प्रिलिम्स फैक्ट्स: 22 सितंबर, 2020 | 22 Sep 2020

ओ-स्मार्ट योजना 

O-SMART SCHEME

वर्ष 2018 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) की एक व्यापक योजना ‘महासागरीय सेवाओं, प्रौद्योगिकी, निगरानी, संसाधन प्रतिरूपण एवं विज्ञान’ (Ocean Services, Modelling, Applications, Resources and Technology: O-SMART)’ योजना को मंज़ूरी दी गई थी।

ओ-स्मार्ट योजना के उद्देश्य:

  • भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone) में ‘मरीन लिविंग रिसोर्सेज़’ (Marine Living Resources) एवं भौतिक पर्यावरण के साथ उनके संबंधों के बारे में सूचना एकत्र करना और उसे नियमित रूप से अपडेट करना।
  • समय-समय पर भारत के तटीय जल का स्वच्छता मूल्यांकन करने के लिये समुद्री जल प्रदूषकों के स्तर की निगरानी करना। प्राकृतिक एवं मानवजनित गतिविधियों के कारण तटीय क्षरण के मूल्यांकन के लिये तटरेखा परिवर्तन मानचित्र विकसित करना।
  • भारत के आसपास के समुद्रों से रियल टाइम डेटा के लिये अत्याधुनिक महासागरीय अवलोकन प्रणालियों की एक विस्तृत श्रृंखला विकसित करना। 
  • सामाजिक लाभ के लिये उपयोगकर्त्ता-उन्मुख महासागरीय सूचना, सलाह, चेतावनी, डेटा एवं डेटा उत्पादों का एक पैकेज तैयार करना एवं उसका प्रसारण करना।
  • महासागर पूर्वानुमान एवं पुनर्विश्लेषण प्रणाली के लिये ‘हाई रिज़ोल्यूशन मॉडल’ विकसित करना।
  • तटीय अनुसंधान हेतु उपग्रह डेटा के सत्यापन के लिये एल्गोरिदम विकसित करना। 
  • समुद्री जैव संसाधनों की जाँच एवं निगरानी करने के लिये प्रौद्योगिकियों को विकसित करना।
  • समुद्र से मीठे जल एवं ऊर्जा उत्पन्न करने वाली प्रौद्योगिकियों को विकसित करना।
  • अंडरवाटर वाहनों एवं प्रौद्योगिकियों को विकसित करना।
  • गिट्टी जल उपचार (Ballast Water Treatment) सुविधा की स्थापना करना।
  • महासागरीय सर्वेक्षण/निगरानी/प्रौद्योगिकी प्रदर्शन कार्यक्रमों के लिये 5 अनुसंधान जहाज़ों के संचालन एवं रखरखाव का समर्थन करना।
  • गैस हाइड्रेट्स की जाँच करने के लिये मध्य हिंद महासागर बेसिन में संयुक्त राष्ट्र द्वारा भारत को आवंटित किये गए 75000 वर्ग किमी. के स्थान पर 5500 मीटर तक की गहराई से पॉलीमेटैलिक नोड्यूल्स (Polymetallic Nodules) की खोज को पूरा करना।
  • रोड्रिग्स ट्रिपल जंक्शन (Rodrigues Triple Junction) के पास 10000 वर्ग किमी. क्षेत्र (यह क्षेत्र भारत को अंतर्राष्ट्रीय जल प्राधिकरण/संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय जल में आवंटित किया गया है) में पॉलिमेटेलिक सल्फाइड (Polymetallic Sulphides) की खोज करना।

रोड्रिग्स ट्रिपल जंक्शन (Rodrigues Triple Junction):

  • रोड्रिग्स ट्रिपल जंक्शन (RTJ), जिसे मध्य हिंद (महासागर) ट्रिपल जंक्शन [Central Indian (Ocean) Triple Junction- CITJ] के रूप में भी जाना जाता है, दक्षिणी हिंद महासागर में एक भूगर्भिक ट्रिपल जंक्शन है जहाँ तीन विवर्तनिक प्लेटें (अफ्रीकी प्लेट, भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट एवं अंटार्कटिक प्लेट) आपस में मिलती हैं। 
  • वैज्ञानिक डेटा द्वारा समर्थित विशेष आर्थिक क्षेत्र और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के स्थलाकृतिक सर्वेक्षण से परे महाद्वीपीय शेल्फ पर भारत के दावे का प्रस्तुतीकरण करना।

‘इंडियन सुनामी अर्ली वार्निंग सेंटर’ (ITEWC): 

  • वर्ष 2007 में ‘इंडियन सुनामी अर्ली वार्निंग सेंटर’ (ITEWC) की स्थापना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय के रूप में ‘इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इन्फॉर्मेशन सर्विसेज़’ (Indian National Centre for Ocean Information Services- INCOIS), हैदराबाद में की गई थी।
  • यह विभिन्न हितधारकों को समय-समय पर सुनामी से संबंधित जानकारी प्रदान करता है।    


डेस्टिनेशन नॉर्थ ईस्ट-2020

Destination North East-2020

21 सितंबर, 2020 को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘डेस्टिनेशन नॉर्थ ईस्ट-2020’ (Destination North East-2020) महोत्सव के लिये लोगो एवं गीत का अनावरण किया।  

North-east-2020

प्रमुख बिंदु:

  • केंद्रीय गृह मंत्री 27 सितंबर, 2020 को इस चार दिवसीय कार्यक्रम का औपचारिक रूप से उद्घाटन करेंगे।
  • यह उत्सव पूर्वोत्तर भारत में उपलब्ध समृद्ध, अस्पष्टीकृत संभावनाओं एवं अवसरों के उपयोग को बढ़ावा देगा। 
  • यह उत्सव COVID-19 के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र को पसंदीदा पर्यटन एवं व्यावसायिक स्थलों में से एक के रूप में उभारने में मदद करेगा और यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये 'वोकल फॉर लोकल' के मंत्र के साथ 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के लिये एक महत्त्वपूर्ण इंजन का कार्य करेगा। 
  • इस उत्सव का उद्देश्य भारत के लोगों को विदेश में कहीं भी जाने के बजाय देश के ही सभी रमणीय स्थानों का भ्रमण करने के लिये आकर्षित करना है। 
  • पिछले दो वर्षों से लगातार देशभर में इस उत्सव का आयोजन किया जाता है।
  • यह महोत्सव केवल पर्यटन के बारे में नहीं है बल्कि यह संगठनों एवं विशेष रूप से युवा उद्यमियों के लिये भी है जो कि इस क्षेत्र की असीमित संभावनाओं का लाभ उठाना चाहते हैं।

डेस्टिनेशन नॉर्थ ईस्ट-2019:

  • वर्ष 2019 में इस उत्सव का आयोजन उत्तरप्रदेश के वाराणसी में किया गया था, जिसका उद्देश्य गंगा एवं पूर्वोत्तर की ब्रह्मपुत्र की संस्कृतियों को जोड़ना था।

पूर्वोत्तर भारत: सांस्कृतिक विरासत:  

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र अपनी संस्कृति, व्यंजनों, उद्यमिता कौशल एवं प्राकृतिक विशेषताओं के अलावा अपने समाज से बहुत कुछ सीखने के लिये शेष भारत को प्रेरित करता है। 
  • पूर्वोत्तर में बाँस, हस्तशिल्प, कपड़ा एवं हथकरघा क्षेत्र में बहुत ही समृद्ध व्यवसाय परंपरा विद्यमान है।


बोत्सवाना हाथियों की मौत

Deaths of Botswana Elephants

हाल ही में बोत्सवाना में अधिकारियों ने जाँच में पाया कि जल में  साइनोबैक्टीरिया द्वारा उत्पादित विषाक्त पदार्थों के कारण इस वर्ष बोत्सवाना में 300 से अधिक हाथियों की मृत्यु हो गई थी।

Okavango-Delta

प्रमुख बिंदु:  

  • साइनोबैक्टीरिया सूक्ष्म जीव हैं जो आमतौर पर जल में पाए जाते हैं और कभी-कभी ये मिट्टी में भी पाए जाते हैं।
    • सभी साइनोबैक्टीरिया विषाक्त पदार्थों का उत्पादन नहीं करते हैं किंतु वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक तापमान बढ़ने से विषाक्तता की घटना बार-बार हो रही है।

बोत्सवाना: 

  • अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिणी में स्थित बोत्सवाना एक भू-आबद्ध देश है।
  • बोत्सवाना दुनिया की सबसे बड़ी हाथी आबादी वाला देश है जहाँ हाथियों की अनुमानित संख्या लगभग 130,000 है।
  • यहाँ के ओकावांगो डेल्टाई क्षेत्र के उत्तर में मृत हाथियों की संख्या 300 से अधिक दर्ज की गई थी। 


कोमोडो ड्रैगन

Komodo Dragon

हाल ही में हुए एक नए अध्ययन में कहा गया है कि कोमोडो ड्रैगन (Komodo Dragon) जिसे दुनिया की सबसे बड़ी छिपकली कहा जाता है, जलवायु परिवर्तन के कारण अगले कुछ दशकों में विलुप्त हो सकता है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस अध्ययन को ऑस्ट्रेलिया के एडीलेड विश्वविद्यालय (University of Adelaide) एवं डाईकिन विश्वविद्यालय (Deakin University) द्वारा आयोजित किया गया था।
  • कोमोडो ड्रैगन इंडोनेशिया के पाँच द्वीपों में से तीन द्वीपों से विलुप्त हो सकता है जहाँ यह वर्तमान में पाया जाता है।
  • इस अध्ययन को ‘पारिस्थितिकी एवं विकास’ (Ecology and Evolution) पत्रिका में प्रकाशित किया गया था।

कारण:

  • इस अध्ययन में जलवायु परिवर्तन के कारण कोमोडो ड्रैगन के आवास की उपलब्धता में गिरावट की संभावना को व्यक्त किया गया है जिससे उनकी आबादी में भी कमी आएगी।

कोमोडो ड्रैगन (Komodo Dragon):

Komodo-Dragon

  • कोमोडो ड्रैगन छिपकली की सबसे बड़ी जीवित प्रजाति है।
  • इसे IUCN की रेड लिस्ट में सुभेद्य (Vulnerable) श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है।
  • कोमोडो ड्रैगन अकशेरुकी जीवों, पक्षियों एवं स्तनधारियों का शिकार करते हैं।
  • कोमोडो ड्रैगन में विष ग्रंथियाँ पाई जाती हैं जो विषाक्त पदार्थों से भरी होती हैं।
  • इसे कोमोडो मॉनीटर (Komodo Monitor) के रूप में भी जाना जाता है, जो इंडोनेशियाई द्वीपों के कोमोडो (Komodo), रिनका (Rinca), फ्लोरेस (Flores) और गिली मोटंग (Gili Motang) में पाई जाती है।