प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 21 अक्तूबर, 2020
- 21 Oct 2020
- 18 min read
कैट जियोग्लिफ्स
Cat Geoglyphs
दक्षिण अमेरिकी देश पेरू की प्रसिद्ध नाज़का लाइन्स (Nazca Lines) जो यूनेस्को (UNESCO) की विश्व धरोहर स्थल है और बड़े-बड़े जानवरों, पौधों एवं काल्पनिक प्राणियों के चित्रण के लिये जानी जाती है, हाल ही में एक अज्ञात नक्काशी (एक बिल्ली का चित्रण) की खोज के बाद सोशल मीडिया में सुर्खियों में आई।
प्रमुख बिंदु:
- 2000 साल से अधिक पुरानी मानी जाने वाली इन नक्काशियों की खोज से संबंधित घोषणा पिछले सप्ताह दक्षिण अमेरिकी देश पेरू ने की थी।
- इस नक्काशी के रूप में पाम्पा डी नाज़का (Pampa De Nazca) में एक पहाड़ी की ढलान पर एक बिल्ली के चित्र की खोज की गई है।
नाज़का लाइन्स (Nazca Lines):
- माना जाता है कि पेरू में पाई जाने वाली ‘नाज़का लाइन्स’ जियोग्लिफ्स का एक समूह या पत्थर, बज़री, काष्ठ जैसे भू-दृश्य के तत्त्वों का उपयोग करते हुए रचनाकारों द्वारा ज़मीन पर तैयार किये गए बड़े डिज़ाइन हैं।
- माना जाता है कि इन नक्काशियों के आकार, निरंतरता, प्रकृति एवं गुणवत्ता के कारण ये सबसे बड़े पुरातात्त्विक रहस्य हैं।
- ज़मीन पर निर्मित ये चित्र आकार में इतने बड़े हैं कि इनको किसी ड्रोन या हेलीकॉप्टर से देखा एवं कैप्चर किया जा सकता है।
- ये आकृतियाँ दक्षिणी पेरू के शुष्क पम्पा कोलोराडा (Pampa Colorada) की सतह पर 2 सहस्राब्दियों से अधिक पहले खींची गई थीं। जियोग्लिफ्स के इस समूह में विभिन्न विषयों (मुख्य रूप से पौधों एवं जानवरों) को दर्शाया गया है। जैसे- पेलिकन (Pelicans- लगभग 935 फीट लंबा सबसे बड़ा आकार), ऐंडेअन कोंडोर्स (Andean Condors- 443 फीट), बंदर (360 फीट), हमिंगबर्ड (Hummingbirds-165 फीट) एवं मकड़ी (150 फीट)।
- इनमें कुछ ज्यामितीय आकार जैसे- त्रिभुज, ट्रेपेज़ोइड (Trapezoid) और चक्राकार (Spiral) भी शामिल हैं जो खगोलीय कार्यों से संबंधित हैं।
- नाज़का लाइन्स की खोज पहली बार वर्ष 1927 में हुई थी और वर्ष 1994 में यूनेस्को द्वारा इन्हें विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।
कैट जियोग्लिफ्स (Cat Geoglyphs):
- जियोग्लिफ्स (Geoglyphs)
- जियोग्लिफ्स बड़े आकार (आमतौर पर 4 मीटर से अधिक) के चित्र होते हैं जिन्हें ज़मीन पर पत्थरों, बजरी, क्लास्टिक (Clastic) चट्टानों या टिकाऊ तत्त्वों द्वारा निर्मित किया जाता है।
- हाल ही में खोजे गए कैट जियोग्लिफ्स के बारे में माना जाता है कि यह नक्काशी पहले से प्राप्त नाज़का आकृतियों की तुलना में काफी पुरानी है जिसे पुरातत्त्वविदों ने COVID-19 महामारी के दौरान खोजा था।
- क्षैतिज रूप से देखने पर यह आकृति 37 मीटर लंबी है और इसका समय 500 ईसा पूर्व - 200 ईस्वी के मध्य बताया गया है।
दक्षिण अमेरिकी देश: पेरू
- पेरू प्रशांत महासागर के तट पर अवस्थित है तथा पाँच देशों के साथ सीमा-रेखा बनता है, जो निम्न है- उत्तर दिशा में इक्वाडोर, कोलंबिया, पूर्व में ब्राज़ील, दक्षिण-पूर्व में बोलिविया तथा दक्षिण में चिली।
- पेरू दक्षिण अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा (क्षेत्रफल में) देश है।
- पेरू ‘ऐंग्लोबीज’ नामक मछली का सर्वाधिक उत्पादन करता है।
- अमेज़न नदी का उद्गम एंडीज पर्वत, पेरू से होता है, जबकि यह अपना जल अटलांटिक महासागर में गिराती है। विषुवत रेखा, अमेज़न नदी के मुहाने से होकर गुज़रती है।
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस
National Deworming Day
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस (National Deworming Day) के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिये केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (National Centre for Disease Control- NCDC) और अन्य भागीदारों के नेतृत्त्व में अनुवर्ती सर्वेक्षण शुरू किया।
राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस
(National Deworming Day):
- राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस एक दिन का कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता तक पहुँच, पोषण संबंधी स्थिति एवं बच्चों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिये बच्चों को परजीवी आंत्र कृमि संक्रमण से मुक्त करने के लिये दवा उपलब्ध कराना है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस (National Deworming Day) को वर्ष 2015 में शुरू किया गया था।
- यह कार्यक्रम स्कूलों एवं आँगनवाडी संस्थाओं के ज़रिये द्विवर्षीय एकल दिवस कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है।
मृदा-संचारित कृमि संक्रमण
(Soil-Transmitted Helminthiases- STH):
- STH जिसे आँतों के परजीवी कीड़ा संक्रमण के रूप में भी जाना जाता है, भारत में एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है।
- यह ज़्यादातर मलिन बस्तियों में पाया जाता है। यह बच्चों के शारीरिक विकास और स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालता है तथा एनीमिया एवं कुपोषण का कारण बन सकता है।
एल्बेंडाजोल टैबलेट (Albendazole Tablet):
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) द्वारा अनुमोदित एल्बेंडाजोल टैबलेट (Albendazole Tablet) का उपयोग विश्व स्तर पर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Mass Drug Administration- MDA) कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में बच्चों एवं किशोरों में आँतों के कीड़े के इलाज के लिये किया जाता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देश
- विश्व स्वास्थ्य संगठन नियमित अंतराल पर कृमि निवारण (डीवर्मिंग) की सलाह देता है, ताकि मलिन बस्तियों में रहने वाले बच्चों एवं किशोरों के शरीर से कृमि संक्रमण को समाप्त किया जा सके तथा उन्हें बेहतर पोषण एवं स्वस्थ जीवन उपलब्ध कराया जा सके।
STH के संबंध में भारत की स्थिति:
- वर्ष 2012 में मृदा-संचारित कृमि संक्रमण (STH) पर प्रकाशित विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 1-14 वर्ष आयु वर्ग के 64% बच्चे STH के जोखिम के दायरे में थे।
- भारत में इस वर्ष की शुरुआत में कृमि निवारण (डीवर्मिंग) के अंतिम दौर में (जो COVID-19 महामारी के कारण रुका हुआ था) 25 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 11 करोड़ बच्चों एवं किशोरों को एल्बेंडाजोल की गोली दी गई।
- भारत में STH का आकलन करने के लिये केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रव्यापी बेसलाइन STH मैपिंग के समन्वय और संचालन के लिये नोडल एजेंसी के रूप में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) को ज़िम्मेदारी दी है।
अनुवर्ती सर्वेक्षण से संबंधित आँकड़े:
- यह अनुवर्ती सर्वेक्षण केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा नियुक्त उच्च स्तरीय वैज्ञानिक समिति (High Level Scientific Committee- HLSC) के निर्देशन में संचालित किया गया।
- अब तक 14 राज्यों में अनुवर्ती सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। बेसलाइन प्रसार सर्वेक्षण की तुलना में सभी 14 राज्यों के अनुवर्ती सर्वेक्षण में कृमि प्रसार में कमी देखी गई है और छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, सिक्किम, तेलंगाना, त्रिपुरा, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा बिहार में कृमि प्रसार में पर्याप्त कमी आई है।
गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय कृमि निवारण दिवस के कार्यान्वयन का नेतृत्त्व महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा उसके तकनीकी सहयोगियों की मदद से पूरा कर रहा है।
भारत का पहला मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क
India’s first Multi-modal Logistic Park
20 अक्तूबर, 2020 को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने असम के जोगीघोपा (Jogighopa) में देश के पहले मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क (Multi-modal Logistic Park- MMLP) की आधारशिला रखी।
प्रमुख बिंदु:
- 693.97 करोड़ रुपए की लागत वाले इस पार्क से लोगों को सीधे हवाई, सड़क, रेल और जलमार्ग कनेक्टिविटी की सुविधा मिल सकेगी।
- इस पार्क का विकास भारत सरकार की महत्त्वाकांक्षी ‘भारतमाला परियोजना’ के तहत किया जाएगा।
- इसके निर्माण का पहला चरण वर्ष 2023 तक पूरा होगा।
राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड
(National Highways and Infrastructure Development Corporation- NHIDCL):
- इस मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क का निर्माण ‘राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड’ (National Highways and Infrastructure Development Corporation- NHIDCL) द्वारा असम के जोगीघोपा में किया जा रहा है जो सड़क, रेल, वायु और जलमार्ग से जुड़ा होगा।
- NHIDCL केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार की एक पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है।
- यह कंपनी पड़ोसी देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा साझा करने वाले देश के हिस्सों में अंत: परस्पर संबद्ध (इंटर-कनेक्टिंग) सड़कों सहित राष्ट्रीय राजमार्ग एवं रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सड़कों को उन्नत बनाने, सर्वेक्षण, स्थापना, डिज़ाइन तैयार करने, निर्माण, संचालन, अनुरक्षण एवं उन्नयन करने का कार्य करती है।
मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क की अवस्थिति:
- यह लॉजिस्टिक पार्क ब्रह्मपुत्र नदी से लगी 317 एकड़ भूमि पर विकसित किया जा रहा है।
लाभ:
- इस परियोजना से असम के लगभग 20 लाख युवाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोज़गार मिलेगा।
- इस MMLP में गोदाम, रेलवे साइडिंग, प्रशीतन गृह, कस्टम क्लीयरेंस हाउस, यार्ड सुविधा, वर्कशॉप, पेट्रोल पंप, ट्रक पार्किंग, प्रशासनिक भवन, रहने एवं खाने-पीने की सुविधाएँ एवं जल उपचार संयंत्र आदि सभी उपलब्ध होंगे।
भारत में अन्य प्रस्तावित मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क:
- केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देश में 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक पार्क (MMLP) विकसित करने की परिकल्पना की है।
- इन सभी MMLP के लिये 'स्पेशल पर्पज़ व्हीकल' ( Special Purpose Vehicles- SPVs) का गठन किया जाएगा और प्रत्येक के लिये पेशेवर तौर पर योग्य सीईओ की नियुक्ति की जाएगी।
- नागपुर के वर्धा ड्राई पोर्ट क्षेत्र में JNPT के साथ 346 एकड़ MMLP के लिये प्रारंभिक रिपोर्ट और मास्टर प्लान तैयार किया गया है।
- इसके अतिरिक्त पंजाब, सूरत, मुंबई, इंदौर, पटना, हैदराबाद, विजयवाड़ा, कोयंबटूर, बंगलूरू, संगरूर, चेन्नई बंदरगाह के पास, पुणे, अहमदाबाद, राजकोट, कांडला, वडोदरा, लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, भटिंडा, हिसार, अंबाला, कोटा, जयपुर, जगतसिंहपुर, सुंदरनगर, दिल्ली, कोलकाता, पुणे, नासिक, पणजी, भोपाल, रायपुर एवं जम्मू में MMLP प्रस्तावित हैं।
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव-2020
India International Science Festival-2020
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (India International Science Festival- IISF) का 6वाँ संस्करण 22 से 25 दिसंबर, 2020 तक वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया जाएगा।
प्रमुख बिंदु:
IISF, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित मंत्रालयों एवं भारत सरकार के विभागों तथा विज्ञान भारती (Vijnana Bharati) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम है।
विज्ञान भारती (Vijnana Bharati):
- विज्ञान भारती या विभा (VIBHA), जिसे पहले ‘स्वदेशी साइंस मूवमेंट’ (Swadeshi Science Movement) के रूप में जाना जाता है, भारत में एक गैर-लाभकारी संगठन है जो आयुर्वेद, सिद्ध चिकित्सा और वास्तुविद्या जैसे प्राचीन विज्ञानों को लोकप्रिय बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
- ‘स्वदेशी साइंस मूवमेंट’ की स्थापना वर्ष 1982 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलूरू में प्रो. के. आई. वासु (Prof. K. I. Vasu) द्वारा की गई थी।
- वर्ष 1991 में इसका नाम बदलकर विज्ञान भारती कर दिया गया।
- इसके वर्तमान में 20,000 सदस्य हैं और भारत के 23 राज्यों में इसकी इकाइयाँ विद्यमान हैं।
- IISF भारत और विदेशी छात्रों, नवोन्मेषकों, शिल्पकारों, किसानों, वैज्ञानिकों तथा टेक्नोक्रेट्स के साथ भारत की वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति की उपलब्धियों को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का महोत्सव है।
- IISF 2020 में भारतीय और विदेशी युवाओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में वैज्ञानिक एवं संस्थानों की भागीदारी की उम्मीद जताई गई है।
- वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) अन्य सभी संबंधित मंत्रालयों एवं विभागों के समर्थन के साथ IISF 2020 के आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
- उल्लेखनीय है कि पहला और दूसरा IISF नई दिल्ली में, तीसरा चेन्नई में, चौथा लखनऊ में और पाँचवाँ IISF कोलकाता में आयोजित किया गया था।