प्रीलिम्स फैक्ट्स: 31 जनवरी, 2019 | 31 Jan 2019
गगनयान के लिये मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र स्थापित
हाल ही में इसरो (Indian Space Research Organisation-ISRO) द्वारा अपने पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिये मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (Human Space Flight Centre-HSFC) का अनावरण किया गया।
- मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) गगनयान परियोजना के क्रियान्वयन से संबद्ध है, इसकी गतिविधियों में अंतरिक्ष में चालक दल के लिये इंजीनियरिंग सिस्टम का विकास, चालक दल का चयन और प्रशिक्षण और कार्यक्रम की निगरानी शामिल है।
- 2019 में इसरो के लिये गगनयान ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ है, इस योजना के अंतर्गत पहला मानव रहित मिशन दिसंबर 2020 में तथा दूसरा जुलाई 2021 तक भेजने की संभावना है।
- इसरो के इस अभियान में एक महिला अंतरिक्ष यात्री के शामिल होने की संभावना है।
अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (AARDO) का आह्वान
हाल ही में मत्स्य पालन और जलीय कृषि पर केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (Central Marine Fisheries Research Institute-CMFRI) में 15 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
- इस कार्यशाला में AARDO के 12 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
- अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान संयुक्त एशियाई प्रबंधन योजनाओं को विकसित करने के लिये अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन के सदस्य देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग का आह्वान किया गया।
- ओमान, लेबनान, ताइवान, मोरक्को, सीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, ज़ाम्बिया, मलावी, मॉरीशस, श्रीलंका और बांग्लादेश के प्रतिनिधियों ने बेहतर मत्स्य प्रबंधन पहल शुरू करने के लिये आपसी सहयोग की मांग की।
अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (AARDO)
- इसका गठन 1962 में किया गया जिसमें अफ्रीका और एशिया के देशों की सरकारें शामिल हैं।
- AARDO एक स्वायत्त अंतर-सरकारी संगठन है जिसका उद्देश्य एशिया और अफ्रीका देशों के बीच कृषि और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में सहयोग कर उस पर कार्य करना है।
केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI)
- इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा 3 फरवरी, 1947 को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत की गई थी।
- 1967 में इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research-ICAR) में शामिल कर दिया गया। अब यह संस्थान दुनिया के उष्णकटिबंधीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान के रूप में उभर कर सामने आया है।
साहित्य अकादमी पुरस्कार 2018
5 दिसंबर, 2018 को साहित्य अकादमी पुरस्कार 2018 के विजेताओं के नामों की घोषणा की गई थी जिसका वितरण 29 जनवरी, 2019 को किया गया।
- इसके अंतर्गत हिन्दी में चित्रा मुद्गल, अंग्रेज़ी में अनीस सलीम, उर्दू में रहमान अब्बास, संस्कृत में रमाकांत शुक्ल और पंजाबी में मोहनजीत सहित कुल 24 भारतीय भाषाओं के लेखकों को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया है।
- इन पुरस्कारों की अनुशंसा अकादमी के अध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर कंबार की अध्यक्षता में आयोजित कार्यकारी मंडल की बैठक में 24 भाषाओं की निर्णायक समिति द्वारा की गई थी।
- इस बार सात कविता-संग्रहों, छह उपन्यासों, छह कहानी संग्रहों, तीन आलोचनाओं और दो निबंध संग्रहों को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया है।
साहित्य अकादमी पुरस्कार 2018
भाषा |
कृति का नाम |
लेखक |
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1 | असमिया | काइलोएर दिनतो आमार होबो (कविता) | सनंत तांती |
2 | बांग्ला | श्री कृष्णेर शेष कटा दिन (कहानी) | संजीब चट्टोपध्याय |
3 | बोडो | दोंग्से लामा (लघु कथा) | रितुराज बसुमतारी |
4 | डोंगरी | भागीरथ (उपन्यास) | इंदरजीत केसर |
5 | अंग्रेज़ी | द ब्लाइंड लेडीज़ डीसेंडेंट्स (उपन्यास) | अनीस सलीम |
6 | गुजराती | विभाजननी व्यथा (निबंध) | शरीफा विजलीवाला |
7 | हिंदी | पोस्ट बॉक्स नं. 203-नाला सोपारा | चित्रा मुद्गल |
8 | कन्नड़ | अनुश्रेणी-यजामणिके(आलोचनात्मक साहित्य) | के.जी.नागराजप्पा |
9 | कश्मीरी | आख (लघु कथा) | मुश्ताक अहमद मुश्ताक |
10 | कोंकड़ी | चित्रलिपि (कविता) | परेश नरेंद्र कामत |
11 | मैथिली | परिणिता (लघु कथा) | बीना ठाकुर |
12 | मलयालम | गुरुपउर्णमी (कविता) | एस.रमेशन नायर |
13 | मणिपुरी | नगमखैगी वाड्गमदा (लघु कथा) | बुधिचंद्र हैस्नाम्बा |
14 | मराठी | सर्जनप्रेरणा आणि कवित्वशोध (आलोचनात्मक साहित्य) | मा. सु. पाटिल |
15 | नेपाली | किन रोयू उपमा (लघु कथा) | लोकनाथ उपाध्याय चापागेन |
16 | उडिया | प्रसंग पुरुणा भाबना नूआ (आलोचनात्मक साहित्य) | दशरथि दास |
17 | पंजाबी | कोने दा सूरज (कविता) | मोहनजीत |
18 | राजस्थानी | कविता दैवे दीठ (कविता) | राजेश कुमार व्यास |
19 | संस्कृत | मम जननी (कविता) | रमाकांत शुक्ल |
20 | संथाली | मारोम (उपन्यास) | श्याम बेसरा ‘जीवी रारेक’ |
21 | सिंधी | जिया में टांडा (कविता) | खीमण यू. मुलाणी |
22 | तमिल | संचारम (उपन्यास) | एस. रामकृष्णन |
23 | तेलगु | विमर्शिनी (निबंध) | कोलाकलुरी इनोक |
24 | उर्दू | रोहज़िन (उपन्यास) | रहमान अब्बास |
भारत-रूस संबंध
हाल ही में भारत में रूसी राजदूत निकोले आर. कुदाशेव ने भारत-रूस संबंध का हवाला देते हुए कहा है कि S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली का सौदा दोनों देशों के बीच साझेदारी की विशेष प्रकृति का प्रमाण है।
क्या है S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली?
- रूस के अल्माज़ केंद्रीय डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा 1990 के दशक में विकसित यह वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली करीब 400 किलोमीटर के क्षेत्र में शत्रु के विमान, मिसाइल और यहाँ तक कि ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम है।
- यह मिसाइल प्रणाली रूस में 2007 से सेवा में है और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों में से एक मानी जाती है।
- S-400 को सतह से हवा में मार करने वाला दुनिया का सबसे सक्षम मिसाइल सिस्टम माना जाता है।
- S-400 मिसाइल प्रणाली S-300 का उन्नत संस्करण है, जो इसके 400 किमी. की रेंज में आने वाली मिसाइलों एवं पाँचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को नष्ट कर सकती है। इसमें अमेरिका के सबसे उन्नत फाइटर जेट F-35 को भी गिराने की क्षमता है।
- इस प्रणाली में एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं और इसके प्रत्येक चरण में 72 मिसाइलें शामिल हैं, जो 36 लक्ष्यों पर सटीकता से मार करने में सक्षम हैं।
- इस रक्षा प्रणाली से विमानों सहित क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों तथा ज़मीनी लक्ष्यों को भी निशाना बनाया जा सकता है।
- इससे पहले चीन ने 2014 में छह S-400 के लिये 3 बिलियन डॉलर का रक्षा सौदा रूस के साथ किया था और चीन को अब इनकी आपूर्ति भी होने लगी है।
- दिसंबर 2017 में तुर्की ने ऐसी दो प्रणालियों के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।