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नॉर्वे ने ऐतिहासिक समावेशन नीतियों के लिये माफी मांगी

  • 28 Nov 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

नॉर्वे की संसद ने एक शताब्दी से चली आ रही "नॉर्वेजियनीकरण" नामक समावेशन नीतियों के लिये आधिकारिक माफी जारी की, जिसके तहत सामी, क्वेन और फॉरेस्ट फिन समुदायों के साथ भेदभाव किया जाता था।

  • आत्मसातीकरण नीति विविध समूहों को प्रमुख संस्कृति में एकीकृत करने को बढ़ावा देती है, जिसके तहत प्रायः उन्हें इसके मानदंडों, मूल्यों और भाषा को अपनाने की आवश्यकता होती है, जिससे कभी-कभी उनकी अपनी सांस्कृतिक पहचान भी समाप्त हो जाती है।
  • नॉर्वेइजेशन प्रक्रिया का उद्देश्य सामी, क्वेन और फॉरेस्ट फिन्स की संस्कृतियों और भाषाओं को मिटाना था। 
    • मूलनिवासी बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर सरकारी स्कूलों में भेज दिया गया, जहाँ उन्हें भेदभाव और जबरन सांस्कृतिक परिवर्तन का सामना करना पड़ा।
  • सामी: उत्तरी यूरोप के मूल निवासी, मुख्यतः नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड और रूस के लोग सामी भाषा बोलते हैं, जो लुप्तप्राय है।
  • क्वेन और फॉरेस्ट फिन्स: फिनलैंड और स्वीडन से आये प्रवासी जो सदियों पहले नॉर्वे में बस गए थे, जिनकी सांस्कृतिक प्रथाएँ अलग थीं।

और पढ़ें: जनजातीय विकास दृष्टिकोण

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