प्रिलिम्स फैक्ट: 28 दिसंबर, 2020 | 28 Dec 2020
सुनील कोठारी
(Sunil Kothari)
हाल ही में प्रख्यात नृत्य इतिहासकार और आलोचक सुनील कोठारी का 87 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
प्रमुख बिंदु:
- उन्हें वर्ष 2001 में चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
- उन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्यों पर 20 पुस्तकें लिखीं और भरतनाट्यम, कत्थक तथा मणिपुरी नृत्य रूपों पर विस्तार से लिखा।
- "सत्रिया: असम का शास्त्रीय नृत्य", पर उनके विद्वतापूर्ण कार्य, ने राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर नृत्य की बेहतर समझ विकसित करने में मदद की।
- इनके अन्य उल्लेखनीय योगदानों में भारतीय नृत्य में नई दिशाएँ और कुचिपुड़ी भारतीय शास्त्रीय नृत्य कला शामिल हैं।
- इन्हें संगीत नाटक अकादमी के सदस्य के रूप में चुना गया था।
भारतीय शास्त्रीय नृत्य:
- भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के दो मूल पहलू हैं:
- तांडव (चाल और लय) और लास्य (अनुग्रह, भाव और रस)।
- उनमें से तीन मुख्य घटक हैं:
- नाट्य: नृत्य का नाटकीय तत्त्व यानी पात्रों की नकल।
- नृत्त: उनके मूल रूप में नृत्य की गतिविधियाँ।
- नृत्य: कलात्मक अभिव्यक्ति-विषयक घटक यानी मुद्राएँ या हावभाव।
- नौ रस हैं: शृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत और शांत।
- भरत मुनि द्वारा लिखित नाट्य शास्त्र, नृत्यों की विशेषताओं के संबंध में जानकारी प्राप्त करने का सबसे प्रमुख स्रोत है।
- भारत में 8 शास्त्रीय नृत्य हैं:
- भरतनाट्यम (तमिलनाडु)
- कत्थक (उत्तर भारत)
- कथकली (केरल)
- मोहिनीअट्टम (केरल)
- कुचिपुड़ी (आंध्र प्रदेश)
- ओडिसी (ओडिशा)
- सत्रिया (असम)
- मणिपुरी (मणिपुर)
- समकालीन शास्त्रीय नृत्य रूप 12वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी तक किये गए संगीत नाट्य या संगीत-नाटक से विकसित हुए हैं।
संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Akademi):
- संगीत नाटक अकादमी भारत गणराज्य द्वारा स्थापित नृत्य और नाटक की प्रथम राष्ट्रीय अकादमी है।
- इसका गठन भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्रालय (पूर्व में मानव संसाधन विकास मंत्रालय) के एक प्रस्ताव द्वारा वर्ष 1952 में किया गया था तथा इसके पहले अध्यक्ष डॉ. पी. वी. राजमन्नार थे।
- वर्तमान में यह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्था है और अपनी योजनाओं व कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिये इसे पूर्ण रूप से सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
- यह कला प्रदर्शन के क्षेत्र में संस्थाओं की स्थापना करती है और राष्ट्रीय महत्त्व की परियोजनाओं की देख-रेख करती है। इसके द्वारा स्थापित कुछ प्रमुख संस्थान और परियोजनाएँ निम्नलिखित हैं:
- नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, नई दिल्ली (वर्ष 1959 में स्थापित)।
- जवाहर लाल नेहरू मणिपुर डांस एकेडमी, इम्फाल (वर्ष1954 में स्थापित)।
- कत्थक केंद्र (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कथक डांस), नई दिल्ली (वर्ष 1964 में स्थापित)।
- केरल के प्राचीन संस्कृत थियेटर कुटियट्टम, पूर्वी भारत का छऊ नृत्य और असम के सत्रिया नृत्य को बढ़ावा देने हेतु राष्ट्रीय परियोजनाओं को समर्थन।