इंटरपोल के नोटिस | 24 Feb 2024
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में इंटरपोल की नोटिस प्रणाली के दुरुपयोग, विशेष रूप से ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करने के बारे में चिंताएँ व्यक्त की गई हैं, जिनकी रेड कॉर्नर नोटिस की तुलना में कम जाँच की जाती है।
- पिछले दस वर्षों में नीले नोटिसों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
- आलोचकों ने तर्क दिया है कि देश अक्सर राजनीतिक शरणार्थियों और असंतुष्टों को लक्षित करने के लिये मौजूदा प्रोटोकॉल का फायदा उठाते हैं।
इंटरपोल नोटिस सिस्टम क्या है?
- परिचय:
- इंटरपोल अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये राष्ट्रीय पुलिस बलों के लिये एक महत्त्वपूर्ण सूचना-साझाकरण नेटवर्क के रूप में कार्य करता है।
- इंटरपोल (सामान्य सचिवालय) लापता या वांछित व्यक्तियों के लिये सदस्य राज्यों को नोटिस जारी करता है, जिसका पालन करना राज्यों हेतु अनिवार्य नहीं है, लेकिन अक्सर गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के लिये वारंट के रूप में माना जाता है।
- अनुरोधकर्त्ता प्राधिकारी: नोटिस निम्नलिखित के अनुरोध पर जारी किये जाते हैं:
- एक सदस्य देश का इंटरपोल नेशनल सेंट्रल ब्यूरो
- अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरणों तथा अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अनुरोध पर उनके अधिकार क्षेत्र के भीतर अपराध, विशेष रूप से नरसंहार, युद्ध अपराध एवं मानवता के विरुद्ध अपराध करने के लिये वांछित व्यक्तियों की खोज करना।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुरोध पर सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों को लागू करने के संबंध में।
- नोटिस के प्रकार:
इंटरपोल नोटिस के दुरुपयोग के बारे में क्या चिंताएँ हैं?
- ब्लू नोटिस बनाम रेड नोटिस:
- ब्लू नोटिस: "पूछताछ नोटिस" के रूप में संदर्भित, सदस्य राज्यों में पुलिस बलों को अन्य विवरणों के साथ-साथ किसी व्यक्ति के आपराधिक रिकॉर्ड एवं स्थान की पुष्टि करने सहित महत्त्वपूर्ण अपराध-संबंधी जानकारी का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
- ब्लू कॉर्नर नोटिस आपराधिक आरोप दायर करने से पहले जारी किये जाते हैं।
- रेड नोटिस: किसी वांछित अपराधी को प्रत्यर्पण या अन्य कानूनी तरीकों से गिरफ्तार के लिये किसी सदस्य राज्य द्वारा जारी किया जाता है, गिरफ्तारी वारंट या न्यायालय के निर्णय के बाद अभियोजन अथवा सज़ा देने के लिये राष्ट्रीय न्यायालयों द्वारा मांगे गए व्यक्तियों को लक्षित किया जाता है।
- इंटरपोल किसी भी देश के अनुरोध पर कार्रवाई कर सकता है, भले ही वह भगोड़े का स्वदेश हो, जब तक कि कथित अपराध वहाँ हुआ हो।
- विचाराधीन व्यक्ति को सदस्य राज्य से गुजरते समय हिरासत में लिया जा सकता है और गिरफ्तार किया जा सकता है, जिसके अतिरिक्त प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं, जिसमें बैंक खातों को फ्रीज़ करना भी शामिल है।
- इंटरपोल के पास किसी भी देश में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को रेड कॉर्नर नोटिस द्वारा लक्षित व्यक्ति को पकड़ने के लिये बाध्य करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि ऐसा करने का निर्णय पूरी तरह से उनके विवेक पर है।
- ब्लू नोटिस: "पूछताछ नोटिस" के रूप में संदर्भित, सदस्य राज्यों में पुलिस बलों को अन्य विवरणों के साथ-साथ किसी व्यक्ति के आपराधिक रिकॉर्ड एवं स्थान की पुष्टि करने सहित महत्त्वपूर्ण अपराध-संबंधी जानकारी का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
- रेड नोटिस को लेकर विवाद: हालाँकि इंटरपोल का संविधान राजनीतिक चरित्र की किसी भी गतिविधि को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित करता है, लेकिन कार्यकर्त्ताओं ने उस पर इस नियम को लागू करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। उदाहरण के लिये:
- रूस प्रायः क्रेमलिन विरोधियों की गिरफ्तारी के लिये नोटिस और प्रसार जारी करता है, जो अमेरिकी अधिकार संगठन फ्रीडम हाउस के अनुसार सभी सार्वजनिक रेड नोटिस में 38% का योगदान देता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने चीन, ईरान, तुर्की और ट्यूनीशिया सहित अन्य देशों पर सत्तावादी उद्देश्यों के लिये एजेंसी की नोटिस प्रणाली का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।
- इंटरपोल ने गुरपतवंत सिंह पन्नून के विरुद्ध रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के भारत के दूसरे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, जिसे UAPA के तहत गृह मंत्रालय द्वारा "आतंकवादी" के रूप में नामित किया गया था। इंटरपोल ने नोटिस जारी करने के संबंध में अपर्याप्त जानकारी का हवाला देते हुए और इस बात पर प्रकाश डाला उसके कृत्यों में "स्पष्ट राजनीतिक आयाम" है जो इंटरपोल के संविधान के अधीन रेड कॉर्नर नोटिस के दायरे से परे है।
- इंटरपोल का रुख: बढ़ती आलोचना के मद्देनज़र इंटरपोल ने अपने रेड नोटिस प्रणाली में सुधार किया है किंतु ब्लू नोटिस जारी करने के संबंध में चिंताएँ बरकरार हैं।