‘प्रलय’ मिसाइल | 23 Dec 2021
हाल ही में ‘रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन’ (DRDO) ने एक नई स्वदेशी रूप से विकसित सतह-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल 'प्रलय' का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया है।
- मिसाइल का परीक्षण ‘डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वीप’ (ओडिशा) के तट से किया गया।
प्रमुख बिंदु
- प्रलय के विषय में: ‘प्रलय’ भारत की पहली पारंपरिक अर्द्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है और उत्तरी या पश्चिमी सीमाओं से किसी भी पारंपरिक मिसाइल हमले का जवाब देने में सक्षम है।
- एक अर्द्ध-बैलिस्टिक मिसाइल का प्रक्षेपवक्र कम होता है और यद्यपि यह काफी हद तक बैलिस्टिक मिसाइल के समान ही होती है, यह उड़ान के दौरान ‘मनूवर’ (Maneuver) में सक्षम होती है।
- मिसाइल को इस तरह से विकसित किया गया है कि यह इंटरसेप्टर मिसाइलों को हराने में सक्षम है और हवा में एक निश्चित सीमा को कवर करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता भी रखती है।
- यह एक ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर और कई नई तकनीकों से संचालित है।
- मिसाइल गाइडेंस प्रणाली में अत्याधुनिक नेविगेशन प्रणाली और एकीकृत एवियोनिक्स शामिल हैं।
- पृष्ठभूमि: यह ‘प्रहार’ मिसाइल कार्यक्रम से व्युत्पन्न है, जिसका पहली बार वर्ष 2011 में परीक्षण किया गया था।
- ‘प्रहार’ सतह-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 150 किलोमीटर है।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य अनगाइडेड पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर और निर्देशित पृथ्वी मिसाइल वेरिएंट के बीच के मौजूदा अंतराल को कम करना है।
- रेंज: मिसाइल की रेंज 150-500 किलोमीटर है और इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है।
- ‘प्रलय’ सेना की सूची में सतह-से-सतह पर मार करने वाली सबसे लंबी दूरी की मिसाइल होगी।
- सेना के पास अपने शस्त्रागार में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल भी है, जिसकी सीमा 290 किलोमीटर से अधिक है।
- ‘प्रलय’ सेना की सूची में सतह-से-सतह पर मार करने वाली सबसे लंबी दूरी की मिसाइल होगी।
- महत्त्व: यह सामरिक युद्धक्षेत्र की गतिशीलता को पूरी तरह से बदल देगा और भारत के पास लंबी दूरी की दो पारंपरिक मिसाइलें होंगी।
- ब्रह्मोस एक क्रूज़ मिसाइल विकल्प होगा, जबकि ‘प्रलय’ एक बैलिस्टिक मिसाइल विकल्प होगा।
बैलिस्टिक मिसाइल बनाम क्रूज़ मिसाइल
बैलिस्टिक मिसाइल |
क्रूज़ मिसाइल |
इसमें प्रक्षेप्य गति और प्रक्षेपवक्र में यात्रा गुरुत्वाकर्षण, वायु प्रतिरोध तथा कोरिओलिस बल पर निर्भर करती है। |
यह तुलनात्मक रूप से गति के लिये सीधे प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करती है। |
पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर जाती है और पुनः उसमें प्रवेश करती है। |
इसका उड़ान पथ पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर ही होता है। |
लंबी दूरी की मिसाइलें (300 किमी. से 12,000 किमी. तक) |
कम दूरी की मिसाइलें (1000 किमी. तक की रेंज) |
उदाहरण: पृथ्वी-I, पृथ्वी-II, अग्नि-I, अग्नि-II और धनुष मिसाइलें। |
उदाहरण: ब्रह्मोस मिसाइल |