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डेली अपडेट्स

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 27 जुलाई, 2020

  • 27 Jul 2020
  • 11 min read

नाग नदी

Nag River

हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच ने औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण के कारण नाग नदी (Nag River) जिसके नाम पर नागपुर शहर का नाम रखा गया है, में बढ़ते प्रदूषण स्तर पर चिंता व्यक्त की। 

Nag-River

प्रमुख बिंदु:

  • नाग नदी, भारत में महाराष्ट्र राज्य के नागपुर शहर से होकर बहने वाली नदी है।
  • वर्ष 1908 के ब्रिटिशकालीन आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, नाग नदी का उद्गम महाराष्ट्र में वाडी (Wadi) के पास लावा पहाड़ियों (Lava Hills) से होता है। 
  • यह नदी कन्हान-पेंच नदी प्रणाली (Kanhan-Pench River System) का एक भाग भी है। 

कन्हान-पेंच नदी प्रणाली

(Kanhan-Pench River System):

  • कन्हान नदी मध्य भारत में सतपुड़ा रेंज के दक्षिण में स्थित एक बड़े क्षेत्र में बहने वाली वेनगंगा (Wainganga) नदी की एक महत्त्वपूर्ण सहायक नदी है।
  • महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश से होकर बहने वाली कन्हान नदी की लंबाई 275 किलोमीटर है। 
  • कन्हान नदी नागपुर शहर के लिये एक प्रमुख जल आपूर्ति स्रोत है। पेंच नदी (Pench River) इसकी सबसे बड़ी सहायक नदी है। 
  • पेंच नदी, कन्हान नदी के बांए तट की प्रमुख सहायक नदी है जबकि दांए तट की सहायक नदियों में जाम नदी, कोलार नदी, नाग नदी प्रमुख हैं। 

UK-PCS


हरिकेन हान्ना

Hurricane Hanna

25 जुलाई, 2020 को हरिकेन हान्ना (Hurricane Hanna) संयुक्त राज्य अमेरिका के टेक्सास से टकराया। 

  • गौरतलब है कि टेक्सास, संयुक्त राज्य अमेरिका में COVID-19 के प्रमुख हॉटस्पॉट केंद्रों में से एक है।  

Hurricane-Hanna

प्रमुख बिंदु:

  • हरिकेन हान्ना 90 मील प्रति घंटे तक की हवा की गति से संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तटीय क्षेत्रों से टकराया। जिससे दक्षिणी टेक्सास एवं उत्तर-पूर्वी मैक्सिको के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की संभावना बताई गई है।   
  • हवा की गति के आधार पर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की पाँच श्रेणियाँ हैं। हरिकेन हान्ना श्रेणी एक के अंतर्गत आता है।
    • जब घूर्णन प्रणालियों (Rotating Systems) में हवाएँ 39 मील प्रति घंटे तक की गति से चलती हैं तो तूफान को ‘उष्णकटिबंधीय तूफान’ (Tropical Storm) कहा जाता है और जब वे 74 मील प्रति घंटे तक की गति से चलती हैं तो उष्णकटिबंधीय तूफान (Tropical Storm) को ‘उष्णकटिबंधीय चक्रवात’ (Tropical Cyclone) या हरिकेन के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है और इसे एक नाम भी दिया जाता है।
  • चक्रवातों को ऊर्जा संघनन प्रक्रिया द्वारा ऊँचे कपासीय स्तरी मेघों से प्राप्त होती है। समुद्रों से लगातार आर्द्रता की आपूर्ति से ये तूफान अधिक प्रबल होते हैं। चक्रवातों के स्थल पर पहुँचने पर आर्द्रता की आपूर्ति रुक जाती है जिससे ये क्षीण होकर समाप्त हो जाते हैं। वह स्थान जहाँ से उष्णकटिबंधीय चक्रवात तट को पार करके जमीन पर पहुँचते हैं चक्रवात का लैंडफॉल कहलाता है।
  • अटलांटिक महासागर या पूर्वी प्रशांत महासागर के ऊपर बनने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को ‘हरिकेन’ कहा जाता है और जो प्रशांत महासागर के उत्तर-पश्चिम में बनते हैं उन्हें ‘टाइफून’ (Typhoons) कहा जाता है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात या हरिकेन ऊर्जा के रूप में गर्म, नम हवा का उपयोग करते हैं और इसलिये ये भूमध्य रेखा के पास गर्म समुद्री जल पर बनते हैं।

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नाम कैसे रखा जाता है?

  • वर्ष 1953 से अटलांटिक उष्णकटिबंधीय तूफानों का नाम संयुक्त राज्य अमेरिका के ‘नेशनल हरिकेन सेंटर’ (NHC) द्वारा प्रस्तावित सूचियों के अनुसार रखा जाता था। किंतु वर्ष 1978 में यह निर्णय लिया गया था कि NHC, तीन वर्ष पहले (वर्ष 1975 में) ऑस्ट्रेलिया के ‘ब्यूरो ऑफ मेटेरोलाॅजी’ द्वारा अपनाई गई पद्धति की तर्ज पर पुरुषों एवं महिलाओं के नामों का उपयोग करेगा।
    • ये नाम विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation- WMO) की एक अंतर्राष्ट्रीय समिति द्वारा सुझाए एवं अपडेट किये जाते हैं। WMO 120 से अधिक देशों का प्रतिनिधित्त्व करता है और विश्व के प्रत्येक महासागर बेसिन के लिये नामों की पूर्व-निर्धारित सूचियों का उपयोग करता है।
  • मई 2020 में ‘नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (National Oceanic and Atmospheric Administration- NOAA) ने घोषणा की थी कि वर्ष 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका में ‘सामान्य से ऊपर’ हरिकेन की स्थिति बन सकती है। जिसका एक कारण कमज़ोर उष्णकटिबंधीय अटलांटिक व्यापारिक पवनों एवं विस्तृत पश्चिमी अफ्रीकी मानसून के साथ उष्णकटिबंधीय अटलांटिक महासागर एवं कैरेबियन सागर में समुद्री सतह का तापमान औसत से अधिक बढ़ जाना है।

नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA):

  • यह संयुक्त राज्य अमेरिका के वाणिज्य विभाग के अंतर्गत एक अमेरिकी वैज्ञानिक एजेंसी है जो महासागरों, प्रमुख जलमार्गों एवं वायुमंडलीय स्थितियों का विश्लेषण  करती है।

UP-PCS


खेलो इंडिया यूथ गेम्स का चौथा संस्करण

4th Edition of Khelo India Youth Games

25 जुलाई, 2020 को केंद्रीय युवा मामलों एवं खेल मंत्री (Ministry of Youth Affairs and Sports) और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स का चौथे संस्करण (4th Edition of Khelo India Youth Games) की घोषणा करते हुए कहा कि इस संस्करण का आयोजन हरियाणा के पंचकुला में किया जाएगा।

Khelo-India

प्रमुख बिंदु:

  • वर्ष 2021 में खेलो इंडिया यूथ गेम्स के चौथे संस्करण का आयोजन टोक्यो ओलंपिक के बाद आयोजित किया जाएगा।
  • आमतौर पर खेलो इंडिया यूथ गेम्स प्रत्येक वर्ष जनवरी में आयोजित किये जाते हैं किंतु इस बार COVID-19 महामारी के कारण इन्हें स्थगित कर दिया गया है।
  • पिछले संस्करणों की तरह इस बार भी ‘स्टार स्पोर्ट्स’ खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आधिकारिक प्रसारण भागीदार होगा।

गौरतलब है कि हरियाणा ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स के तीनों संस्करणों में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। जबकि वर्ष 2019 (159 पदक) एवं वर्ष 2020 (200 पदक) में यह राज्य दूसरे स्थान पर रहा वहीं वर्ष 2018 में 102 पदक (38 स्वर्ण, 26 रजत, 38 कांस्य) जीत कर हरियाणा पहले स्थान पर था।  

BPSC


कश्मीरी केसर के लिये भौगोलिक संकेतक टैग

Geographical Indication Tag for Kashmiri Saffron

25 जुलाई, 2020 को भारत सरकार ने कश्मीर घाटी में उगाए जाने वाले केसर के लिये भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) टैग का प्रमाण पत्र जारी किया।

Kashmiri-Saffron

प्रमुख बिंदु:

  • भौगोलिक संकेतक टैग मिलने से कश्मीर केसर निर्यात बाज़ार में अधिक प्रमुखता हासिल करेगा और इससे किसानों को उचित पारिश्रमिक मूल्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • कश्मीरी केसर दुनिया का एकमात्र केसर है जो 1600 मीटर की ऊँचाई पर उगाया जाता है। जो प्राकृतिक गहरे लाल रंग, तीक्ष्ण सुगंध, कड़वे स्वाद, रासायनिक मुक्त प्रसंस्करण एवं उच्च गुणवत्ता वाले रंग की क्षमता जैसी अपनी अनूठी विशेषताओं से पहचाना जाता है। 
  • जम्मू एवं कश्मीर में करेवा, ज़ाफरान (केसर) की खेती के लिये प्रसिद्ध है। 

करेवा (Karewa):

  • कश्मीर घाटी एक अंडाकार बेसिन है जो 140 किमी लंबा और 40 किमी चौड़ा है।
  • करेवा, कश्मीर घाटी एवं जम्मू डिविजन की भदरवाह घाटी (Bhadarwah Valley) में विस्तृत झील निक्षेप हैं। 
  • करेवा का निर्माण प्लाइस्टोसिन काल (1 मिलियन वर्ष पहले) के दौरान हुआ था जब पूरी कश्मीर घाटी जलमग्न थी।
  • पीरपंजाल श्रेणी के उद्भव के कारण जल निकासी प्रणाली में अवरोध उत्पन्न हुआ और लगभग 5000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की एक झील का निर्माण हुआ।
  • इसके बाद यह झील बारामुल्ला गार्ज के माध्यम से जल निकासी के कारण शुष्क हो गई और छोड़े गए निक्षेपों को ‘करेवा’ के रूप में जाना जाता है। करेवा की मोटाई लगभग 1400 मीटर है।
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