प्रीलिम्स फैक्ट्स: 09-07-2019 | 09 Aug 2019
राष्ट्रीय उद्यमिता पुरस्कार, 2019
National Entrepreneurship Awards, 2019
हाल ही में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने राष्ट्रीय उद्यमिता पुरस्कार, 2019 (National Entrepreneurship Awards, 2019) के चौथे संस्करण की घोषणा की।
- इसके लिये प्रतिभाशाली उद्यमियों की नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत भी कर दी गई है।
- राष्ट्रीय उद्यमिता पुरस्कार, 2019 का उद्देश्य पहली पीढ़ी के प्रतिभाशाली युवा उद्यमियों एवं उद्यमिता पारिस्थितिकी निर्माताओं को उद्यमिता विकास में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिये सम्मानित करना है।
- भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय उद्यमिता पुरस्कार के ज़रिये सर्वाधिक अभिनव, प्रेरणादायक और निपुण छोटे उद्यमियों को अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिये पुरस्कृत किया जाएगा।
- इस पुरस्कार समारोह का आयोजन 9 नवंबर, 2019 को किया जाएगा।
- इसके अंतर्गत कुल 45 पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे, जिनमें उद्यमों के लिये 39 पुरस्कार और उद्यमिता पारिस्थितिकी निर्माताओं के लिये 6 पुरस्कार शामिल हैं।
- कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा आयोजित भव्य पुरस्कार समारोह में विजेताओं का अभिनन्दन किया जाएगा और उद्यम/व्यक्ति को एक ट्रॉफी, प्रमाण पत्र तथा 5 लाख रुपये का नकद पुरस्कार एवं संगठन/संस्थान को 10 लाख रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।
पुरस्कार की पात्रता के लिये शर्तें
- नामित उद्यमी की उम्र 40 वर्ष से कम होनी चाहिये।
- उन्हें प्रथम पीढ़ी का उद्यमी होना चाहिये।
- नामित उद्यमी के पास अनिवार्य रूप से 51 प्रतिशत अथवा उससे अधिक इक्विटी के साथ-साथ व्यवसाय का स्वामित्व होना चाहिये।
- महिला उद्यमियों के पास संयुक्त रूप से उद्यम की 75 प्रतिशत या उससे अधिक इक्विटी होनी चाहिये।
भारत रत्न 2019
Bharat Ratna 2019
8 अगस्त, 2019 को देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, समाजसेवी नानाजी देशमुख और गायक व संगीतकार भूपेन हज़ारिका को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
- यह सम्मान उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने देश के किसी भी क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य किये हों, अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ाया हो।
- ‘भारत रत्न’ कला, साहित्य, विज्ञान के क्षेत्र में तथा किसी राजनीतिज्ञ, विचारक, वैज्ञानिक, उद्योगपति, लेखक और समाजसेवी को असाधारण सेवा हेतु व उच्च लोक सेवा को मान्यता देने के लिये भारत सरकार की ओर से दिया जाता है।
प्रणब मुखर्जी
- करीब पाँच दशकों तक देश की राजनीति में सक्रिय रहे प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे हैं। हालाँकि पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद दो बार राष्ट्रपति रहे, इसलिये वे इस पद पर आसीन होने वाले 12वें व्यक्ति हैं।
- प्रणब मुखर्जी ने 25 जुलाई, 2012 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली। वह इस पद पर 25 जुलाई, 2017 तक रहे। 1984 में प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री रह चुके हैं।
नानाजी देशमुख
- 11 अक्तूबर, 1916 को महाराष्ट्र के हिंगोली में जन्मे नानाजी देशमुख मुख्य रूप से समाजसेवी थे।
- वर्ष 1980 में सक्रिय राजनीति से उन्होंने संन्यास ले लिया लेकिन दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना करके समाजसेवा से जुड़े रहे।
- वर्ष 1999 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया और उसी साल समाज सेवा के लिये उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। नानाजी देशमुख का निधन 27 फरवरी, 2010 को 95 वर्ष की उम्र में चित्रकूट में हुआ था।
भूपेन हज़ारिका
- भूपेन हज़ारिका गायक एवं संगीतकार होने के साथ ही एक कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति तथा संगीत के अच्छे जानकार थे।
- उनका निधन पाँच नवंबर, 2011 को हुआ था। उन्हें दक्षिण एशिया के सबसे नामचीन सांस्कृतिक कर्मियों में से एक माना जाता था।
- अपनी मूल भाषा असमी के अलावा भूपेन हज़ारिका ने हिंदी, बांग्ला समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गाने गाए। उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत को लोकप्रिय बनाने का श्रेय भी दिया जाता है।
- हज़ारिका को पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के जैसे पुरस्कारों से भी नवाज़ा गया था।
विरासत-ए-खालसा संग्रहालय
Virasat-e-Khalsa museum
एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ने पंजाब स्थित विरासत-ए-खालसा संग्रहालय में एक दिन में अधिकतम पर्यटकों द्वारा भ्रमण करने के रिकॉर्ड की पुष्टि की है।
- इस प्रकार यह संग्रहालय एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकता है।
- यह संग्रहालय पंजाब के आनंदपुर साहिब शहर में स्थित है।
- पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के विभाग (पंजाब) के अनुसार, इस संग्रहालय में 20 मार्च को 20,569 आगंतुकों का रिकॉर्ड स्तर देखा गया था जो एक दिन में भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे अधिक पर्यटकों द्वारा भ्रमण किया जाने वाला संग्रहालय बन गया है।
- विरासत-ए-खालसा को पंजाब और सिख धर्म के समृद्ध इतिहास तथा संस्कृति के स्मरण के लिये बनाया गया था जिसका उद्घाटन नवंबर 2011 में किया गया था।
- प्रतिदिन औसतन 5,000-6,000 आगंतुक इस संग्रहालय में आते हैं, जो अन्य सभी संग्रहालयों के दर्शकों के सापेक्ष सबसे अधिक संख्या है।
ई-गवर्नेंस पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन
Two-Day National Conference on e-Governance
8 अगस्त, 2019 को मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में (उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में पहली बार) ई-गवर्नेंस पर दो दिवसीय 22वें राष्ट्रीय सम्मेलन (22nd National Conference on e-Governance) का उद्घाटन किया गया।
- इस सम्मेलन का आयोजन प्रशासनिक सुधार, लोक शिकायत विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा मेघालय सरकार द्वारा मिलकर किया जा रहा है।
- शिलॉन्ग में आयोजित 22वाँ राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सम्मेलन का प्रमुख उद्देश्य ई-गवर्नेंस पहलों को गति प्रदान करना है।
- इस सम्मेलन का विषय ‘डिजिटल इंडिया: सफलता से उत्कृष्टता’ है।
- सम्मेलन के दौरान पूर्ण सत्र में विभिन्न उप-विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा:
- इंडिया इंटरप्राइज़ आर्किटेक्चर (India Enterprise Architecture-INDEA)
- डिजिटल बुनियादी ढाँचा
- वन नेशन- वन प्लेटफॉर्म
- पेशेवरों के लिये उभरती प्रौद्योगिकी
- सचिवालय सुधार
- राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा आपूर्ति आकलन (National e-Governance Service Delivery Assessment-NeSDA)
- समावेश और क्षमता निर्माण
- नवाचारियों और उद्योगों के साथ तालमेल
जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार
Improvement in Sex Ratio at Birth
चौथे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 (Fourth National Family Health Surveys- NFHS 2015-16) के अनुसार, भारत में जन्म के समय का लिंगानुपात (Sex Ratio at Birth- SRB) 914 से बढ़कर 919 हो गया है।
- लिंगानुपात को प्रति 1,000 पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।
- सर्वेक्षण के अनुसार, जन्म के समय का लिंगानुपात में उच्चतम सुधार पंजाब में (126 बिंदुओं पर) देखा गया था और इसका जन्म के समय का लिंगानुपात 860 (राज्यों में सबसे कम में से एक) पाया गया।
- इस सफलता का श्रेय बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (Beti Bachao Beti Padhao- BBBP) योजना को दिया जा सकता है।
- उत्तर-पूर्वी भारत के पारंपरिक रूप से मातृसत्तात्मक होने के बावज़ूद सिक्किम में सबसे तेज़ गिरावट आई है जहाँ जन्म के समय का लिंगानुपात 175 अंकों की गिरावट के साथ 809 पर पहुँच गई, जो 2015-16 के मुकाबले सभी राज्यों में सबसे कम थी।
- सिक्किम के बाद सबसे अधिक जन्म के समय का लिंगानुपात में गिरावट वाले पाँच राज्यों में पूर्वोत्तर से चार अन्य राज्य शामिल थे।