ऑफ-बजट देयताएँ | 21 Apr 2023
भारत सरकार ने राजकोषीय पारदर्शिता बढ़ाने हेतु वित्त वर्ष 2022 में ऑफ-बजट उधारी की अपनी प्रथा को समाप्त कर दिया और यह ऐसी शेष ऑफ-बजट देनदारियों के पूर्व-भुगतान करने की योजना बना रही है।
- भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) और 15वें वित्त आयोग ने सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं के माध्यम से कल्याणकारी योजनाओं के ऑफ-बजट वित्तपोषण पर रोक लगा दी थी और केंद्र से इस पर सफाई देने का आग्रह किया था।
ऑफ-बजट देयताएँ:
- ऑफ-बजट देयताएँ सरकारी संस्थाओं द्वारा पारंपरिक बजट के बाहर सरकारी कार्यक्रमों एवं सब्सिडी के वित्तपोषण हेतु लिये गए ऋणों को संदर्भित करती हैं।
- ये एजेंसियाँ बॉण्ड के माध्यम से धन जुटाती हैं जो सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) की तुलना में अधिक ब्याज दर प्रदान करती हैं।
- क्योंकि केंद्र आधिकारिक तौर पर ऋण हेतु उत्तरदायी नहीं है, इसलिये ऋण राष्ट्रीय राजकोषीय घाटे में शामिल नहीं है। यह देश के राजकोषीय घाटे को स्वीकार्य सीमा के भीतर रखने में मदद करता है।
- वित्त वर्ष 2021 के अंत तक केंद्र के पास लगभग 6.7 ट्रिलियन रुपए ऑफ-बजट देयताएँ थीं।
- केंद्र की बकाया बजट देनदारियों में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण हेतु लगभग 49,000 करोड़ रुपए, विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिये 20,164 करोड़ रुपए, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण हेतु 12,300 करोड़ रुपए आदि शामिल हैं।
ऑफ-बजट देयताओं को खत्म करने के लिये सरकार के प्रयास:
- प्रयास:
- भारत सरकार ने वित्त वर्ष 20 22 के बजट में राज्य द्वारा संचालित अभिकरणों के माध्यम से ऑफ-बजट ऋण लेने की अपनी प्रथा को समाप्त करके राजकोषीय पारदर्शिता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया।
- सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय लघु बचत कोष (NSSF) से 5 ट्रिलियन रुपए या अपनी ऑफ-बजट देनदारियों का 75% से अधिक लिया।
- हालाँकि 1.7 ट्रिलियन रुपए की शेष ऑफ-बजट देनदारियाँ बॉण्ड धारकों की उच्च-उपज वाले बॉण्डों को छोड़ने की अनिच्छा के कारण समाप्त करने के लिये चुनौतीपूर्ण साबित हो रही हैं।
- चुनौतियाँ:
- बॉण्ड धारक अपने हाई बॉण्ड को छोड़ने और बॉण्ड की शेष अवधि के लिये ब्याज़ आय को समाप्त करने के इच्छुक नहीं हैं।
- निवेशक चिंतित हैं कि यदि वे प्रीपेमेंट ऑफर स्वीकार करते हैं तो उन्हें निवेश करने के लिये समान आकर्षक कूपन दरों वाले अन्य सुरक्षित और उच्च रेटेड बॉण्ड नहीं मिलेंगे।
- इसके अतिरिक्त, बाॅण्ड धारक आम तौर पर एक प्रीमियम या उच्च ब्याज दर की मांग करते हैं, जो बाॅण्ड की अवशिष्ट अवधि में ब्याज आय के नुकसान की भरपाई करने के लिये उनसे वादा किया जाता है, यदि कोई जारीकर्त्ता अग्रिम भुगतान करना चाहता है।
- बॉण्ड धारक अपने हाई बॉण्ड को छोड़ने और बॉण्ड की शेष अवधि के लिये ब्याज़ आय को समाप्त करने के इच्छुक नहीं हैं।
- ऑफ-बजट देनदारियों के निहितार्थ:
- वित्त वर्ष 2011 में सरकार के ऋण-से-जीडीपी को 15 साल में लगभग 61.6 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुँचाया।
- सरकार के वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही हासिल करने के प्रयासों में बाधा डालना।
- अन्य सरकारी कार्यक्रमों और सब्सिडी के वित्तपोषण के लिये स्वास्थ्य, शिक्षा, अवसंरचनात्मक ढाँचे के विकास जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों से पूंजी का उपयोग करना।
- राज्य द्वारा संचालित एजेंसियों में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के संचय में योगदान।