अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आम बजट 2018-19 में सामाजिक विकास से संबद्ध पक्ष
- 05 Feb 2018
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चर्चा में क्यों?
बजट 2018-19 में विशेषकर कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने, आर्थिक दृष्टि से कम सुविधा प्राप्त वर्ग के लोगों को उत्तम स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने, वरिष्ठ नागरिकों के हितों की रक्षा करने, आधारभूत सुविधाओं के सृजन तथा देश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये अधिक संसाधन उपलब्ध कराने के लिये राज्यों के साथ मिलकर कार्य करने पर विशेष रूप से ज़ोर दिया गया है। ऐसे ही कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं के संबंध में यहाँ संक्षिप्त विवरण पेश किया गया है।
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना
- भारत सरकार द्वारा 5 जनवरी, 2018 को प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) नाम से एक नई पेंशन योजना की शुरुआत की गई है।
- प्रधानमंत्री वय वंदना योजना वरिष्ठ पेंशन बीमा योजना (2014) की तरह ही है, जिसे साल 2014-15 में लॉन्च किया गया था।
- 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले भारतीय नागरिक प्रधानमंत्री वय वंदना योजना (पीएमवीवीवाई) में निवेश करने के पात्र हैं। यह योजना 10 साल के लिये 8% प्रतिवर्ष मासिक देय का निश्चित रिटर्न सुनिश्चित कराती है।
- योजना की खरीदारी के समय पेंशन द्वारा चुनी गई मासिक/तिमाही/अर्द्ध वार्षिक/वार्षिक आवृत्ति के अनुसार 10 वर्षों की पॉलिसी अवधि के दौरान हर अवधि के अंत में पेंशन देय है।
- इस योजना को सेवा कर और जीएसटी से छूट दी गई है। इस योजना में स्वयं या पति या पत्नी की किसी भी गंभीर/टर्मिनल बीमारी के इलाज के लिये समय पूर्व निकासी का भी प्रावधान है।
- समय पूर्व निकासी के मामले में योजना क्रय मूल्य की 98 % राशि वापस की जाएगी।
- 10 वर्षों की पॉलिसी अवधि के दौरान पेंशनधारक की मृत्यु पर लाभार्थी को क्रय मूल्य का भुगतान कर दिया जाएगा।
बजट में निहित बिंदु
- वरिष्ठ नागरिकों को गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करने के लिये केंद्रीय बजट में बहुत सी महत्त्वपूर्ण रियायतों की घोषणा की गई है।
- बैंकों तथा डाकघरों में जमा राशि पर ब्याज आय में छूट 10 हज़ार रुपए से बढ़ाकर 50 हज़ार रुपए कर दी गई है तथा इस पर आयकर की कटौती नहीं की जाएगी। यह लाभ सावधिक जमा योजनाओं तथा आवर्ती जमा योजनाओं में प्राप्त होने वाले ब्याज के लिये भी उपलब्ध होगा।
- इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम या चिकित्सा व्यय हेतु कटौती सीमा को 30 हज़ार रुपए से बढ़ाकर 50 हज़ार रुपए कर दिया गया है।
- अब सभी वरिष्ठ नागरिक किसी स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम या किसी चिकित्सा के संदर्भ में 50 हज़ार रुपए प्रतिवर्ष तक कटौती के लाभ का दावा कर सकेंगे।
- गंभीर बीमारी से संदर्भ में चिकित्सा खर्च के लिये कटौती सीमा को वरिष्ठ नागरिकों के मामले में 60 हज़ार रुपए और अति वरिष्ठ नागरिकों के मामले में 80 हज़ार रुपए से बढ़ाकर सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिये एक लाख रुपए करने का प्रस्ताव किया गया है।
- इन रियायतों से वरिष्ठ नागरिकों को 4 हज़ार करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर लाभ प्राप्त होगा।
- टैक्स रियायतों के अतिरिक्त प्रधानमंत्री वय वंदना योजना को मार्च 2020 तक बढ़ाया गया है। इस योजना के तहत भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा 8% निश्चित प्रतिलाभ प्रदान किया जाता है।
- इस योजना के तहत प्रति वरिष्ठ नागरिक 7.5 लाख रुपए की मौजूदा निवेश सीमा को बढ़ाकर 15 लाख रुपए किया जा रहा है।
सुकन्या समृद्धि योजना
- बेटियों की उच्च शिक्षा और उनके विवाह के लिये सरकार द्वारा लघु बचत योजना शुरू की गई है। सुकन्या समृद्धि नामक इस योजना के तहत लोग बेटी के जन्म के समय डाकघरों में बचत खाता खोल सकते है।
- सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत बेटी के जन्म से लेकर 10 वर्ष की आयु तक कभी भी खाता खोला जा सकता है। योजना शुरू होने के समय जिन बालिकाओं की आयु 10 वर्ष हो चुकी है उनके अभिभावक भी खाता खोल सकते हैं।
- इस योजना की सुविधा केवल दो बेटियों के लिये ही मिलेगी, लेकिन पहली बेटी के बाद यदि जुड़वाँ बेटियाँ जन्म लेती हैं तो तीसरी बेटी को भी इसका लाभ मिलेगा।
- नवम्बर, 2017 तक देश भर में 1.26 करोड़ से अधिक लड़कियों के बैंक खाते खोले गए जिनमें 19,183 करोड़ रुपए जमा किये गए।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना 18 से 50 वर्ष की आयु समूह के उन लोगों के लिये उपलब्ध है, जिनका कोई बैंक खाता होगा जिसमें से स्वतः डेबिट सुविधा के ज़रिये प्रीमियम वसूल किया जा सकता है।
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत हर व्यक्ति को दुर्घटना या सहज मृत्यु पर रिस्क कवर मिलता है।
- इस योजना के तहत 330 रुपए वार्षिक (प्रतिदिन 1 रुपए से कम) प्रीमियम देने पर 2 लाख रुपए का जीवन बीमा मिलता है। इस योजना में दुर्घटना के साथ-साथ सामान्य मृत्यु पर भी बीमा राशि मिलती है।
- इस योजना का लाभ 18 से 50 वर्ष तक की आयु वाला कोई भी बैंक खाताधारक उठा सकता है। धारक के नाम से बीमा जारी किया जाएगा जिसमें वह अपने उत्तराधिकारी का का नामांकन करेगा।
- इस योजना में शामिल होने के लिये खाताधारक को अपने आधार कार्ड को बैंक से जोड़ना होगा। इसके बाद प्रति वर्ष 1 जून से पहले एक फॉर्म भरकर बैंक में देना होगा, तभी प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
- योजना के अंतर्गत धारक के परिवार को उसकी मृत्यु (दुर्घटना के कारण अथवा स्वाभाविक) होने पर 2 लाख रुपए की राशि दी जाएगी।
- इस योजना के तहत लगभग 5.22 करोड़ परिवार लाभान्वित हुए है।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
- इसके अंतर्गत दुर्घटना में मृत्यु और पूर्ण विकलांगता की स्थिति में 2 लाख रुपए और आंशिक विकलांगता की स्थिति में 1 लाख रुपए के बीमा लाभ का प्रावधान किया गया है।
- यह योजना 18 से 70 वर्ष की आयु समूह के उन लोगों के लिये है, जिनका कोई बैंक खाता है जिसमें से स्वतः डेबिट सुविधा के ज़रिये प्रीमियम वसूल किया जाता है।
- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 12 रुपए वार्षिक प्रीमियम पर 2 लाख रुपए का दुर्घटना बीमा मिलता है और दुर्घटना में मृत्यु होने पर ही बीमा राशि मिलती है।
- बीमा धारक द्वारा 12 रुपए देने के अलावा सरकार के विभिन्न मंत्रालय भी बीमा कंपनियों को प्रीमियम राशि का भुगतान करेंगे। यह भुगतान बिना दावे की जमाओं से तैयार हुए पब्लिक वेलफेयर फंड और दूसरे स्रोतों से दिया जाएगा।
- बजट के अनुसार, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 13.25 करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष महज 12 रुपए प्रीमियम के भुगतान पर 2 लाख रुपए के व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा का लाभ सुनिश्चित किया गया है।
- सरकार अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति सहित सभी गरीब परिवारों को इनके दायरे में लाने के लिये मिशन मोड में काम कर रही है।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना
- बैंकिंग सेवाओं की पहुँच में वृद्धि करने और यह सुनिश्चित करने के लिये कि सभी परिवारों के पास कम से कम एक बैंक खाता हो, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री जन-धन योजना नामक एक राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन मिशन की घोषणा की गई।
- इस योजना को 28 अगस्त, 2014 को औपचारिक रूप में शुरू किया गया।
- सभी 60 करोड़ बुनियादी खातों को इस योजना के दायरे में लाते हुए कवरेज़ का विस्तार करने की दिशा में भी प्रयास किये जा रहे है। साथ ही, इन खातों के ज़रिये सूक्ष्म बीमा सेवा और असंगठित क्षेत्र पेंशन योजना मुहैया कराने के लिये उपाए करेगी।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति
- अनुसूचित जातियों के लिये 279 कार्यक्रमों के लिये वर्ष 2016-17 के 34,334 करोड़ रुपए की तुलना में वर्ष 2017-18 में आवंटन को बढाकर 52,719 करोड़ रुपए किया गया।
- इसी तरह अनुसूचित जन-जातियों के लिये चल रहे 305 कार्यक्रमों के लिये 2016-17 में 21,811 करोड़ रुपए का आवंटन हुआ था जो कि वर्ष 2017-18 में बढ़ाकर 32,508 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
- वित्त वर्ष 2018-19 में इस राशि को और अधिक बढ़ाते हुए अनुसूचित जातियों के लिये 56,619 करोड़ रुपए और अनुसूचित जन-जातियों के लिये 39,135 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
सरकार की सामाजिक कल्याण योजनाओं के वित्तपोषण हेतु आयातित वस्तुओं पर सामाजिक कल्याण अधिभार
- आयातित वस्तुओं पर से शिक्षा उपकर एवं माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा उपकर हटाने और इनके स्थान पर सामाजिक कल्याण अधिभार लगाने का प्रस्ताव रखा गया है।
- आयातित वस्तुओं पर सामाजिक कल्याण अधिभार कुल सीमा शुल्क के 10% की दर से लगाया जाएगा और इससे सरकार की सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिये आवश्यक धनराशि मुहैया कराने में मदद मिलेगी।
- जिन आयातित वस्तुओं पर अब तक शिक्षा उपकर नहीं लगता था उन पर यह अधिभार भी नहीं लगेगा।
- इसके अलावा कुछ विशिष्ट वस्तुओं पर प्रस्तावित अधिभार कुल सीमा शुल्क के सिर्फ 3% की दर से लगाने का प्रावधान किया गया है।
उज्जवला योजना
- सरकार उज्जवला योजना के माध्यम से देश के गरीबों को नि:शुल्क गैस कनेक्शन प्रदान कर रही है। इसके अलावा सौभाग्य योजना के माध्यम से चार करोड़ घरों को बिजली कनेक्शन से जोड़ा जा रहा है।
अन्य प्रमुख पहलें
- तीन हज़ार से ज़्यादा जन औषधि केंद्रों में 800 से ज़्यादा दवाईयाँ कम मूल्य पर बेची जा रही हैं। स्टैंट की कीमत नियंत्रित की गई है और गरीबों के लिये नि:शुल्क डायलिसिस हेतु विशेष योजना शुरू की गई है।
- प्रमाण-पत्रों को सत्यापित करने की बाध्यता खत्म कर दी गई है और समूह ‘ग’ और ‘घ’ नौकरी में साक्षात्कार समाप्त करने से लाखों नौजवानों को समय और पैसे की बचत हुई है। सरकार हर व्यक्ति के कौशल व ज्ञान का अधिक-से-अधिक उपयोग करने के लिये पूर्णतया प्रतिबद्ध है।
- सरकार ने बुनियादी ढाँचे के सुधारों की एक श्रृंखला को सफलतापूर्वक कार्यांवित किया है। वस्तु और सेवा कर (GST) सहित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को सरल बना दिया गया है।
- डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग से गरीबों तक लाभ पहुँचाने का लक्ष्य और प्रभावी हुआ है। उच्च मूल्य की मुद्रा के विमुद्रीकरण से संचालन में नकदी मु्द्रा की मात्रा कम हुई है। इससे कराधान आधार और अर्थव्यवस्था को और अधिक डिजिटल बनाने में मदद मिली है।
- शोधन अक्षमता और दिवालियापन कोड को लागू किये जाने से ऋणी-ऋणदाताओं के बीच संबंध बदला है। बैंकों के पुन: पूंजीकरण से बैंक अब विकास की गति को सहायता प्रदान करने में अधिक सक्षम हो गए हैं।
- इन सभी संरचनात्मक सुधारों से मध्यम और दीर्घावधि में भारतीय अर्थव्यवथा को लंबे समय तक टिकाऊ सुदृढ़ विकास गति को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
- इसके परिणामस्वरूप भारत विश्व की सबसे तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी हाल ही में भारत के लिये अगले वर्ष में आर्थिक संवृद्धि दरब के 7.4% रहने का अनुमान व्यक्त किया है।