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पोस्ट-क्वांटम एन्क्रिप्शन क्रिप्टोग्राफी

  • 31 Jan 2025
  • 3 min read

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (VPN) कंपनियाँ पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (PQC) के कार्यान्वयन के माध्यम से क्वांटम कंप्यूटिंग द्वारा उत्पन्न संभावित खतरों के अनुकूल बन रही हैं।

  • क्वांटम कंप्यूटिंग अत्यंत तीव्र गति से गणना करने की अपनी क्षमता के कारण  वर्तमान एन्क्रिप्शन विधियों के लिये कई खतरे उत्पन्न करती है।
    • असममित एन्क्रिप्शन का सरलीकरण: क्वांटम कंप्यूटर जटिल गणितीय समस्याओं जैसे बड़ी संख्याओं का गुणनखंडन और असतत लघुगणक को हल कर सकते हैं।
    • स्टोर नाउ, डिक्रिप्ट लेटर (SNDL) अटैक: साइबर अपराधी एन्क्रिप्टेड डेटा को तुरंत संग्रहीत कर सकते हैं और बाद में जब क्वांटम कंप्यूटर पर्याप्त शक्तिशाली हो जाते हैं, तो उसे डिक्रिप्ट कर सकते हैं, जिससे संवेदनशील जानकारी खतरे में पड़ सकती है।
    • उद्योग-व्यापी डेटा सुरक्षा जोखिम: यदि क्वांटम कंप्यूटर एन्क्रिप्शन मानकों का उल्लंघन करते हैं, तो वित्त, स्वास्थ्य सेवा और सरकारी संचार जैसे क्षेत्रों को डेटा उल्लंघन और वित्तीय नुकसान का खतरा हो सकता है।

पोस्ट-क्वांटम एन्क्रिप्शन/क्रिप्टोग्राफी (PQC):

  • PQC उन क्रिप्टोग्राफिक विधियों को संदर्भित करता है जो क्वांटम कंप्यूटरों द्वारा आसानी से हल किये जा सकने वाले गणितीय समस्याओं पर निर्भर नहीं होते हैं। 
  • इसे क्वांटम-रेजिस्टेंस, क्वांटम-सेफ या क्वांटम-प्रूफ क्रिप्टोग्राफी के रूप में भी जाना जाता है।
  • इन विधियों को क्लासिकल और क्वांटम कंप्यूटिंग सिस्टम दोनों के हमलों के खिलाफ सुरक्षित रहने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • VPN तकनीक डेटा को एन्क्रिप्ट करती है और उपयोगकर्त्ता के IP एड्रेस को गुप्त रखती है, ताकि डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा के लिये उपकरणों के बीच सुरक्षित संचार सुनिश्चित किया जा सके।

और पढ़ें: पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी, वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क

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