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नोट्रे डेम कैथेड्रल

  • 03 Dec 2024
  • 5 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

पेरिस में प्रतिष्ठित नोट्रे-डेम कैथेड्रल अप्रैल 2019 में लगी विनाशकारी आग के बाद व्यापक नवीनीकरण के बाद फिर से खुलने के लिये तैयार है । यह पुनः उद्घाटन इस वास्तुशिल्प कृति और फ्राँस की सांस्कृतिक विरासत के एक महत्वपूर्ण हिस्से को बहाल करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगा।

सांस्कृतिक विरासत के लिये नोट्रे-डेम का पुनरुद्धार क्या मायने रखता है?

  • नोट्रे-डेम:
    • यह एक मध्ययुगीन कैथोलिक कैथेड्रल है जो फ्राँस के पेरिस में सीन नदी के एक द्वीप पर स्थित है।
    • यह कैथेड्रल वर्जिन मैरी को समर्पित है और इसे फ्रेंच गोथिक वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक माना जाता है ।
    • इसमें काँटों का पवित्र मुकुट रखा गया है जो यीशु के क्रूस/सूली पर चढ़ने से प्राप्त पवित्र अवशेषों में सबसे कीमती वस्तु है - इसके साथ ही इसके अवशेषों में क्रूस का एक टुकड़ा जिस पर उन्हें कीलों से ठोंका गया था तथा एक कील भी शामिल है।
    • यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
  • ऐतिहासिक महत्व:
    • ऐसा माना जाता है कि नोट्रे-डेम का निर्माण बृहस्पति को समर्पित एक पूर्व गैलो-रोमन मंदिर के स्थल पर किया गया था। फ्राँस में ईसाई धर्म के आगमन के बाद, उसी स्थल पर चार चर्च बनाए गए।
    • नोट्रे-डेम का निर्माण 1160 में बिशप मौरिस डी सुली के अधीन शुरू हुआ और 1260 तक इसका अधिकांश निर्माण पूरा हो गया।
    • जब नेपोलियन बोनापार्ट 1801 में फ्राँस का शासक बना, तो उसने अपने राज्याभिषेक के लिये नोट्रे-डेम को चुना और इसे पुनर्स्थापित करने का वचन दिया। 
    • यहीं पर 1810 में ऑस्ट्रिया की मैरी-लुईस के साथ उनकी शादी भी हुई थी
    • यह अपनी वास्तुशिल्प विशेषताओं के लिये प्रसिद्ध है, जिसमें रिब वॉल्टिंग, फ्लाइंग बट्रेस और आश्चर्यजनक रंगीन ग्लास खिड़कियाँ शामिल हैं।
  • सांस्कृतिक पुनरुद्धार: जीर्णोद्धार का उद्देश्य न केवल पुनर्निर्माण करना है, बल्कि इसकी कलाकृतियों की गहन सफाई और नवीनीकरण के माध्यम से कैथेड्रल की सुंदरता को बढ़ाना भी है।
  • फ्राँसीसी गोथिक वास्तुकला: फ्राँसीसी स्थापत्य शैली में शटर खिड़कियाँ, नक्काशीदार मेहराब और संकरी सड़क के सामने के भाग शामिल थे, जो पारंपरिक बंगाली घरों के आंगनों और पीछे के बगीचों के साथ अच्छी तरह से मेल खाते थे।
    • ली कोर्बुसिए जैसे फ्राँसीसी वास्तुकारों ने भारत में आधुनिक शहरी नियोजन की नींव रखी।
    • इंडो-फ़्रेंच वास्तुकला के उदाहरण चंद्रनगर, पश्चिम बंगाल:
      • गवर्नर हाउस, कैथेड्रल ऑफ आवर लेडी ऑफ द इमैक्युलेट कॉन्सेप्शन, और चर्च ऑफ सेंट फ्राँसिस जेवियर।

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  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थानों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. अजंता की गुफाएँ 
  2. लेपाक्षी मंदिर 
  3. साँची स्तूप

उपर्युक्त स्थानों में से कौन-सा/से भित्ति चित्रों के लिये भी जाना जाता है/जाने जाते हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (b)


प्रश्न. कुछ बौद्ध रॉक-कट गुफाओं को चैत्य कहा जाता है, जबकि अन्य को विहार कहा जाता है। दोनों के बीच क्या अंतर है? (2013) 

(a) विहार पूजा-स्थल होता है, जबकि चैत्य बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान है। 
(b) चैत्य पूजा-स्थल होता है, जबकि बिहार बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान है। 
(c) चैत्य गुफा के दूर के सिरे पर स्तूप होता है, जबकि विहार गुफा पर अक्षीय कक्ष होता है। 
(d) दोनों में कोई वस्तुपरक अंतर नहीं होता। 

उत्तर: (b)

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