प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स: 29 मई, 2020
- 29 May 2020
- 13 min read
खीर भवानी मेला
Kheer Bhawani Mela
भारत के केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर में गांदरबल ज़िले के तुलमुल्ला गाँव में इस वर्ष 30 मई, 2020 को आयोजित होने वाले वार्षिक ‘खीर भवानी मेले’ (Kheer Bhawani Mela) को COVID-19 महामारी के कारण जम्मू-कश्मीर के धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा रद्द कर दिया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- यह त्यौहार देश भर के लाखों हिंदू तीर्थयात्रियों के साथ विशेष रूप से कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा गांदरबल ज़िले के प्रसिद्ध राज्ञणा देवी मंदिर (Ragyna Devi Temple) में मनाया जाता है जिन्हें स्थानीय रूप से ‘माता खीर भवानी’ के नाम से भी जाना जाता है।
- यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार ‘ज़ेष्ठ अष्टमी’ (Zeshta Ashtami) के दिन मनाया जाता है।
- ‘खीर’ शब्द का तात्पर्य ‘चावल के हलवे’ से है जो वसंत ऋतु में देवी को खुश करने के लिये अर्पित किया जाता है।
महत्त्व:
- ‘खीर भवानी मेला’ कश्मीरी पंडित समुदाय के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है।
- यह देखा गया है कि ‘खीर भवानी मंदिर’ के चारों ओर झरने के पानी का रंग कश्मीर घाटी की मौसमी परिस्थितियों में परिवर्तन के साथ अपना रंग बदलता है।
स्पेक्ट्रिन एवं एक्सॉन
Spectrin and Axon
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Union Ministry of Science & Technology) के तहत स्वायत्त संस्थान ‘रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (RRI) के वैज्ञानिकों ने ‘आईआईएसईआर पुणे’ और पेरिस की ‘ड्रेट्राट यूनिवर्सिटी’ के साथ किये गए शोध में इस बात का पता लगाया है कि एक्सॉन (Axon) में मौजूद ‘स्प्रेक्ट्रिन’ (Spectrin) खिंचाव के कारण होने वाली क्षति से बचाने के लिये रक्षा कवच यानी कि ‘शॉक अब्ज़ार्बर’ की तरह काम करते हैं।
प्रमुख बिंदु:
- स्प्रेक्ट्रिन, एक्सॉन में उपस्थित लचीले रॉड के आकार के अणु होते हैं।
- एक्सॉन, तंत्रिका कोशिकाओं के लंबे ट्यूबलर एक्सटेंशन (Tubular Extensions) हैं जो लंबी दूरी तक विद्युत संकेतों को प्रसारित करते हैं और मनुष्यों के मामले में यह संकेत एक मीटर तक प्रसारित हो सकते हैं।
- इस तरह की दूरी में वे अंग या अन्य शारीरिक संचरण के दौरान बड़े खिंचाव या विकृति के अधीन होते हैं।
- यह शोध अध्ययन मनुष्य के सिर की चोटों के साथ-साथ खिंचाव-प्रेरित तंत्रिका चोटों से होने वाली संवेदना को समझने एवं उपचार में मदद कर सकता है।
वीर सावरकर जयंती
Veer Savarkar Jayanti
28 मई को स्वतंत्रता सेनानी वीर दामोदर सावरकर की जयंती मनाई गई।
प्रमुख बिंदु:
- वीर सावरकर का पूरा नाम ‘विनायक दामोदर सावरकर’ था। इनका जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के भागुर ग्राम में हुआ था।
- सावरकर इंडिया हाउस (India House) नामक राष्ट्रवादी संस्था से जुड़े थे एवं उन्होंने अभिनव भारत और फ्री इंडिया सोसाइटी (Free India Society) की स्थापना भी की थी।
- सावरकर द्वारा वर्ष 1909 में लिखी गई पुस्तक ‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस, 1857 में उन्होंने यह विचार किया कि वर्ष 1857 का भारतीय विद्रोह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ पहला भारतीय जन विद्रोह था।
- वर्ष 1910 में सावरकर को क्रांतिकारी समूह इंडिया हाउस के साथ संबंधों के चलते गिरफ्तार किया गया था।
- वर्ष 1911 में ब्रिटिश सरकार ने सावरकर को 50 वर्ष के कठोर कारावास की सज़ा सुनाकर उन्हें अंडमान निकोबार दीप समूह में स्थित कालापानी जेल में डाल दिया गया। लेकिन वर्ष 1921 में उन्हें रिहा कर दिया गया।
- वीर सावरकर एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, लेखक, समाज सुधारक और हिंदुत्त्व दर्शन के सूत्रधार थे।
- वर्ष 1923 में उन्होंने ‘हिंदुत्त्व’ (Hindutva) शब्द की व्याख्या की और कहा कि भारत केवल उन्ही लोगों का है जो इसे ‘पितृभूमि’ और ‘पवित्र भूमि’ मानते हैं।
- वीर सावरकर ने अपनी पुस्तक हिंदुत्त्व (Hindutva) में द्वि-राष्ट्र सिद्धांत (Two-nation Theory) का प्रतिपादन किया जिसमें हिंदुओं और मुसलमानों के लिये दो अलग-अलग राष्ट्रों की बात कही गई जिसे वर्ष 1937 में हिंदू महासभा ने एक संकल्प के रूप में पारित किया।
- सावरकर ने भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस (INC) और महात्मा गांधी की तीखी आलोचना की, उन्होंने 'भारत छोड़ो आंदोलन' का विरोध किया और बाद में भारत के विभाजन पर काॅन्ग्रेस की स्वीकृति पर आपत्ति जताई। उन्होंने एक देश में दो राष्ट्रों के सह-अस्तित्त्व का प्रस्ताव रखा था।
- 26 फरवरी, 1966 को सावरकर का निधन हो गया।
- वर्ष 2000 में अंडमान एवं निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर में स्थित हवाई अड्डे का नाम बदलकर वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया था।
संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
International Day of United Nations Peacekeepers
प्रत्येक वर्ष 29 मई को संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO), ‘संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ (International Day of United Nations Peacekeepers) मनाता है।
थीम:
- वर्ष 2020 के लिये इस दिवस की थीम ‘Women in Peacekeeping– A Key to Peace’ है।
- इस वर्ष की यह थीम महिला, शांति एवं सुरक्षा पर ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ के प्रस्ताव संख्या (1325) को अपनाने की 20वीं वर्षगांठ को चिह्नित करती है।
उद्देश्य:
- इस दिवस का मुख्य उद्देश्य शांति स्थापना के लिये शहीद हुए सैनिकों को याद करना एवं उन्हें सम्मान प्रदान करना है।
प्रमुख बिंदु:
- पहला संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन 29 मई, 1948 को गठित किया गया था जब ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ ने मध्य पूर्व में संयुक्त राष्ट्र के सैन्य पर्यवेक्षकों की एक छोटी टुकड़ी की तैनाती को अधिकृत किया था।
- यह दिवस वर्ष 2003 में पहली बार मनाया गया था।
- प्रत्येक शांति मिशन सुरक्षा परिषद द्वारा अधिकृत होता है। संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों के लिये वित्तीय संसाधन जुटाने की सामूहिक ज़िम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों की होती है।
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, प्रत्येक सदस्य राष्ट्र वैश्विक शांति के लिये अपने संबंधित हिस्से का भुगतान करने के लिये कानूनी रूप से बाध्य है।
- संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षकों में सैनिक, पुलिस अधिकारी और नागरिक कर्मी शामिल हो सकते हैं।
- शांति सेना को स्वैच्छिक आधार पर सदस्य राष्ट्रों द्वारा योगदान दिया जाता है। शांति अभियानों के नागरिक कर्मचारी संयुक्त राष्ट्र सचिवालय द्वारा भर्ती एवं तैनात किये जाने वाले ‘अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवक’ हैं।
- संयुक्त राष्ट्र शांति सेना संघर्ष से युक्त देशों में स्थायी शांति स्थापित करने में मदद करती है।
- संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन का आरंभ वर्ष 1948 में किया गया था और इसने अपने पहले मिशन में वर्ष 1948 में ही अरब-इज़रायल युद्ध के दौरान युद्ध विराम का पालन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशन तीन बुनियादी सिद्धांतों का पालन करता है:
- शामिल सभी पक्षों की सहमति का ख्याल रखना।
- शांति व्यवस्था कायम रखने के दौरान निष्पक्ष बने रहना।
- आत्म-रक्षा और जनादेश की रक्षा के अलावा किसी भी स्थिति में बल-प्रयोग नहीं करना।
मध्यप्रदेश में जलविद्युत परियोजनाओं एवं बहुउद्देशीय परियोजनाओं का वित्तपोषण
Financing Hydro-electric projects & Multipurpose projects in Madhya Pradesh
‘ऊर्जा वित्त निगम’ (Power Finance Corporation- PFC) ने मध्य प्रदेश में 22,000 करोड़ रुपए की 225 मेगावाट क्षमता वाली पनबिजली परियोजनाओं एवं बहुउद्देशीय परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिये ‘नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट कंपनी लिमिटेड (NBPCL) के साथ एक समझौता किया है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘ऊर्जा वित्त निगम’ (PFC), केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (PSU) है और भारत की अग्रणी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Company-NBFC) भी है।
- ‘नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कंपनी लिमिटेड’ (NBPCL) मध्य प्रदेश सरकार के पूर्ण स्वामित्त्व वाली कंपनी है।
- इस समझौते के तहत वित्तपोषित की जाने वाली कुछ प्रमुख बहुउद्देशीय परियोजनाएँ हैं:
- बसनिया बहुउद्देशीय परियोजना, डिंडोरी
- चिंकी बोरस बहुउद्देशीय परियोजना नरसिंहपुर रायसेन, होशंगाबाद
- सक्कर पेंच लिंक नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा
- दूधी परियोजना छिंदवाड़ा होशंगाबाद आदि।