रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार 2024 | 12 Oct 2024
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज़ द्वारा वर्ष 2024 के लिये रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
- पुरस्कार का आधा भाग डेविड बेकर को कम्प्यूटेशनल प्रोटीन के डिज़ाइन के लिये दिया गया, जबकि दूसरा आधा भाग संयुक्त रूप से डेमिस हसबिस और जॉन एम. जंपर को प्रोटीन की संरचना की भविष्यवाणी के लिये प्रदान किया गया है।
डेविड बेकर का योगदान क्या है?
- प्रोटीन इंजीनियरिंग में क्रांतिकारी बदलाव: बेकर के अनुसंधान समूह ने प्रोटीन इंजीनियरिंग की संभावनाओं को नया आकार देते हुए, नए प्रोटीनों को डिज़ाइन करने के लिये कम्प्यूटेशनल विधियों का उपयोग किया है।
- प्रोटीन के निर्माण वाले 20 विभिन्न अमीनो एसिड में बदलाव करके, उनकी टीम ने नए प्रोटीन बनाए हैं, जो प्रकृति में मौजूद नहीं हैं।
- चिकित्सा और प्रौद्योगिकी में अनुप्रयोग: इन कृत्रिम रूप से डिज़ाइन किये गए प्रोटीनों में विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स, टीके, नैनोमैटेरियल्स और बायोसेंसर के विकास में व्यापक संभावनाएँ हैं।
- बेकर ने सफलतापूर्वक नए कार्यों वाले प्रोटीन का डिज़ाइन तैयार किया है, जैसे प्लास्टिक को विघटित करना या प्राकृतिक प्रोटीन की क्षमता से परे कार्य करना।
- वर्ष 2003 में पहली सफलता: बेकर को पहली बड़ी सफलता वर्ष 2003 में मिली जब उनकी टीम ने एक ऐसा प्रोटीन तैयार किया, जो प्रकृति में पाए जाने वाले किसी भी प्रोटीन से पूर्ण रूप से भिन्न था।
डेमिस हसाबिस और जॉन जंपर का योगदान क्या है?
- प्रोटीन फोल्डिंग की समस्या: वर्ष 1970 के दशक से वैज्ञानिक यह अनुमान लगाने में संघर्ष कर रहे हैं कि अमीनो एसिड के तार अपने त्रि-आयामी आकार में कैसे वलित होते हैं ।
- प्रोटीन की संरचना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह उसके कार्य को निर्धारित करती है।
- दवा की खोज, रोग उपचार और जैव-प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में प्रगति के लिये इन संरचनाओं को समझना आवश्यक है।
- अल्फाफोल्ड-2 के साथ सफलता: वर्ष 2020 में हसबिस और जंपर ने अल्फाफोल्ड-2 प्रस्तुत किया, जो एक AI-संचालित प्रणाली है जिसने भविष्य में प्रोटीन संरचना में क्रांति ला दी।
- यह मॉडल लगभग प्रत्येक ज्ञात प्रोटीन, 200 मिलियन, की संरचना का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम था।
- इस उपलब्धि से संरचनात्मक जीव विज्ञान की 50 वर्ष पुरानी समस्या का समाधान हो गया।
- प्रोटीन संरचनाओं को डिकोड करने के पारंपरिक तरीके, जैसे कि एक्स-रे, क्रिस्टलोग्राफी आदि मंद, श्रमसाध्य और समय लेने वाले हैं।
- व्यापक उपयोग और प्रभाव: अल्फाफोल्ड-2 का उपयोग विश्व भर में दो मिलियन से अधिक शोधकर्त्ताओं द्वारा किया गया है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में सफलता मिली है।
- उदाहरण के लिये यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध को समझने और प्लास्टिक को विघटित करने में सक्षम एंजाइम के निर्माण करने में सहायक रहा है ।
प्रोटीन से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
- निर्माण खंड के रूप में अमीनो एसिड: प्रोटीन अमीनो एसिड की दीर्घ शृंखलाओं से निर्मित होते हैं, जो कार्बनिक अणु होते हैं जिसमें कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और कभी-कभी सल्फर भी शामिल होते हैं।
- इसमें 20 प्रकार के विभिन्न अमीनो एसिड होते हैं और इनके विभिन्न संयोजन, त्रि-आयामी संरचनाओं में संयोजित होकर, जैविक प्रक्रियाओं के लिये आवश्यक प्रोटीन का निर्माण करते हैं।
- प्रोटीन की संरचनात्मक भूमिका: प्रोटीन की त्रि-आयामी संरचना इसके कार्य को निर्धारित करती है।
- वर्ष 1972 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार क्रिश्चियन एन्फिन्सन को राइबोन्यूक्लिऐस पर उनके कार्य के लिये दिया गया था, विशेष रूप से अमीनो एसिड अनुक्रम के बीच।
- आवश्यक अणु के रूप में प्रोटीन: प्रोटीन जीवित जीवों में लगभग प्रत्येक जैविक प्रक्रिया के लिये मौलिक हैं और जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को गति देने, संरचनात्मक समर्थन प्रदान करने, प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं में सहायता करने और पोषक तत्वों को संग्रहीत करने जैसे विविध कार्य करते हैं।
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