प्रिलिम्स फैक्ट्स: 30 सितंबर, 2021 | 30 Sep 2021
कोविड-19 मुआवजा
Covid-19 Compensation
हाल ही में गृह मंत्रालय ने कोविड-19 से मरने वालों लोगों के परिजनों हेतु 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि देने के लिये आदेश जारी किये हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) द्वारा इस प्रकार की राशि की सिफारिश की गई।
- यह राशि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) से वितरित की जाएगी।
- पिछले वर्ष मंत्रालय द्वारा कोविड-19 को आपदा के रूप में अधिसूचित किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- अनुग्रह राशि के बारे में:
- मृत्यु के कारण को कोविड-19 के रूप में प्रमाणित होने पर मृतक के लिये अनुग्रह राशि लागू होती है। जिसमें राहत कार्यों में शामिल या राहत गतिविधियों में कार्यरत लोग शामिल होते हैं।
- यह सहायता देश में कोविड-19 के पहले मामले की तारीख से लागू होगी और आपदा के रूप में कोविड-19 की अधिसूचना या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, तक जारी रहेगी।
- राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF):
- SDRF के बारे में:
- SDRF का गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 48 (1) (a) के तहत किया गया है।
- इसका गठन 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया गया था।
- यह राज्य सरकारों के पास अधिसूचित आपदाओं की प्रतिक्रिया के लिये तत्काल राहत प्रदान करने हेतु व्यय को पूरा करने के लिये उपलब्ध प्राथमिक निधि है।
- इसका ऑडिट हर साल भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India- CAG) द्वारा किया जाता है।
- SDRF का गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 48 (1) (a) के तहत किया गया है।
- योगदान:
- केंद्र सामान्य श्रेणी के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों हेतु SDRF आवंटन का 75% और विशेष श्रेणी के राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर) के लिये 90% का योगदान देता है।
- वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार वार्षिक केंद्रीय अंशदान दो समान किश्तों में जारी किया जाता है।
- SDRF के अंतर्गत शामिल आपदाएंँ:
- स्थानीय आपदाएंँ:
- राज्य सरकार प्राकृतिक आपदाओं के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करने हेतु SDRF के तहत उपलब्ध धन का 10% तक उपयोग कर सकती है, जिसे वे राज्य में स्थानीय संदर्भ में 'आपदा' मानते हैं और जो गृह मंत्रालय की आपदाओं की अधिसूचित सूची में शामिल नहीं हैं।
- SDRF के बारे में:
चक्रवात ‘गुलाब’
Cyclone Gulab
हाल ही में चक्रवात ‘गुलाब’ (Cyclone Gulab) ने भारत के पूर्वी तट पर दस्तक दी है।
- इसके अलावा एक अन्य चक्रवात- ‘शाहीन’ अरब सागर के ऊपर बन सकता है।
प्रमुख बिंदु
- चक्रवातों का नामकरण:
- गुलाब एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात था और इसका नाम पाकिस्तान ने रखा था। इसने दक्षिण ओडिशा और उत्तर आंध्र प्रदेश के तटों को प्रभावित किया था।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक क्षेत्र के देश चक्रवातों को नाम देते हैं।
- उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर बने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को कवर करता है।
- इस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 13 सदस्य बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन हैं।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) विश्व के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (Regional Specialised Meteorological Centres-RSMC) में से एक है, जिसे सलाह जारी करने तथा उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखने का अधिकार है।
- यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी है।
- गुलाब एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात था और इसका नाम पाकिस्तान ने रखा था। इसने दक्षिण ओडिशा और उत्तर आंध्र प्रदेश के तटों को प्रभावित किया था।
- घटना:
- भारत में चक्रवात का द्विवार्षिक मौसम होता है, जो मार्च से मई और अक्तूबर से दिसंबर के बीच होता है। लेकिन दुर्लभ अवसरों पर जून और सितंबर के महीनों में चक्रवात आते हैं।
- चक्रवात गुलाब वर्ष 2018 में उष्णकटिबंधीय चक्रवात ‘डे’ (Daye) और वर्ष 2005 में प्यार (Pyarr) के बाद सितंबर में पूर्वी तट पर पहुँचने वाला 21वीं सदी का तीसरा चक्रवात है।
- आमतौर पर उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र (बंगाल की खाड़ी और अरब सागर) में उष्णकटिबंधीय चक्रवात मानसून से पहले (अप्रैल से जून) और मानसून के बाद (अक्तूबर से दिसंबर) की अवधि के दौरान विकसित होते हैं।
- मई-जून और अक्तूबर-नवंबर माह अति तीव्रता वाले चक्रवात उत्पन्न करने के लिये जाने जाते हैं जो भारतीय तटों को प्रभावित करते हैं।
- भारत में चक्रवात का द्विवार्षिक मौसम होता है, जो मार्च से मई और अक्तूबर से दिसंबर के बीच होता है। लेकिन दुर्लभ अवसरों पर जून और सितंबर के महीनों में चक्रवात आते हैं।
- वर्गीकरण:
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) चक्रवातों को उनके द्वारा उत्पन्न ‘अधिकतम निरंतर सतही हवा की गति’ (Maximum Sustained Surface Wind Speed- MSW) के आधार पर वर्गीकृत करता है।
- चक्रवातों को गंभीर (48-63 समुद्री मील), बहुत गंभीर (64-89 समुद्री मील), अत्यंत गंभीर (90-119 समुद्री मील) और सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म (120 समुद्री मील) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। एक नॉट (knot) 1.8 किलोमीटर प्रति घंटे के बराबर होता है।
- चक्रवात गुलाब गंभीर श्रेणी के चक्रवातों में आता है, जिसकी अधिकतम गति 95 किमी/घंटा है।
- वर्ष 2020-21 में भारत में आने वाले चक्रवात: ताउते, यास, निसर्ग, अम्फान।