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रेडियोमीट्रिक डेटिंग के लिये कैल्शियम-41

  • 22 May 2023
  • 6 min read

वैज्ञानिकों ने जीवाश्म हड्डियों और चट्टानों की आयु निर्धारित करने हेतु कार्बन-14 के विकल्प के रूप में रेडियोमेट्रिक डेटिंग के लिये कैल्शियम-41 का उपयोग करने का सुझाव दिया है।

  • उन्होंने एक समाधान के रूप में एटम-ट्रैप ट्रेस एनालिसिस (Atom-Trap Trace Analysis- ATTA) नामक एक तकनीक का सुझाव दिया है, क्योंकि ATTA कैल्शियम-41, जो कि एक दुर्लभ आइसोटोप है, का पता लगाने के लिये पर्याप्त संवेदनशील है।

कैल्शियम-41 और ATTA:

  • कैल्शियम-41: 
    • कैल्शियम-41 99,400 वर्षों की अर्द्ध आयु के साथ कैल्शियम का एक दुर्लभ लंबे समय तक रहने वाला रेडियोआइसोटोप है।
    • जब अंतरिक्ष से कॉस्मिक किरणें मिट्टी या चट्टानों में कैल्शियम परमाणुओं से टकराती हैं तो पृथ्वी की सतह अर्थात् भूपर्पटी (Crust) में कैल्शियम-41 का उत्पादन होता है ।
    • इस समस्थानिक (आइसोटोप) में उन वस्तुओं के लिये डेटिंग विधियों में नियोजित होने की क्षमता है जो कार्बन-14 डेटिंग का उपयोग करके सटीक रूप से निर्धारित की जा सकती हैं।
  • ATTA: 
    • यह लेज़र परिचालन और तटस्थ परमाणुओं का पता लगाने पर आधारित है।
    • नमूने को वाष्पीकृत करने के बाद परमाणुओं को लेज़र द्वारा धीमा या ट्रैप किया जाता है और प्रकाश एवं चुंबकीय क्षेत्र कोष्ठ में रखा जाता है।
    • लेज़र की आवृत्ति को ट्यून करके इलेक्ट्रॉन संक्रमण के माध्यम से कैल्शियम-41 परमाणुओं का पता लगाया जा सकता है।
      • इलेक्ट्रॉन संक्रमण: परमाणु की एक कक्षा से एक इलेक्ट्रॉन दूसरी कक्षा में संक्रमण कर सकता है यदि उसे एक विशिष्ट मात्रा में ऊर्जा प्रदान की जाती है तो फिर वह उस ऊर्जा को मुक्त करके वापस अपनी कक्षा में वापस लौटता है।
    • शोधकर्त्ताओं ने समुद्री जल में 12% सटीकता के साथ प्रत्येक 1016 कैल्शियम परमाणुओं में एक कैल्शियम-41 परमाणु को खोजने में सक्षम होने की सूचना दी।
      • यह चयनात्मक है और पोटेशियम-41 परमाणुओं के साथ भ्रम से बचाता है
  • ATTA के अनुप्रयोग:
    • कैल्शियम समस्थानिक के सफल अनुप्रयोग से अन्य धातु समस्थानिकों के विस्तार की संभावना खुल जाती है।
      • ATTA को आर्गन-39, क्रिप्टोन-81 और क्रिप्टोन-85 जैसे अन्य समस्थानिकों का अध्ययन करने के लिये अनुकूलित किया जा सकता है।
    • ऊष्मीय जलवायु में हिमनद पीछे हट जाते हैं परिणामस्वरूप नीचे की चट्टान पर कैल्शियम-41 जमा होता है एवं शीत जलवायु में ग्लेशियर आगे बढ़ते हैं तथा कैल्शियम-41 को चट्टान तक पहुँचने से रोकते हैं। इस तरह वैज्ञानिकों को ATTA के अध्ययन करने से यह जानकारी मिलने की आशा है कि कोई चट्टान बर्फ से कितने समय तक ढकी रही है।

रेडियोधर्मी डेटिंग:

  • संदर्भ: 
    • रेडियोधर्मी डेटिंग एक विधि है जिसका उपयोग रेडियोधर्मी समस्थानिकों के क्षय के आधार पर चट्टानों, खनिजों और जीवाश्मों की आयु निर्धारित करने के लिये किया जाता है।
    • यह इस सिद्धांत पर निर्भर करता है कि तत्त्वों के कुछ समस्थानिक अस्थिर होते हैं और समय के साथ अधिक स्थिर रूपों में अनायास क्षय हो जाते हैं। क्षय की दर को अर्द्ध-जीवन द्वारा मापा जाता है, जो कि मूल समस्थानिक के आधे भाग के छोटे  समस्थानिक में क्षय होने लगते हैं।
    • अलग-अलग समस्थानिकों का आधा जीवन अलग-अलग होता है, जो उन्हें विभिन्न समय-सीमाओं के डेटिंग के लिये उपयोगी बनाता है। 
      • उदाहरण के लिये कार्बन-14 डेटिंग लगभग 50,000 वर्ष पुरानी जैविक सामग्री के डेटिंग के लिये प्रभावी है। जब कोई जैविक इकाई जीवित होती है तब उसका शरीर कार्बन-14 परमाणुओं को अवशोषित और साथ ही उत्सर्जित करता रहता है। जब यह मृत हो जाता है तब यह प्रक्रिया बंद हो जाती है और मौजूदा कार्बन-14 का भी क्षय होने लगता है।
      • शोधकर्त्ता यह निर्धारित कर सकते हैं कि शरीर में इन परमाणुओं की सापेक्ष मात्रा की तुलना उस संख्या से की जा सकती है जो मौजूद होनी चाहिये थी।
  • कार्बन-14 की सीमाएँ:
    • कार्बन-14 कार्बन का एक अस्थिर और कमज़ोर रेडियोधर्मी समस्थानिक है। इसका अर्द्ध आयु 5,700 वर्ष है तथा इसका उपयोग कार्बन आधारित सामग्रियों की आयु का अनुमान लगाने हेतु किया जाता है।
    • कार्बन-14 का उपयोग कर कार्बन डेटिंग कार्बन-14 के 5,700 वर्ष की अर्द्ध आयु के कारण 50,000 वर्ष तक की वस्तुओं तक सीमित है।

स्रोत: द हिंदू

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