प्रारंभिक परीक्षा
प्रिलिम्स फैक्ट्स: 01 अक्तूबर, 2020
- 01 Oct 2020
- 15 min read
अंबेडकर सोशल इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन मिशन
Ambedkar Social Innovation & Incubation Mission
30 सितंबर, 2020 को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति के छात्रों के बीच नवाचार एवं उद्यम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वेंचर कैपिटल फंड के तहत ‘अंबेडकर सोशल इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन मिशन’ (Ambedkar Social Innovation & Incubation Mission- ASIIM) का शुभारंभ किया।
अनुसूचित जाति के लिये वेंचर कैपिटल फंड
(Venture Capital Fund for SCs):
- केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अनुसूचित जाति/दिव्यांग युवाओं में उद्यमिता का विकास करने और उन्हें 'नौकरी देने वाले' बनने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 में अनुसूचित जाति के लिये वेंचर कैपिटल फंड (Venture Capital Fund for SCs) की शुरुआत की थी।
- उद्देश्य: इस फंड का उद्देश्य अनुसूचित जाति के उद्यमियों की संस्थाओं को रियायती वित्त प्रदान करना है।
- इस फंड के तहत अनुसूचित जाति के उद्यमियों द्वारा प्रोन्नत 117 कंपनियों को बिज़नेस वेंचर स्थापित करने के लिये वित्तीय सहायता मंज़ूर की गई है।
‘अंबेडकर सोशल इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन मिशन’ (ASIIM):
- इस पहल के तहत देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रौद्योगिकी व्यापार इनक्यूबेटर (Technology Business Incubators- TBIs) के माध्यम से अगले 4 वर्षों में स्टार्ट-अप आधारित विचारों के साथ अनुसूचित जाति के 1000 युवाओं की पहचान की जाएगी।
- जिसके बाद उन्हें इक्विटी फंडिंग के तौर पर 3 वर्ष में 30 लाख रुपए का फंड दिया जाएगा ताकि वे अपने स्टार्ट-अप स्थापित करने के विचार को वाणिज्यिक उद्यम में परिवर्तित कर सकें।
- सफल उपक्रम के लिये आगे की निधि हेतु ‘अनुसूचित जाति के लिये वेंचर कैपिटल फंड’ से 5 करोड़ रुपए तक की वेंचर फंडिंग के लिये अर्हता प्राप्त करेंगे।
- जिसके बाद उन्हें इक्विटी फंडिंग के तौर पर 3 वर्ष में 30 लाख रुपए का फंड दिया जाएगा ताकि वे अपने स्टार्ट-अप स्थापित करने के विचार को वाणिज्यिक उद्यम में परिवर्तित कर सकें।
अनुसूचित जाति के लिये वेंचर कैपिटल फंड (VCF-SC) के तहत अब तक प्रदान की गई वित्तीय मदद:
- ASIIM पहल को ‘वेंचर कैपिटल फंड फॉर एससी’ (VCF-SC) द्वारा लागू किया जाएगा जिसे वर्ष 2016 में 500 करोड़ रुपए की निधि के साथ स्थापित किया गया था।
- अपनी स्थापना के बाद से VCF-SC ने 118 कंपनियों को 444.14 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की है।
- स्टार्टअप्स उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिये केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने अभिनव एवं प्रौद्योगिकी आधारित विचारों पर कार्य करने वाले युवा अनुसूचित जाति उद्यमियों की संस्थाओं/कंपनियों को इक्विटी सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिये अनुसूचित जातियों के लिये वेंचर कैपिटल फंड (VCF-SC) के दिशा-निर्देशों में संशोधन किया है।
लाभ:
- अनुसूचित जाति के लिये वेंचर कैपिटल फंड के तहत ASIIM पहल से अनुसूचित जाति के युवाओं में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
- नौकरी चाहने वालों से, ‘नौकरी देने वालों में’ तब्दील होने में मदद मिलेगी।
- 'स्टैंड अप इंडिया' पहल को बढ़ावा मिलेगा।
ब्रह्मोस मिसाइल
BrahMos Missile
30 सितंबर, 2020 को स्वदेशी बूस्टर एवं एयरफ्रेम सेक्शन के साथ ही कई अन्य ‘मेड इन इंडिया’ उप प्रणालियों से युक्त सतह-से-सतह तक मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ब्रह्मोस (BrahMos) का ओडिशा में एकीकृत परीक्षण रेंज, बालासोर से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
विशेषताएँ:
- ब्रह्मोस मिसाइल एक मध्यम दूरी की रैमजेट सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जिसे पनडुब्बियों, युद्धपोतों, लड़ाकू जेट या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है।
- ब्रह्मोस लैंड-अटैक क्रूज़ मिसाइल (BrahMos Land-Attack Cruise Missile- LACM) की अधिकतम गति मैक 2.8 है।
- इस मिसाइल का वजन लगभग 2.5 टन है और इसकी मारक क्षमता लगभग 300 किमी. है।
संयुक्त उपक्रम:
- इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस के संघीय राज्य एकात्मक उद्यम ‘एनपीओ माशिनोस्त्रोएनिया’ (NPO Mashinostroyenia- NPOM) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है जो रूस का एक प्रमुख एयरोस्पेस उद्यम है।
गौरतलब है कि यह परीक्षण ऐसे समय में हुआ है जब चीन के साथ जारी गतिरोध में किसी भी खतरे से निपटने के लिये ब्रह्मोस को लद्दाख एवं अरुणाचल प्रदेश में पूर्वी सेक्टर में तैनात किया गया है।
वृद्ध व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस
International Day of Older Persons
प्रत्येक वर्ष 01 अक्तूबर को ‘वृद्ध व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ (International Day of Older Persons) मनाया जाता है।
उद्देश्य:
- इस दिवस का उद्देश्य बढ़ती उम्र के प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाना तथा वृद्ध लोगों को गरिमा के साथ जीवन जीने का अवसर प्रदान करना और उन बिंदुओं के बारे में लोगों को जागरूक करना जो वृद्धों को प्रभावित कर रहे हैं जैसे- बुढ़ापा या वार्धक्य (Senescence) एवं बुजुर्गों से दुराचार।
थीम:
- वर्ष 2020 के लिये ‘वृद्ध व्यक्तियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ की थीम ‘महामारी: क्या बुजुर्ग लोग उम्र एवं बुढ़ापे का सामना करने के लिये स्वयं को बदलने के लिये तैयार हैं’ (Pandemics: Do They Change How We Address Age and Ageing) है।
प्रमुख बिंदु:
- इस दिवस उन वृद्ध व्यक्तियों का सम्मान करने के लिये मनाया जाता है जो समाज के लिये अपना योगदान देते हैं।
- वृद्ध लोग स्वैच्छिक कार्य के माध्यम से अपने अनुभव एवं ज्ञान का प्रसार करते हैं तथा देखभाल करने वाली ज़िम्मेदारियों के साथ अपने परिवारों की मदद करते हैं और भुगतान आधारित श्रम बल में भाग लेने के माध्यम से समाज में बहुत बड़ा योगदान देते हैं।
पृष्ठभूमि:
- 14 दिसंबर, 1990 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (संकल्प 45/106 द्वारा) ने 1 अक्तूबर को ‘वृद्ध व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में नामित किया था।
- संयुक्त राष्ट्र के इस निर्णय ने ‘वृद्धावस्था पर वियना इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन’ (Vienna International Plan of Action on Aging) का स्थान लिया जिसे वर्ष 1982 की वृद्धावस्था पर विश्व सभा (World Assembly on Aging) में अपनाया गया था।
- वर्ष 1991 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (संकल्प 46/91 द्वारा) ने वृद्ध व्यक्तियों के लिये संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों को अपनाया।
- वर्ष 2002 में वृद्धावस्था पर दूसरी विश्व सभा (Second World Assembly on Aging) ने 21वीं सदी में वृद्ध होती जनसंख्या के अवसरों एवं चुनौतियों से निपटने के लिये तथा सभी उम्र के लोगों के लिये एक समाज के विकास को बढ़ावा देने के लिये ‘वृद्धावस्था पर मैड्रिड इंटरनेशनल प्लान ऑफ एक्शन’ (Madrid International Plan of Action on Aging) को अपनाया।
महत्त्व:
- इस दिवस को मनाने से वृद्ध व्यक्तियों पर COVID-19 के प्रभाव तथा स्वास्थ्य देखभाल नीति, योजना एवं दृष्टिकोण पर COVID-19 के प्रभाव के बारे में समझ बढ़ेगी।
भारती लिपि
Bharati Script
भारती लिपि (Bharati Script) एक सामान्य लिपि के रूप में तैयार की गई है जो सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं को व्यक्त कर सकती है।
प्रमुख बिंदु:
- लिपि (Script) एक विशेष भाषा को लिखने के लिये उपयोग किये जाने वाले अक्षरों के समूह को संदर्भित करती है। जैसे- देवनागरी, रोमन आदि।
- भारती लिपि को IIT मद्रास में श्रीनिवास चक्रवर्ती (Srinivasa Chakravarthy) की टीम ने विकसित किया है।
- भारती एक सरल एवं एकीकृत लिपि है जिसका उपयोग अधिकांश प्रमुख भारतीय भाषाओं को लिखने के लिये किया जा सकता है।
- इसे विभिन्न भारतीय भाषाओं/लिपियों एवं अंग्रेजी भाषा से सरल अक्षरों को उधार लेते हुए सरलतम आकृतियों का उपयोग करके बनाया गया है।
- यह लिपि हिंदी/मराठी, तमिल, तेलुगू, गुजराती, पंजाबी (गुरुमुखी), बंगाली, उड़िया, कन्नड़ एवं मलयालम का समर्थन करती है।
तकनीक का प्रयोग:
- ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (Optical Character Recognition- OCR): IIT मद्रास की एक टीम ने बहु-भाषी ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR) प्रणाली का उपयोग करते हुए भारती लिपि में दस्तावेज़ पढ़ने की एक विधि विकसित की है।
- OCR एक ऐसी प्रणाली है जो केवल प्रपत्र को स्कैन करके इलेक्ट्रॉनिक गति से मुद्रित या हस्तलिखित अक्षरों की पूर्ण अल्फान्यूमेरिक पहचान प्रदान करती है।
- फिंगर-स्पेलिंग विधि (Finger-spelling Method): इसका उपयोग श्रवण-बाधित व्यक्तियों के लिये एक सांकेतिक भाषा उत्पन्न करने के लिये किया जा सकता है।
- संबंधित अनुप्रयोग/उपकरण: भारती हैंडराइटिंग की-बोर्ड (Bharati Handwriting Keyboard) और भारती लिप्यंतरण (Bharati Transliterator)।
- लिप्यंतरण (Transliterator) अक्षर को एक वर्णमाला या भाषा से दूसरी वर्णमाला के समान-ध्वनि वाले वर्णों में बदलता है। यह अनुवाद (Translation) से भिन्न है जो एक भाषा में शब्दों को उन लोगों द्वारा समझने की अनुमति देता है जो दूसरी भाषा बोलते हैं।
- लिप्यंतरण (Transliterator), भाषा को उन लोगों के लिये थोड़ा अधिक सुलभ बनाता है जो उस भाषा की वर्णमाला से अपरिचित हैं।
- लिप्यंतरण (Transliterator) अर्थ से अधिक उच्चारण पर केंद्रित होता है जिसे विदेशी लोगों से या स्थानों एवं संस्कृतियों की चर्चा करते समय विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।
महत्त्व:
- यह 'एक राष्ट्र-एक लिपि' (One Nation-One Script) के अनुरूप है।
- रोमन लिपि का उपयोग कई यूरोपीय भाषाओं (अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी आदि) के लिये एक सामान्य लिपि के रूप में किया जाता है जो उन भाषाओं को बोलने एवं लिखने वाले राष्ट्रों में संचार की सुविधा प्रदान करता है। इसी तरह पूरे देश के लिये एक सामान्य (भारती) लिपि भारत में कई संचार बाधाओं को कम कर सकती है।
- यह भारतीयों की अगली पीढ़ी को आसानी से भारतीय भाषाओं में पढ़ने में मदद कर सकती है।
- यह कोंकणी या तुलु जैसी भाषाओं के लिये एक आदर्श लिपि है जिनकी कोई अपनी लिपि नहीं है।
- यह भारत की असंख्य जनजातीय भाषाओं और पूर्वोत्तर भारत की भाषाओं के लिये एक लेखन प्रणाली के रूप में कार्य कर सकती है।
- यह प्रवासी भारतीयों के लिये एक लिंक लिपि के रूप में कार्य कर सकती है जो कार्य के लिये अपने मूल राज्य से बाहर चले जाते हैं।
- यह लाखों अनिवासी भारतीय (Non Resident Indian- NRI) बच्चों को भारतीय साहित्य से जोड़ सकती है।
- यह भारतीय भाषाओं के लिये ब्रेल लिपि (नेत्रहीनों के लिये) की एक नई प्रणाली और यहाँ तक कि श्रवण-बाधित लोगों के लिये एक ‘फिंगरस्पेलिंग प्रणाली’ (Fingerspelling system) का नेतृत्त्व कर सकती है।
- यह 6 महीने से लेकर कुछ सप्ताह तक वयस्क साक्षरता कार्यक्रमों की अवधि को छोटा कर सकती है क्योंकि इस लिपि को सीखना अत्यंत आसान है।