इसे "ब्रेन ईटिंग अमीबा" के रूप में जाना जाता है, यह नाक के मार्ग से मस्तिष्क को संक्रमित करता है, जिससे मस्तिष्क के ऊतकों को गंभीर नुकसान होता है। विशेष रूप से बच्चे इसके प्रति संवेदनशील होते हैं, हाँलाकि PAM एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में या दूषित जल पीने से नहीं फैलता है।
  • लक्षण और निदान: इसके लक्षणों में सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी शामिल हैं। PAM का निदान चुनौतीपूर्ण है और अक्सर इसे बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस समझ लिया जाता है।
    • बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस का आशय मेनिन्जेस (जो मस्तिष्क और मेरुदंड का सुरक्षात्मक आवरण है) में होने वाला संक्रमण है, जिसके परिणामस्वरूप इसमें सूजन आ जाती है। यह एक गंभीर और जानलेवा स्थिति है।
  • उपचार: प्रारंभिक निदान और एंटीमाइक्रोबियल की समय पर शुरुआत महत्त्वपूर्ण है। इसकी इष्टतम उपचार व्यवस्था अभी भी अनिश्चित है।
  • रोकथाम के उपाय: स्थिर मीठे जल के संपर्क में आने से बचने एवं नोज़ प्लग का उपयोग करने के साथ PAM को रोकने के लिये स्विमिंग पूल का उचित क्लोरीनीकरण एव रखरखाव सुनिश्चित करना चाहिये।
  • वर्मअमीबा वर्मीफॉर्मिस एक मुक्त-अवस्था में मिलने वाला अमीबा है जो मीठे जल के स्रोतों सहित प्राकृतिक एवं मानव निर्मित वातावरण में पाया जाता है।

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