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पौधों के बीच चेतावनी संकेत

  • 30 Nov 2023
  • 4 min read

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में वैज्ञानिकों ने महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि का खुलासा किया है कि पौधे अपने आसपास के पौधों से खतरे के संकेतों को कैसे समझते हैं और उन पर प्रतिक्रिया करते हैं।

  • यह खोज कीटनाशकों का सहारा लिये बिना कृषि कीट नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिये पौधों के संचार का लाभ उठाने का संभावित मार्ग प्रदान करती है।

पौधे एक-दूसरे को खतरे से कैसे आगाह करते हैं?

  • पौधों के बीच संचार और समन्वय: पौधे निष्क्रिय जीव नहीं हैं जो केवल अपने पर्यावरण पर प्रतिक्रिया करते हैं। वे एक-दूसरे के साथ संवाद कर सकते हैं, साथ ही विभिन्न खतरों के प्रति अपनी प्रतिक्रियाओं का समन्वय कर सकते हैं।
    • उनमें आस-पास के अन्य पौधों को होने वाली क्षति को रोकने की क्षमता होती है।
    • रक्षात्मक प्रतिक्रिया विकसित करके पौधे स्वयं को कीट हमलावरों के लिये कम स्वादिष्ट या यहाँ तक कि अपचनीय भी बना सकते हैं।
  • सिग्नलिंग एजेंट के रूप में ग्रीन लीफ वोलेटाइल्स: पौधों द्वारा संचार करने का एक तरीका ग्रीन लीफ वोलाटाइल्स (GLVs) नामक वायुजनित रसायनों को उत्सर्जित और महसूस करना है।
    • क्षतिग्रस्त होने पर पौधों द्वारा उत्सर्जित GLVs, मनुष्यों के लिये ताज़ी कटी घास की सुखद गंध पैदा करते हैं। हालाँकि आसपास के पौधों के लिये यह गंध एक चेतावनी संकेत के रूप में कार्य करती है, जो संभावित खतरे का संकेत देती है।
    • इसकी मध्यस्थता कैल्शियम द्वारा की जाती है, जो पूरे जीव विज्ञान में पाए जाने वाले रासायनिक और विद्युत संकेतों का एक सामान्य मध्यस्थ है।
      • जब कीड़े पौधों की पत्तियों को कुतरते हैं, तो कैल्शियम आयन उनकी कोशिकाओं में भर जाते हैं, जिससे उनमें चमक पैदा होती है।
  • उत्परिवर्ती सरसों के पौधे की GLVs पर प्रतिक्रिया: वैज्ञानिकों ने हाल ही में उत्परिवर्ती सरसों के पौधे पर प्रयोग किया, इसे यह जाँचने के लिये डिज़ाइन किया गया कि क्या यह GLVs पर भी प्रतिक्रिया कर सकता है।
    • GLVs युक्त हवा के संपर्क में आने पर पौधे ने माइक्रोस्कोप के अंतर्गत एक चमकदार प्रतिक्रिया प्रदर्शित की, जो क्षतिग्रस्त पौधों द्वारा छोड़े गए अस्थिर घटकों को महसूस करने की क्षमता को दर्शाता है।

सतत् कृषि के लिये पादप संचार का उपयोग कैसे किया जा सकता है?

  • रासायनिक उपयोग में कमी: पादप रक्षा तंत्र का लाभ उठाने से रासायनिक हस्तक्षेप की आवश्यकता कम हो सकती है। इससे कीटनाशकों के प्रयोग में कमी आ सकती है, पर्यावरण प्रदूषण कम हो सकता है और स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिल सकता है।
  • उन्नत फसल लचीलापन:
    • पौधों के बीच संचार को प्रोत्साहित करने वाली रणनीतियों को लागू करके यह तनाव पैदा करने वाले कारकों के खिलाफ फसल के लचीलेपन को बढ़ा सकता है। जैसे कि सह-रोपण या अंतरफसल, किसान समग्र फसल स्वास्थ्य और लचीलेपन में सुधार कर सकते हैं।
  • आनुवंशिक अभियांत्रिकी: आनुवंशिक संशोधन के माध्यम से पौधों के प्राकृतिक रक्षा तंत्र को बढ़ाकर, वैज्ञानिक ऐसी फसलें विकसित कर सकते हैं जो कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधी हों, तथा संभावित रूप से बाहरी हस्तक्षेपों को कम कर सकें।
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