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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

गगनयान कार्यक्रम को मंत्रिमंडल की स्वीकृति

  • 29 Dec 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?


केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गगनयान कार्यक्रम (Gaganyaan Programme) को अपनी मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु

  • इस कार्यक्रम के तहत भारत तीन सदस्यों वाले दल को कम-से-कम 7 दिनों के लिये अंतरिक्ष में भेजेगा।
  • यदि यह मिशन सफल हुआ तो भारत अंतरिक्ष में मानव को भेजने वाला दुनिया का चौथा देश होगा। इससे पहले यह काम करने वाले देश है- अमेरिका (USA), रूस (Russia) और चीन (China)।
  • इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के लिये भारत रूस और फ्राँस के साथ पहले ही करार कर चुका है।
  • गगनयान को लॉन्च करने के लिये GSLVMK-3 (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle Mark III) लॉन्च व्हिकल का उपयोग किया जाएगा, जो इस मिशन के लिये आवश्यक पेलोड क्षमता से परिपूर्ण है।
  • गगनयान कार्यक्रम एक राष्ट्रीय प्रयास है और इसमें उद्योग, शिक्षा जगत तथा देशभर में फैली राष्ट्रीय एजेंसियों की भागीदारी होगी।
  • इस अंतरिक्ष यान को 300-400 किलोमीटर की निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में रखा जाएगा।

व्यय

  • इस संपूर्ण कार्यक्रम की लागत 10,000 करोड़ रुपए से कम होगी। इसमें टेक्नोलॉजी विकास लागत, विमान हार्डवेयर प्राप्ति तथा आवश्यक ढाँचागत तत्त्व शामिल हैं।

लाभ:

  • गगनयान कार्यक्रम ISRO, शिक्षा जगत, उद्योग, राष्ट्रीय एजेंसियों तथा अन्य वैज्ञानिक संगठनों के बीच सहयोग के लिये व्यापक ढाँचा तैयार करेगा।
  • इस कार्यक्रम से विभिन्न प्रौद्योगिकी तथा औद्योगिक क्षमताओं को एकत्रित करके शोध अवसरों तथा टेक्नोलॉजी विकास में व्यापक भागीदारी को सक्षम बनाया जाएगा, जिससे बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं शोधकर्त्ता लाभान्वित होंगे।
  • यह औद्योगिक विकास में सुधार तथा युवाओं के लिये प्रेरणास्रोत साबित होगा।
  • इससे सामाजिक लाभ के कार्यों लिये प्रौद्योगिकी के विकास तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में सुधार होगा।
  • मानव अंतरिक्ष यान (Human Spaceflight) क्षमता भारत को दीर्घकालिक राष्ट्रीय लाभों के साथ-साथ भविष्य में वैश्विक अंतरिक्ष खोज कार्यक्रमों (Global space exploration initiatives) में सहयोगी के रूप में भागीदारी के लिये सक्षम बनाएगी।
  • इस कार्यक्रम से रोज़गार सृजन, मानव संसाधन विकास तथा वृद्धि सहित औद्योगिक क्षमताओं के संदर्भ में आर्थिक गतिविधियों को गति मिलेगी।

क्रियान्वयन

  • कर्मी प्रशिक्षण, मानव जीवन विज्ञान, प्रौद्योगिकी विकास पहलों के साथ-साथ डिजाइन की समीक्षा में राष्ट्रीय एजेंसियों, प्रयोगशालाओं और शिक्षा जगत की भागीदारी होगी।
  • स्वीकृति की तिथि से 40 महीनों के अंदर पहले मानव चालित विमान (human space flight) प्रदर्शन का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।
  • ISRO ने लॉन्च व्हीकल GSLV MK-III का विकास कार्य पूरा कर लिया है। इसमें पृथ्वी केंद्रित कक्षा (earth orbit) में तीन सदस्य मॉड्यूल लॉन्च करने की आवश्यक भार क्षमता निहित है।
  • ISRO ने प्रौद्योगिकी संपन्न क्रू स्केप सिस्टम (crew escape system) का भी परीक्षण किया है जो मानव अंतरिक्ष विमान के लिये बहुत आवश्यक है।
  • GSLV MK-IIIX मिशन विमान के भाग के रूप में  क्रू मॉड्यूल (Crew Module) का एयरोडायनेमिक चित्रण (aerodynamic characterization) तैयार हो गया है।

orbital vehicle

  • जीवन समर्थन प्रणाली (life support system) तथा अंतरिक्ष पोशाक (Space suit) विकसित करने की क्षमता हासिल कर ली है।
  • इसके अतिरिक्त स्पेस केपसूल रि-एंट्री एक्सपेरिमेंट (Space Capsule Re-entry experiment-SRE) मिशन में कक्षीय (Orbital) तथा पुनः प्रवेश (re-entry) मिशन और पुनःप्राप्ति संचालन (recovery operations) का प्रदर्शन किया जा चुका है।

स्रोत : पी.आई.बी.

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