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प्रीलिम्स फैक्ट्स: 13 जून, 2020

  • 13 Jun 2020
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वर्ष 1890 का सिक्किम-तिब्बत अभिसमय

Sikkim-Tibet Convention of 1890

मई, 2020 में सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) के एक क्षेत्र नाकु-ला में भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच झड़पों एवं गतिरोध ने वर्ष 1890 के ऐतिहासिक सिक्किम-तिब्बत अभिसमय (Sikkim-Tibet Convention of 1890) को पुनः चर्चा में ला दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 1890 के सिक्किम-तिब्बत अभिसमय के अनुसार, नाकु-ला क्षेत्र का संबंध भारत से है और वर्ष 1975 में सिक्किम के भारत में विलय से पहले चीन ने आधिकारिक रूप से इस सीमांकन को स्वीकार कर लिया था। 

वर्ष 1890 का सिक्किम-तिब्बत अभिसमय:

  • वर्ष 1890 के सिक्किम-तिब्बत अभिसमय को ‘कलकत्ता अभिसमय’ (Convention of Calcutta) के नाम से भी जाना जाता है। 
  • यह यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एवं आयरलैंड तथा तिब्बत से संबंधित किंग (Qing) राजवंश एवं सिक्किम के बीच 19वीं सदी की एक संधि थी। 
  • इस संधि पर भारत के वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन (Lord Lansdowne) और चीनी अम्बान (Chinese Amban) या तिब्बत के निवासी शेंग ताई (Sheng Tai) द्वारा 17 मार्च, 1890 को कलकत्ता में हस्ताक्षर किये गए थे।
  • इस संधि में उल्लिखित आठ अनुच्छेदों में अनुच्छेद (1) सबसे महत्त्वपूर्ण है।
    • इस संधि के अनुच्छेद-1 के अनुसार, सिक्किम और तिब्बत की सीमा को पर्वत श्रृंखला के रूप में परिभाषित किया गया था जो सिक्किम में तीस्ता एवं इसकी सहायक नदियों को तिब्बती मोचू नदी एवं इसके उत्तर में बहने वाली अन्य नदियों से अलग करती थी।  
    • इस संधि के तहत गठित सीमा भूटान के माउंट गिपमोची (Mount Gipmochi) से शुरू होकर संबंधित नदियों के जलक्षेत्र से होते हुए नेपाल सीमा तक जाती है।
    • हालाँकि तिब्बत ने वर्ष 1890 के कन्वेंशन की वैधता को मान्यता देने से मना कर दिया और इसके अलावा उक्त कन्वेंशन के प्रावधानों को लागू करने से भी मना कर दिया।

वर्ष 1904 की संधि: 

  • वर्ष 1904 में ल्हासा में ग्रेट ब्रिटेन और तिब्बत के बीच एक समझौते के रूप में एक अन्य संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • इस अभिसमय के अनुसार, तिब्बत ने वर्ष 1890 के अभिसमय का सम्मान करने और सिक्किम एवं तिब्बत के बीच सीमा को मान्यता देने की सहमति ज़ाहिर की जैसा कि उक्त कन्वेंशन के अनुच्छेद (1) में परिभाषित किया गया है।

वर्ष 1906 की संधि: 

  • 27 अप्रैल, 1906 को पेकिंग (चीन) में ग्रेट ब्रिटेन और चीन के बीच एक संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे जिसने ग्रेट ब्रिटेन और तिब्बत के बीच वर्ष 1904 में हुए अभिसमय की पुष्टि की थी।

भारत- तंज़ानिया संबंध 

India-Tanzania Relation 

12 जून, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री ने तंज़ानिया के राष्‍ट्रपति जोसफ मगुफूली (Joseph Magufuli) से टेलीफोन पर बातचीत करते हुए समग्र द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की।

  • इस वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने भारत और तंज़ानिया के बीच बढ़ती विकास साझेदारी, शैक्षिक संपर्क एवं व्यापार तथा निवेश प्रवाह पर संतोष व्यक्त किया और इस प्रवृत्ति में और तेज़ी लाने की संभावनाओं पर चर्चा की।

Tanzania

प्रमुख बिंदु:

  • भारत और तंज़ानिया के मध्य निम्नलिखित मुद्दे अहम हैं जिन पर दोनों देश समग्र रूप से आगे बढ़ रहे हैं।

(a) समुद्री सुरक्षा:  

  • भारत और तंज़ानिया के मध्य समुद्री सुरक्षा को लेकर एक समान हित है। समुद्री डकैती, सशस्त्र डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी, आतंकवाद जैसे समुद्री क्षेत्र में खतरों से संबंधित मुद्दों को देखते हुए भारत ने समुद्री सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में घोषित किया है।

(b) ऊर्जा क्षेत्र: 

  • भारत ने तंज़ानिया के प्राकृतिक गैस क्षेत्र के विकास में सहयोग करने की पेशकश की।
  • तंज़ानिया में प्राकृतिक गैस की खोज सबसे पहले वर्ष 1974 में सोंगो सोंगो ऑफशोर ब्लॉक (Songo Songo offshore Block) में की गई थी जबकि वर्ष 2010 में पता लगाया गया कि तंज़ानिया के हिंद महासागरीय क्षेत्र में प्राकृतिक गैस के भंडार जमा हैं।
  • यह अनुमान लगाया गया कि तंज़ानिया के प्राकृतिक गैस भंडार 46.5 ट्रिलियन क्यूबिक फीट से अधिक हैं और इनके वर्ष 2016 तक 200 ट्रिलियन क्यूबिक फीट तक बढ़ने का अनुमान है।

तंज़ानिया: एक तथ्यात्मक अध्ययन 

  • तंज़ानिया अफ्रीकी ग्रेट लेक्स क्षेत्र (African Great Lakes Region) के भीतर पूर्वी अफ्रीका का एक देश है।
  • इसके उत्तर में युगांडा, पूर्वोत्तर में केन्या, पूर्व में कोमोरो द्वीप और हिंद महासागर, दक्षिण में मोज़ाम्बिक एवं मलावी, दक्षिण-पश्चिम में ज़ाम्बिया, पश्चिम में रवांडा, बुरुंडी एवं कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य अवस्थित हैं।
  • अफ्रीकी महाद्वीप का सबसे ऊँचा पर्वत माउंट किलिमंजारो तंज़ानिया के उत्तर-पूर्व में अवस्थित है।
  • अफ्रीकी महाद्वीप की तीन महान झीलें आंशिक रूप से तंज़ानिया के भीतर अवस्थित हैं। उत्तरी एवं पश्चिम में विक्टोरिया झील (अफ्रीका महाद्वीप की सबसे बड़ी झील) और टैंगानिका झील ( अफ्रीका महाद्वीप की सबसे गहरी झील) मछली की अनोखी प्रजातियों के लिये जानी जाती है और दक्षिण-पश्चिम में न्यासा झील अवस्थित है।  
  • दार-एस-सलाम (Dar-es-Salaam) तंज़ानिया का सबसे बड़ा शहर एवं बंदरगाह भी है।

लघु कृषक कृषि व्यापार संघ 

Small Farmers’ Agri-Business Consortium

हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री (Union Minister of Agriculture & Farmers’ Welfare) ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने 10000 किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organizations- FPOs) के गठन की घोषणा के अत्यंत महत्त्वपूर्ण कदम सहित कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी सुधार किये हैं। जिसे पूरा करने का दायित्व लघु कृषक कृषि व्‍यापार संघ (Small Farmers’ Agri-Business Consortium- SFAC) का है जो वर्तमान परिस्थितियों में ई-नाम प्लेटफॉर्म को सशक्त बनाने के लिये भी उत्‍तरदायी है।

प्रमुख बिंदु: 

  • SFAC की स्‍थापना के बाद से देश में कृषि क्षेत्र से संबंधित संस्थागत व निजी क्षेत्र के निवेश में काफी प्रगति हुई है।
  • ई-नाम प्लेटफॉर्म के जरिये अब तक एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कारोबार हो चुका है। ई-नाम के तहत अब तक 1.66 करोड़ से ज्यादा किसान तथा 1.30 लाख से अधिक व्यापारियों का पंजीयन हो चुका है। 

लघु कृषक कृषि व्‍यापार संघ

(Small Farmers’ Agri-Business Consortium- SFAC): 

  • यह लघु एवं सीमांत किसानों के लिये किसान हित समूहों, कृषक उत्पादक संगठनों और किसान उत्पादक कंपनियों को संगठित करने का एक अग्रणी संघ है।
  • यह छोटे एवं लघु किसानों तक कृषि निवेशकों की पहुँच और सस्ती दर पर उत्पादों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिये एक मंच उपलब्ध कराता है। इसे दिल्ली किसान मंडी प्रोजेक्ट और राष्ट्रीय कृषि बाज़ार योजना जैसी महत्त्वपूर्ण योजनाओं को ई-प्लेटफॉर्म पर लागू करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। 
    • भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत लघु कृषक कृषि व्यापार संघ द्वारा वर्ष 2014 से ‘दिल्ली किसान मंडी प्रोजेक्ट’ संचालित किया जा रहा है। 
  • यह किसानों को मुक्त कृषि व्यापार के साथ-साथ उचित मूल्य प्रदान करने की सुविधा उपलब्ध कराता है। 

एंटी-वायरल विरोब्लॉक टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी

Anti-viral Viroblock textile technology

टेक्सटाइल क्षेत्र से संबंधित एक प्रमुख कंपनी अरविंद लिमिटेड (Arvind Limited) ने अपने कपड़े एवं परिधान उत्पादों के लिये एक ‘एंटी-वायरल विरोब्लॉक टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी’ (Anti-viral Viroblock textile technology) शुरू करने की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु: 

  • अरविंद कंपनी ने अपने मौजूदा फैब्रिक ब्रांड इंटेलिफैब्रिक (Intellifabrix) के तहत इस तकनीक से युक्त उत्पाद लॉन्च किया है। 
    • अरविंद कंपनी ने 30 मिनट के भीतर परिधान की सतह से कोरोनावायरस सहित अन्य वायरसों को समाप्त करने वाली उन्नत चाँदी एवं पुटिका तकनीक (Advanced Silver and Vesicle Technology) के एक विशेष संयोजन के साथ उत्पादों को पेश करने के लिये ताइवान की प्रमुख केमिकल कंपनी जिनटेक्स कॉरपोरेशन (Jintex Corporation) के साथ मिलकर स्विस टेक्सटाइल इनोवेशन प्रमुख ‘HeiQ Material AG’ के साथ साझेदारी की है।
  • HeiQ विरोब्लॉक NPJ03 (HeiQ Viroblock NPJ03), स्विस टेक्सटाइल इनोवेशन प्रमुख ‘HeiQ Material AG’ द्वारा बनाए गए सबसे उन्नत वैश्विक एंटीवायरल उत्पादों में से एक है जो वायरस संक्रामकता को 99.99% कम करता है।
    • कंपनी का दावा है कि यह COVID-19 पर इस तरह की प्रभावकारिता का दावा करने वाली दुनिया की पहली कपड़ा तकनीकों में से एक है।

HeiQ विरोब्लॉक NPJ03

(HeiQ Viroblock NPJ03): 

  • ‘HeiQ Viroblock NPJ03’ एक इंटेलीजेंस स्विस टेक्सटाइल तकनीक है जिसे कपड़ा निर्माण प्रक्रिया के अंतिम चरण के दौरान कपड़े में जोड़ा जाता है।
  • यह उन्नत चाँदी एवं पुटिका प्रौद्योगिकी (Advanced Silver and Vesicle Technology) का एक विशेष संयोजन है।
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