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प्रिलिम्स फैक्ट्स: 08 जुलाई, 2021

  • 08 Jul 2021
  • 8 min read

मत्स्य सेतु

Matsya Setu

हाल ही में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने मत्स्य पालन से संबंधित किसानों के लिये एक ऑनलाइन कोर्स मोबाइल एप "मत्स्य सेतु" लॉन्च किया है।

  • इस एप को ‘इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर’ (ICAR-CIFA) और ‘नेशनल फिशरीज़ डेवलपमेंट बोर्ड’ (NFDB) द्वारा विकसित किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • इसका उद्देश्य देश में जलीय कृषि करने वाले किसानों तक ताज़े पानी से संबंधित नवीनतम जलीय कृषि प्रौद्योगिकियों का प्रसार करना और उनकी उत्पादकता एवं आय में वृद्धि करना है।
    • एक्वाकल्चर मछली, शंख और जलीय पौधों के प्रजनन, उत्पादन और हार्वेस्टिंग को कहते हैं।
    • भारत दुनिया में जलीय कृषि के माध्यम से मछली उत्पादन करने वाला दूसरा प्रमुख उत्पादक है।
  • इसमें व्यावसायिक रूप से महत्त्वपूर्ण मछलियों जैसे- कार्प, कैटफ़िश, स्कैम्पी, म्यूरल, सजावटी मछली, मोती की खेती आदि की ग्रो-आउट गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • इसका उपयोग देश भर के हितधारकों, विशेष रूप से मछुआरों, मछली किसानों, युवाओं और उद्यमियों के बीच विभिन्न योजनाओं पर नवीनतम जानकारी का प्रसार करने तथा व्यापार में आसानी प्रदान करने की सुविधा के लिये किया जा सकता है।

अन्य संबंधित पहलें:

  • शफरी (जलीय कृषि उत्पादों के लिये प्रमाणन योजना): यह अच्छी जलीय कृषि प्रथाओं को अपनाने और वैश्विक उपभोक्ताओं को आश्वस्त करने के लिये गुणवत्तापूर्ण एंटीबायोटिक मुक्त झींगा उत्पादों का उत्पादन में मदद करने हेतु हैचरी के लिये एक बाज़ार आधारित उपकरण है।
  • वर्ष 2018-19 के दौरान मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (FIDF) की स्थापना।
  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना: इस कार्यक्रम का उद्देश्य वर्ष 2024-25 तक 22 मिलियन टन मछली उत्पादन का लक्ष्य हासिल करना है। साथ ही इससे 55 लाख लोगों के लिये रोज़गार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
  • नीली क्रांति पर ध्यान केंद्रित  करना: मछुआरों और मछली किसानों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये एवं मत्स्य पालन के एकीकृत और समग्र प्रबंधन हेतु एक सक्षम वातावरण बनाना।
  • मछुआरों और मछली किसानों को उनकी कार्यशील पूंजी की ज़रूरतों को पूरा करने में मदद के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सुविधाओं का विस्तार करना।

सिलंबम 

Silambam

हाल ही में सिंगापुर में प्रवासी श्रमिकों हेतु सरकार द्वारा शुरू की गई प्रतियोगिता में गणेशन संधिराकासन (Ganesan Sandhirakasan) नाम के एक भारतीय ने सिलंबम (Silambam) के प्रदर्शन में शीर्ष पुरस्कार प्राप्त किया है।

Silambam

प्रमुख बिंदु: 

सिलंबम के बारे में:

  • सिलंबम एक प्राचीन हथियार आधारित मार्शल आर्ट (Weapon-Based Martial Art) है जिसकी उत्पत्ति  तमिलकम में हुई जो वर्तमान में भारत का तमिलनाडु क्षेत्र है। यह विश्व के सबसे पुराने मार्शल आर्ट में से एक है।
  • सिलंबम शब्द स्वयं एक खेल के बारे में बताता है, सिलम का अर्थ है 'पहाड़' (Mountain) और बम का अर्थ बाँस (Bamboo) है जिसका उपयोग  मार्शल आर्ट के इस रूप में मुख्य हथियार के रूप में किया जाता है।
  • पैरों की गति, सिलंबम  (Silambam) और कुट्टा वारिसाई (Kutta Varisai के प्रमुख तत्व हैं । छड़ी की गति के साथ तालमेल बनाने के लिये पैर की गति में महारत हासिल करने हेतु सोलह प्रकार के संचालनों (Movement) की आवश्यकता होती है।
  • इसके प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य कई सशस्त्र विरोधों के खिलाफ रक्षा प्रदान करना है।

इस्तेमाल किये जाने वाले हथियार:

  • बाँस की छड़ी (Bamboo staff)- यह मुख्य हथियार है तथा इसकी लंबाई प्रयोग करने वाले की ऊंँचाई पर निर्भर करती है।
  • मारू (Maru)-  यह एक धमाकेदार हथियार है जिसे हिरण के सींगों से बनाया जाता है।
  • अरुवा (दरांती), सवुकु ( कोड़ा), वाल (घुमावदार तलवार), कुट्टू कटाई (नुकीली अँगुली डस्टर), कट्टी (चाकू), सेडिकुची (लाठी या छोटी छड़ी)।

उत्पत्ति:

  • ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति ऋषि अगस्त्य मुनिवर (Agastya Munivar) द्वारा लगभग 1000 ईसा पूर्व हुई थी।
  • सिलप्पादिक्करम औसंगम साहित्य (Sangam literature) में इस प्रथा के बारे में उल्लेख किया गया है तथा यह दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की है, जबकि मौखिक लोक कथाओं में इसे और अधिक लगभग 7000 वर्ष प्राचीन माना जाता है।
    • लेकिन हाल के सर्वेक्षणों और पुरातात्त्विक उत्खनन से इस बात की पुष्टि की गई है कि सिलंबम का अभ्यास कम-से-कम 10,000 ईसा पूर्व किया जाता था।

प्रतिबंध और विकास:

  • दक्षिण भारत के अधिकांश शासकों द्वारा इसका उपयोग युद्ध में किया जाता था। तमिल शासक वीरापांड्या कट्टाबोम्मन (Veerapandiya Kattabomman) के सैनिकों ने ब्रिटिश उपनिवेशवादियों के खिलाफ युद्ध छेड़ने हेतु सिलंबम का प्रयोग किया था  18वीं शताब्दी के अंत तक इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  • आग्नेयास्त्रों की शुरूआत के साथ प्रतिबंध ने सिलंबम की लड़ाकू प्रकृति को काफी प्रभावित किया जिसके कारण यह एक प्रदर्शन कला में तब्दील हो गयी  है।

भारत के अन्य मार्शल आर्ट्स

  • गतका- पंजाब
  • पाइका- ओडिशा
  • थांग ता- मणिपुर
  • कलारीपयट्टू- केरल
  • छोलिया- उत्तराखंड
  • पांग ल्हबसोल- सिक्किम
  • मुष्टियुद्ध- उत्तर प्रदेश
  • मर्दानी खेल- महाराष्ट्र
  • परी खंडा- बिहार
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