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प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 21 फरवरी, 2020

  • 21 Feb 2020
  • 14 min read

वन सलाहकार समिति

Forest Advisory Committee

वन सलाहकार समिति (Forest Advisory Committee-FAC) ने सिफारिश की है कि राज्य सरकारों/ केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिपूरक वनीकरण (Compensatory Afforestation) के लिये मौजूदा लागत मॉडल में पॉलिथीन बैग के स्थान पर वैकल्पिक बायोडिग्रेडेबल बैग की लागत को शामिल किया जाए।

मुख्य बिंदु:

  • भारत सरकार ने वर्ष 2016 में संशोधित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों (Plastic Waste Management Rules) के तहत 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगा दिया, साथ ही कई राज्य सरकारों ने पॉलिथीन बैग के साथ-साथ एकल उपयोग प्लास्टिक पर भी प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2018-19 में बताया कि भारत प्रतिवर्ष लगभग 3.6 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है।
    • भारत कचरा संग्राहकों और पुनर्चक्रण करने वालों के अनौपचारिक नेटवर्क की एक शृंखला के माध्यम से 60% कचरे का पुनर्नवीनीकरण करता है जो वैश्विक औसत के 20% से तीन गुना अधिक है।

प्रतिपूरक वनीकरण

(Compensatory Afforestation):

  • प्रतिपूरक वनीकरण का आशय आधुनिकीकरण तथा विकास के लिये काटे गए वनों के स्थान पर नए वनों को लगाने से है। अर्थात् उद्योगों द्वारा वनों के नुकसान की प्रतिपूर्ति के लिये वैकल्पिक भूमि का अधिग्रहण किया जाता है तथा उसमें अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने के लिये वे राज्य के वन विभाग को भुगतान करते हैं।

प्रतिपूरक वनीकरण फंड

(Compensatory Afforestation Fund):

  • इसके तहत गैर-वानिकी गतिविधियों के लिये उपयोग की जाने वाली वन भूमि को परिवर्तित करने के लिये परियोजनाओं के समर्थकों से धन एकत्र किया जाता है। यह वृक्षारोपण के लिये धन का एक प्रमुख स्रोत है।
  • अगस्त 2019 तक प्रतिपूरक वनीकरण गतिविधियों के लिये 47,436 करोड़ रुपए की राशि राज्यों को भेजी जा चुकी है।

वन सलाहकार समिति (FAC) के बारे में

  • वन सलाहकार समिति (FAC) एक शीर्ष निकाय है जो औद्योगिक गतिविधियों के लिये वनों में पेड़ों की कटाई की अनुमति पर निर्णय लेता है।
  • वन सलाहकार समिति (Forest Advisory Committee-FAC) केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change-MOEF&CC) के अंतर्गत काम करती है जिसमें केंद्र के वानिकी विभाग के स्वतंत्र विशेषज्ञ और अधिकारी शामिल होते हैं।

तिरूर वेटिला

Tirur Vettila

वर्ष 2019 में जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री ऑफ इंडिया ने केरल के तिरूर वेटिला (Tirur Vettila) को भौगोलिक संकेत (Geographical Indication- GI) टैग दिया।

Tirur-Vettila

मुख्य बिंदु:

  • तिरूर वेटिला एक प्रकार का पान (Betel Leaf) है जो केरल के मलप्पुरम ज़िले के तिरूर और आस-पास के इलाकों में उगाया जाता है।
  • तिरूर वेटिला के ताज़े पत्तों में क्लोरोफिल और प्रोटीन की उच्च मात्रा पाई जाती है।
  • तिरूर वेटिला में अद्वितीय स्वाद एवं सुगंध जैसी कुछ विशेष जैव रासायनिक विशेषताएँ होती हैं।
  • इसकी तीक्ष्णता का कारण इसमें उपस्थित यूजेनॉल (Eugenol) नामक प्रमुख तेल है।
  • इसके पत्ते पौष्टिक होते हैं और इसमें एंटीकार्सिनोजेंस (Anticarcinogens) होता है जो कैंसर प्रतिरोधी दवाओं में प्रयोग किया जाता है।
  • बेटेल वाइन (Betel Vine) में इम्युनोसप्रेसिव (Immunosuppressive) गतिविधि और रोगाणुरोधी जैसी विशेषताएँ भी पाई जाती हैं।
  • केरल कृषि विश्वविद्यालय की बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights- IPR) सेल को जीआई पंजीकरण की सुविधा प्रदान किये जाने के कारण भारत सरकार का राष्ट्रीय आईपी पुरस्कार, 2019 (National IP Award, 2019) मिला है।

केरल के अन्य जीआई उत्पाद:

  • कैपड़ चावल (Kaipad Rice), पोक्कली चावल (Pokkali Rice), वायनाड जीराकसला चावल (Wayanad Jeerakasala Rice), वायनाड गंधकसाला चावल (Wayanad Gandhakasala Rice), वाझाकुलम अनन्नास (Vazhakulam Pineapple), मरयूर गुड़ (Marayoor Jaggery), सेंट्रल त्रावणकोर गुड़ (Central Travancore Jaggery) और चेंगालिकोडन नेन्ड्रान (Chengalikodan Nendran)।

राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान

National Rail & Transportation Institute

रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) ने राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान (National Rail & Transportation Institute-NRTI) में अगली पीढ़ी की परिवहन प्रणालियों के विकास के लिये बर्मिंघम विश्वविद्यालय (University of Birmingham) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।

मुख्य बिंदु:

  • इस समझौते के तहत अगली पीढ़ी की परिवहन प्रणालियों के विकास के लिये एक उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) की स्थापना की जाएगी।
  • यह पहल राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान के छात्रों को बर्मिंघम सेंटर फॉर रेलवे रिसर्च एंड एजुकेशन (BCRRE) में रेलवे सिस्टम संबंधी विश्व स्तर की विशेषज्ञता और सुविधाओं तक पहुँच प्रदान करके लाभान्वित करेगी।

राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान

(National Rail & Transportation Institute)

  • राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान (NRTI) वड़ोदरा (गुजरात) में स्थित भारत का पहला रेल विश्वविद्यालय है जो परिवहन प्रणाली से संबंधित शिक्षा, बहु-विषयक अनुसंधान और प्रशिक्षण पर केंद्रित है।
  • इस विश्‍वविद्यालय को यू.जी.सी. की नोवो श्रेणी (Novo Category) नियमन (Institutions Deemed to be Universities, Regulations), 2016 के अंतर्गत मानित विश्‍वविद्यालय के रूप में स्‍थापित किया गया है।
  • राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान (NRTI) का उद्देश्य अंतःविषयक केंद्रों का विकास करना है जो परिवहन क्षेत्र में अनुसंधान एवं शिक्षा को बढ़ावा देने में सहायक होंगे। इस संस्थान को विशेष रूप से रेलवे तथा अन्य परिवहन क्षेत्र के लिये सर्वश्रेष्ठ श्रेणी के पेशेवरों का पूल निर्मित करने के लिये स्थापित किया गया है।
  • राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान (NRTI) भारत के परिवहन क्षेत्र की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये डिज़ाइन किये गए कार्यक्रमों को लागू करने की पेशकश करता है। यह संस्थान उद्योगों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए मांग आधारित पाठ्यक्रम को बढ़ावा देता है।
  • राष्ट्रीय रेल एवं परिवहन संस्थान (NRTI) विश्व के शीर्ष विश्वविद्यालयों एवं संगठनों के साथ वैश्विक तथा राष्ट्रीय साझेदारी विकसित करने पर केंद्रित है।

बर्मिंघम विश्वविद्यालय (University of Birmingham):

  • बर्मिंघम विश्वविद्यालय (यूनाइटेड किंगडम) में स्थापित बर्मिंघम सेंटर फॉर रेलवे रिसर्च एंड एजुकेशन (BCRRE) में 150 से अधिक शिक्षाविद, शोधकर्त्ता और पेशेवर कर्मचारी काम करते हैं जो वैश्विक रेल उद्योग के लिये विश्व स्तरीय अनुसंधान, शिक्षा और नेतृत्व प्रदान करते हैं।
  • BCRRE यूरोप में विश्वविद्यालय आधारित रेलवे अनुसंधान एवं शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र है जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, वायुगतिकी ( Aerodynamics) और अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्किंग, पावर सिस्टम और ऊर्जा उपयोग प्रणाली, रेलवे नियंत्रण एवं संचालन सिमुलेशन में उच्च शैक्षिक कार्यक्रमों, अनुसंधान एवं नवाचारों के साथ-साथ विश्व की अग्रणी नई तकनीकों को विकसित करना है।

मातृभाषा दिवस

Matribhasha Diwas

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) द्वारा पूरे देश में 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस (Matribhasha Diwas) मनाया जाता है।

थीम:

  • इस वर्ष मातृभाषा दिवस की थीम ‘हमारी बहुभाषी विरासत का उत्सव मनाना’ (Celebrating our Multilingual Heritage) है जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को दर्शाती है।

उद्देश्य:

  • मातृभाषाओं के उपयोग को बढ़ावा देने और निम्नलिखित उद्देश्यों को हासिल करने के लिये प्रत्येक वर्ष 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस मनाने का निर्णय लिया गया है।
    1. भारत की भाषायी विविधता को चिंहित करना।
    2. न केवल संबंधित मातृभाषा बल्कि अन्य भारतीय भाषाओं के भी उपयोग को प्रोत्साहित करना।
    3. भारत में संस्कृतियों की विविधता और साहित्य, शिल्प, प्रदर्शन कला, लिपियों एवं रचनात्मक अभिव्यक्ति के अन्य रूपों को समझना तथा ध्यान आकर्षित करना।
    4. अपनी मातृभाषा के अलावा अन्य भाषाओं को सीखने के लिये प्रोत्साहित करना।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय शिक्षण संस्थानों और भाषा संस्थानों के साथ मिलकर पिछले तीन वर्षों से (वर्ष 2017 से) मातृभाषा दिवस मना रहा है।
  • इस वर्ष भी शैक्षणिक संस्थान वक्तृत्व, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, गायन, निबंध लेखन प्रतियोगिताओं, चित्रकला प्रतियोगिताओं, संगीत एवं नाट्य मंचनों, प्रदर्शनियों, ऑनलाइन संसाधन एवं क्रियाकलापों जैसी गतिविधियों के साथ-साथ संज्ञानात्मक, आर्थिक, सामाजिक एवं बहुभाषी सांस्कृतिक क्रियाकलापों और कम-से-कम दो या अधिक भाषाओं में भारत की भाषायी एवं विविध संपदा को दर्शाने वाली प्रदर्शनियों का आयोजन करेगा।

International-mother-language

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

(International Mother Language Day):

  • भाषायी एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये प्रतिवर्ष 21 फरवरी को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस यूनेस्को के कैलेंडर कार्यक्रमों का एक हिस्सा है।
  • इसकी घोषणा यूनेस्को द्वारा 17 नवंबर, 1999 को की गई थी जिसे औपचारिक रूप से वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly- UNGA) ने मान्यता दी।
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने सदस्य राष्‍ट्रों से विश्व भर के लोगों द्वारा इस्‍तेमाल की जाने वाली सभी भाषाओं के संरक्षण को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
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