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प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 11 सितंबर, 2020

  • 11 Sep 2020
  • 15 min read

फाइव स्टार विलेज स्कीम

Five Star Villages Scheme

हाल ही में भारतीय डाक विभाग ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रमुख डाक योजनाओं की सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करने के लिये ‘फाइव स्टार विलेज स्कीम’ (Five Star Villages Scheme) की शुरुआत की है।

Villages-Scheme

प्रमुख बिंदु: 

  • यह योजना विशेष रूप से सुदूरवर्ती गाँवों में डाक सेवाओं के बारे में जन जागरूकता फैलाने तथा डाक उत्पादों एवं सेवाओं को पहुँचाने का प्रयास करेगी।
  • फाइव स्टार गाँवों की योजना के तहत सभी डाक उत्पादों एवं सेवाओं को ग्रामीण स्तर पर उपलब्ध कराके उनका विपणन एवं प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
  • भारतीय डाक विभाग के शाखा कार्यालय ग्रामीणों की सभी संबंधित ज़रूरतों को पूरा करने के लिये वन-स्टॉप शॉप के रूप में कार्य करेंगे। 
  • इस योजना के अंतर्गत आने वाली योजनाओं में शामिल हैं:
    1. बचत बैंक खाते, आवर्ती जमा खाते, एनएससी/केवीपी प्रमाण पत्र 
    2. सुकन्या समृद्धि खाते/पीपीएफ खाते 
    3. वित्त पोषित डाकघर बचत खाता भारतीय डाक पेमेंट बैंक खाते 
    4. पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी/ग्रामीण डाक जीवन बीमा पॉलिसी 
    5. प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना खाता/प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना खाता
  • यदि कोई गाँव उपरोक्त सूची में से चार योजनाओं के लिये सार्वभौमिक कवरेज प्राप्त करता है तो उस गाँव को 4-स्‍टार दर्जा मिल जाएगा और यदि कोई गाँव तीन योजनाओं को पूरा करता है तो उस गाँव को 3-स्‍टार दर्जा दिया जाएगा।
  • इस योजना की शुरुआत महाराष्ट्र से की जाएगी, इसके बाद यहाँ के अनुभव के आधार पर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
    • वर्तमान वित्तीय वर्ष 2020-2021 के दौरान प्रत्येक ज़िले के कुल 50 गाँवों को शामिल किया जाएगा। भारतीय डाक विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय इस योजना में शामिल किये जाने वाले गाँवों की पहचान करेंगे।  

योजना का कार्यान्वयन: 

  • इस योजना को पाँच ग्रामीण डाक सेवकों की टीम द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा जिन्हें डाक विभाग के सभी उत्पादों, बचत एवं बीमा योजनाओं के विपणन के लिये एक गाँव सौंपा जाएगा। 
  • इस टीम का नेतृत्त्व संबंधित शाखा कार्यालय के शाखा पोस्ट मास्टर करेंगे। डाक निरीक्षक दैनिक आधार पर टीम की प्रगति पर व्यक्तिगत निगरानी रखेंगे।

जन जागरूकता अभियान:

  • ग्रामीण डाक सेवकों की टीम सभी पात्र ग्रामीणों को कवर करते हुए सभी योजनाओं के बारे में घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाएगी। 
  • भारतीय डाक का शाखा कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर सूचना प्रदर्शित करके व्यापक प्रचार किया जाएगा।


सरोद पोर्ट्स

SAROD Ports

10 सितंबर, 2020 को केंद्रीय पोत परिवहन मंत्री ने नई दिल्ली में वर्चुअल समारोह के माध्यम से सरोद-पोर्ट्स (SAROD Ports: Society for Affordable Redressal of Disputes Ports) अर्थात् ‘विवादों के किफायती समाधान के लिये समिति’ का शुभारंभ किया।

Sarod-Ports

प्रमुख बिंदु:

  • सरोद-पोर्ट्स की स्थापना सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ की गई है:
    • न्यायपूर्ण तरीके से विवादों का किफायती एवं समयबद्ध समाधान
    • मध्यस्थों के रूप में तकनीकी विशेषज्ञों के पैनल के साथ विवाद समाधान तंत्र का संवर्द्धन 
  • सरोद-पोर्ट्स में ‘इंडियन पोर्ट्स एसोसिएशन’ (Indian Ports Association- IPA) और ‘इंडियन प्राइवेट पोर्ट्स एंड टर्मिनल्स एसोसिएशन’ (Indian Private Ports and Terminals Association- IPTTA) के सदस्य शामिल हैं।
  • सरोद-पोर्ट्स समुद्री क्षेत्र में मध्यस्थों के माध्यम से विवादों के निपटान में सलाह एवं सहायता प्रदान करेंगे जिनमें प्रमुख सार्वजनिक बंदरगाह एवं निजी बंदरगाह, जेटी, टर्मिनल, गैर-प्रमुख बंदरगाह, पोर्ट एवं शिपिंग क्षेत्र शामिल हैं।
  • यह प्राधिकरण एवं लाइसेंसधारी/रियायत प्राप्तकर्त्ता/ ठेकेदारों के बीच विवादों को भी निपटायेगा और विभिन्न अनुबंधों के निष्पादन के दौरान लाइसेंसधारी/रियायत प्राप्तकर्त्ता और उनके ठेकेदारों के बीच होने वाले विवाद भी इसमें शामिल होंगे।
  • उल्लेखनीय है कि सरोद–पोर्ट्स के प्रावधान राजमार्ग क्षेत्र में NHAI द्वारा गठित सरोद–रोड्स (SAROD-Roads) के समान हैं।  


दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के लिये डब्ल्यूएचओ का 73वाँ सत्र

73rd session of WHO South East Asia Region

10 सितंबर, 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र  के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO South East Asia Region) के 73वें सत्र में भाग लिया।  

प्रमुख बिंदु:

  • इस अवसर पर सभी सदस्य राष्ट्रों ने क्षेत्रीय एकजुटता के महत्त्व को पहचानते हुए COVID-19 के मद्देनज़र लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों अर्थात् ‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एवं स्वास्थ्य आपात स्थिति पर दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय फ्लैगशिप’ (South-East Asia Regional Flagships on Universal Health Coverage and Health Emergencies- SEARHEF) जो आपातकालीन जोखिम प्रबंधन में क्षमता को बढ़ावा देती है, पर चर्चा की।
  • SEARHEF, सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात परिस्थितियों के दौरान तेज़ी से वित्तीय संसाधन प्रदान करती है। 
    • इसे वर्ष 2019 के दिल्ली घोषणापत्र में आपातकाल स्थितियों के लिये स्वीकार किया गया था। 
    • यह आपदा जोखिम प्रबंधन और COVID-19 के मद्देनज़र आपातकालीन जोखिम प्रबंधन एवं आपातकालीन तैयारियों में क्षमता बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है।   
  • इस सत्र में निम्नलिखित मुद्दों पर सहमति बनी:
    • गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सेवाओं (COVID-19 एवं गैर-COVID-19 दोनों) तक लोगों की पहुँच सुनिश्चित करने के लिये यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज एवं प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के महत्त्व की पुष्टि करना।
    • विशेष रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना।
    • COVID-19 महामारी के दौरान और बाद में निर्बाध स्वास्थ्य सेवाओं को बनाए रखने के लिये पर्याप्त स्वास्थ्य बजट आवंटित करके लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना।
    • डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाते हुए स्वास्थ्य सूचना प्रणाली को मज़बूत करना और नीतिगत निर्णय के लिये जानकारी साझा करना।
    • स्वास्थ्य पेशेवरों एवं अन्य संबंधित श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा पर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं सामाजिक उपायों के माध्यम से रोगियों एवं अन्य लोगों की सुरक्षा को मज़बूत करना और विभिन्न प्रकार के गुणवत्ता वाले व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों तक पहुँच सुनिश्चित करना।
    • उचित चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से व्यावसायिक एवं पर्यावरणीय सुरक्षा को मज़बूत करना।
    • COVID-19 पर बायोमेडिकल, स्वास्थ्य नीति एवं प्रणालीगत अनुसंधान को मज़बूत करना जो राष्ट्रीय नीति निर्णयन एवं SEAR (South-East Asia Region) सदस्य देशों में ज्ञान साझा करने का समर्थन करते हैं।
    • COVID-19 के नकारात्मक परिणामों को कम करने के लिये सरकार और समाज के सहयोगी दृष्टिकोण के माध्यम से बहु-क्षेत्रीय सहयोग को जारी रखना एवं उनका विस्तार करना।
    • विशेष रूप से तैयारी, निगरानी एवं तीव्र प्रतिक्रिया, क्षेत्रीय महामारी विज्ञान प्रशिक्षण, दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और आवश्यक स्वास्थ्य संसाधनों के क्षेत्रीय भंडार हेतु SEAR सदस्य राष्ट्रों का समर्थन करने के लिये क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करना।
    • स्वास्थ्य अंतरालों को पहचानना और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम-2005 (International Health Regulations 2005) द्वारा आवश्यक कोर क्षमताओं को मज़बूत करना।

अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम-2005 (International Health Regulations 2005):

IHR

  • अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (2005) का उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों से निपटना एवं विभिन्न तरीकों से रोगों के अंतर्राष्ट्रीय प्रसार को रोकना एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करना है।
  •  अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (2005), वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करते हैं। 
  • टीकों, दवाओं एवं निदान के उत्पाद आवंटन पर वैश्विक चर्चा में पूरी तरह से संलग्न होना।


वैभव प्रोटानिल्ला

Vaibhav’s Protanilla

हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने गोवा के नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य (Netravali Wildlife Sanctuary) में लगभग 2.5 मिमी. लंबी चींटी की एक नई प्रजाति ‘वैभव प्रोटानिल्ला’ (Vaibhav’s Protanilla) की खोज की है।

Vaibhav-Protanilla

प्रमुख बिंदु:

  • चींटी की इस नई प्रजाति का नाम ‘वैभव प्रोटानिल्ला’ (Vaibhav’s Protanilla), प्रोफेसर वैभव चिंदारकर (Vaibhav Chindarkar) के नाम पर रखा गया है जो गोवा के सखाली (Sakhali) में ‘गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस एंड कॉमर्स’ के प्राणीशास्त्र विभाग के प्रमुख हैं।
  • वैभव प्रोटानिल्ला को प्रोटानिल्ला नामक चींटियों के एक दुर्लभ समूह में स्थान दिया गया  है, अभी तक इस समूह से संबंधित सिर्फ 12 चींटी प्रजातियाँ ही ज्ञात थीं।
  • अन्य भूमिगत चींटियों की तरह यह समूह पारिस्थितिकी तंत्र के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है जैसे- मिट्टी में कीट नियंत्रण करके मृदा की उर्वरता बनाए रखना।

विशेषताएँ:

  • चींटियों का यह समूह विशेष रूप से भूमिगत रहता है और इसे भूमि के ऊपर शायद ही कभी देखा जाता है।
  • यह प्रजाति पीले-नारंगी रंग की है और इसलिये इसका नाम लैटिन भाषा में ‘फ्लेम्मा’ (flamma) रखा गया है जिसका पूरा वैज्ञानिक नाम ‘प्रोटानिला फ्लैम्मा’ (Protanilla flamma) है।    
  • यह प्रजाति पूरी तरह से अंधी है और अपने अंधेरे भूमिगत क्षेत्र में नेवीगेशन के लिये स्पर्श प्रतिक्रिया एवं रासायनिक संकेतों पर निर्भर करती है।
  • इन चींटियों को छोटे आकार की कॉलोनियों में रहने के लिये जाना जाता है और ये अन्य छोटे कीड़ों का शिकार करती हैं।

नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य (Netravali Wildlife Sanctuary):

  • नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य पूर्वी गोवा के सुंगुम तालुका में काली नदी के बेसिन में स्थित है।
  • नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य के उत्तर में भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य और दक्षिण में कोटिगाओ वन्यजीव अभयारण्य स्थित है।
  • इस वन्यजीव अभयारण्य के प्रमुख जीव जंतुओं में ब्लैक पैंथर (Black Panther), विशालकाय गिलहरी (Giant Squirrel), स्लेंडर लोरिस (Slender Loris), ग्रेट पाइड हॉर्नबिल्स (Great Pied Hornbills) आदि शामिल हैं।
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