प्रिलिम्स फैक्ट्स: 20 अगस्त, 2020 | 20 Aug 2020
ट्राइब्स इंडिया ऑन व्हील्स
Tribes India On Wheels
19 अगस्त, 2020 को केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश के 31 शहरों में ‘ट्राइब्स इंडिया ऑन व्हील्स’ (Tribes India On Wheels) मोबाइल वैन को झंडी दिखाकर रवाना किया।
प्रमुख बिंदु:
- इन मोबाइल वैनों को अहमदाबाद, प्रयागराज, बंगलुरु, भोपाल, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जगदलपुर, खूंटी, मुंबई एवं राँची जैसे कुछ शहरों में भेजा गया है।
- COVID-19 के मद्देनज़र ट्राइफेड (TRIFED) की यह नई पहल सुनिश्चित करती है कि किसी भी व्यक्ति को जैविक, प्राकृतिक रूप से प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले ज़रूरी उत्पादों को खरीदने के साथ एक सतत् एवं गुणवत्तापूर्ण जीवनशैली को अपनाने के लिये घर से बाहर निकलने की ज़रूरत न पड़े।
- मोबाइल वैन के द्वारा ट्राइफेड जनजातीय लोगों द्वारा तैयार किये गए उत्पादों को देश के विभिन्न इलाकों में ग्राहकों तक सीधे पहुँचा रहा है और साथ ही इन उत्पादों पर छूट देने की पेशकश भी की जा रही है।
- इन उत्पादों की बिक्री से प्राप्त आय सीधे जनजातीय लोगों के पास जाएगी जिससे COVID-19 के दौरान उनकी आमदनी को बरकरार रखने में मदद मिलेगी।
- जनजातीय उत्पादों की बिक्री सुनिश्चित करने और बिक्री से प्राप्त आय प्रभावित आदिवासी परिवारों तक पहुँचाने के लिये ट्राइफेड ने उत्पादों पर अधिक छूट देते हुए बिक्री के लिये ट्राइब्स इंडिया वेबसाइट, अमेज़न, फ्लिपकार्ट एवं GeM जैसे अन्य खुदरा प्लेटफार्मों का उपयोग करने की भी योजना बनाई है।
ट्राइफेड की अन्य पहल:
- COVID-19 के दौरान ‘गो वोकल फॉर लोकल’ (Go Vocal for Local) को ‘गो वोकल फॉर लोकल गो ट्राइबल’ (Go Vocal for Local Go Tribal) के रूप में अपनाने के लिये ट्राइफेड अपने मौजूदा कार्यक्रमों एवं कार्यान्वयनों के अलावा अनेक अग्रणी पहलों को लागू करके संकटग्रस्त एवं प्रभावित जनजातीय लोगों की स्थिति सुधारने का प्रयास कर रहा है।
प्रकाश पर्व
Prakash Purab
19 अगस्त, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री ने पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ (Guru Granth Sahib) के प्रकाश पर्व (Prakash Purab) पर देशवासियों को शुभकामनाएँ दी।
प्रमुख बिंदु:
- वर्ष 1604 में, प्रथम प्रकाश पर्व उत्सव हरमंदिर साहिब (Harmandir Sahib) में गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib) की स्थापना के रूप में मनाया गया था जिसे स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) के नाम से भी जाना जाता है।
‘गुरु ग्रंथ साहिब’ (Guru Granth Sahib):
- सिख धर्म में गुरु ग्रंथ साहिब को शाश्वत गुरु का दर्जा दिया गया है इसी कारण इसे ‘आदि ग्रंथ’ के रूप में भी जाना जाता है। यह सिख धर्म का प्रमुख धार्मिक ग्रंथ है।
- आदि ग्रंथ (पहला प्रतिपादन) को सिख धर्म के पाँचवें गुरु ‘गुरु अर्जुन देव’ द्वारा संकलित किया गया था।
- इस आदि ग्रंथ में सिख धर्म के दसवें गुरु ‘गुरु गोविंद सिंह’ ने अपना कोई भजन नहीं जोड़ा। हालाँकि उन्होंने नौवें सिख गुरु ‘गुरु तेग बहादुर’ के सभी 115 भजनों को जोड़ा और उनके उत्तराधिकारी के रूप में पाठ की पुष्टि की।
- इस दूसरी प्रस्तुति को गुरु ग्रंथ साहिब के रूप में जाना जाता है और कभी-कभी इसे आदि ग्रंथ भी कहा जाता है।
- इस आदि ग्रंथ में सिख धर्म के दसवें गुरु ‘गुरु गोविंद सिंह’ ने अपना कोई भजन नहीं जोड़ा। हालाँकि उन्होंने नौवें सिख गुरु ‘गुरु तेग बहादुर’ के सभी 115 भजनों को जोड़ा और उनके उत्तराधिकारी के रूप में पाठ की पुष्टि की।
- गुरु ग्रंथ साहिब को गुरमुखी लिपि में विभिन्न भाषाओं में लिखा गया है, जिसमें लाहंडा (Lahnda), ब्रजभाषा, कौरवी, संस्कृत, सिंधी एवं फारसी शामिल हैं।
- ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ की रचना मुख्य रूप से 6 सिख गुरुओं (गुरु नानक, गुरु अंगद, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जुन देव एवं गुरु तेग बहादुर) द्वारा की गई थी।
- इसमें भक्ति आंदोलन से संबंधित 13 संत कवियों एवं दो सूफी मुस्लिम कवियों की काव्य शिक्षाएँ भी शामिल हैं।
- गुरु ग्रंथ साहिब की मूल चेतना ‘किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के बिना दैवीय न्याय (Divine Justice) पर आधारित समाज की स्थापना’ पर आधारित है।
- वर्ष 1604 में आदि ग्रंथ का पहला संस्करण पूरा हुआ जिसे आधिकारिक रूप से गुरु अर्जुन देव द्वारा अनुमोदित किया गया और इसे स्वर्ण मंदिर में स्थापित किया गया था जहाँ बाबा बुद्ध (Baba Buddha) इसके पहले ग्रन्थि या पाठक थे।
पीएम स्वनिधि योजना
PM Svanidhi Scheme
हाल ही में केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री ने 125 शहरों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों एवं विभिन्न राज्यों के शहरी विकास मंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म-निर्भर निधि (Prime Minister Street Vendors AtmaNirbhar Nidhi- PM SVANidhi) योजना अर्थात् पीएम स्वनिधि योजना (PM Svanidhi Scheme) के संदर्भ में बातचीत की।
प्रमुख बिंदु:
- यह योजना रेहड़ी वालों (स्ट्रीट विक्रेताओं) को अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करने के लिये कार्यशील पूंजी हेतु ऋण उपलब्ध कराने के लिये शुरू की गई है।
- यह योजना विक्रेताओं को ऋण सुविधा प्रदान करती है किंतु यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे उत्पीड़न मुक्त वातावरण में व्यापार करने में सक्षम हैं।
शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Body) के अधिकारियों के लिये मोबाइल एप:
- इस अवसर पर केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री ने शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Body) के अधिकारियों के लिये एक मोबाइल एप लॉन्च किया।
- यह एप ऋण के आवेदन हेतु यूएलबी अधिकारियों के लिये उपयोगकर्त्ता के अनुकूल डिजिटल इंटरफेस उपलब्ध कराएगा।
पीएम स्वनिधि योजना (PM Svanidhi Scheme):
- इस योजना की शुरुआत 1 जून, 2020 को केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा COVID-19 के मद्देनज़र लॉकडाउन से प्रभावित छोटे दुकानदारों एवं फेरीवालों (Street Venders) को आर्थिक रूप से सहयोग प्रदान करने के लिये की गई थी।
- लक्ष्य: इस योजना का लक्ष्य 50 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडरों को, जो 24 मार्च, 2020 को या उससे पहले अर्द्ध शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों के निकट या शहरी क्षेत्रों में फेरी लगा रहे थे, लाभ पहुँचाना है।
- इस योजना के तहत छोटे दुकानदार 10,000 रुपए तक के ऋण के लिये आवेदन कर सकते हैं जो एक वर्ष की अवधि में मासिक किस्तों में पुनर्भुगतानयोग्य है।
सतलज यमुना लिंक नहर
Sutlej Yamuna Link Canal
हाल ही में पंजाब के मुख्यमंत्री ने सतलज यमुना लिंक नहर [Sutlej Yamuna Link (SYL) Canal] परियोजना का विरोध और यमुना नदी के जल के लिये दावा करते हुए केंद्र सरकार से कहा कि यदि इस परियोजना के साथ आगे बढ़ने के लिये मजबूर किया गया तो पंजाब की आतंरिक स्थिति बिगड़ सकती है।
प्रमुख बिंदु:
- सतलज यमुना लिंक नहर परियोजना से संबंधित मुद्दे पर एक प्राधिकरण के गठन की मांग करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि SYL मुद्दा राष्ट्र की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
- उल्लेखनीय है कि भारत के पंजाब राज्य की लगभग 425 किलोमीटर लंबी पश्चिमी सीमा पाकिस्तान से संबद्ध है।
SYL मुद्दा पुनः क्यों चर्चा में है?
- 28 जुलाई, 2020 को उच्चतम न्यायालय द्वारा पंजाब एवं हरियाणा के मुख्यमंत्रियों को SYL नहर मुद्दे पर आपस में बातचीत एवं इसका निपटारा करने का निर्देश देने के बाद यह मुद्दा फिर से चर्चा के केंद्र में आ गया।
- इससे पहले इस मुद्दे से संबंधित दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के बीच बैठकें हो रही थीं। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की मध्यस्थता में उच्चतम राजनीतिक स्तर पर बैठक करने के लिये कहा ताकि SYL नहर मुद्दे पर एक आम सहमति बनाई जा सके।
- परिणामतः केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने 18 अगस्त, 2020 को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक आयोजित की।
- ‘एसवाईएल कारजीवनाल (SYL Carajivnal) का निर्माण पूरा हो जाना चाहिये’ इस मुद्दे को लेकर यह बैठक अनिर्णायक रही।
SYL मुद्दा से संबंधित राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा:
- पंजाब में आतंकवाद की शुरुआत 1980 के दशक की शुरुआत में हुई जब सतलज यमुना लिंक नहर परियोजना पर कार्य शुरू हुआ।
- जब अप्रैल, 1982 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पंजाब के कपूरी गांव में SYL का निर्माण कार्य शुरू करवाया तो अकाली दल ने पानी के प्रस्तावित बँटवारे के विरोध में कपूरी मोर्चा (Kapoori Morcha) के रूप में आंदोलन चलाया।
- जुलाई 1985 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन शिअद (शिरोमणि अकाली दल) प्रमुख हरचंद सिंह लोंगोवाल ने नए न्यायाधिकरण के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। जिसके बाद 20 अगस्त, 1985 को हरचंद सिंह लोंगोवाल की आतंकवादियों ने हत्या कर दी।
- इसके बाद SYL परियोजना के निर्माण में लगे इंजीनियरों की भी आतंकवादियों ने हत्या की।
पंजाब सरकार द्वारा नए न्यायाधिकरण की माँग क्यों?
- पंजाब सरकार चाहती है कि एक न्यायाधिकरण जल की उपलब्धता का नये तरीके से समयबद्ध आकलन करे।
- पंजाब सरकार के अनुसार, पंजाब की नदियों के जल का कोई वैज्ञानिक आकलन नहीं हुआ है।
- भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (Bhakra Beas Management Board- BBMB) के अनुसार, रावी-ब्यास नदी के जल की उपलब्धता वर्ष 1981 में अनुमानित 17.17 मिलियन एकड़ फीट (Million Acre Feet- MAF) से घटकर वर्ष 2013 में 13.38 MAF हो गई थी।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (Bhakra Beas Management Board- BBMB):
- BBMB, भाखड़ा नांगल एवं ब्यास परियोजनाओं से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली एवं चंडीगढ़ को पानी व बिजली की आपूर्ति के नियमन का कार्य करता है।
पंजाब, जल साझा क्यों नहीं करना चाहता?
- पंजाब गेहूं/धान के लिये अपने भूमिगत जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है।
- केंद्रीय भूमिगत जल प्राधिकरण (Central Underground Water Authority) की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के लगभग 79% क्षेत्र में कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये इसके भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन किया जाता है।