निपाह वायरस | 14 Sep 2023
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारत के केरल राज्य में फिर से निपाह वायरस का प्रकोप देखा जा रहा है और इससे दो लोगों की मृत्यु हो गई है।
- यह वर्ष 2021 के बाद से भारत में निपाह वायरस का पहला प्रकोप है, जब कोविड-19 महामारी के दौरान कोझिकोड (Kozhikode) में एक मामला सामने आया था।
निपाह वायरस:
- परिचय:
- यह एक ज़ूनोटिक वायरस है (जानवरों से इंसानों में संचरित होता है)।
- निपाह वायरस इंसेफेलाइटिस के लिये उत्तरदायी जीव पैरामाइक्सोविरिडे श्रेणी तथा हेनिपावायरस जीनस/वंश का एक RNA अथवा राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस है तथा हेंड्रा वायरस से निकटता से संबंधित है।
- हेंड्रा वायरस (HeV) संक्रमण एक दुर्लभ उभरता हुआ ज़ूनोसिस है जो संक्रमित घोड़ों और मनुष्यों दोनों में गंभीर तथा अक्सर घातक बीमारी का कारण बनता है।
- यह पहली बार वर्ष 1998 और 1999 में मलेशिया तथा सिंगापुर में पाया गया था।
- इस बीमारी का नाम मलेशिया के एक गाँव सुंगई निपाह के नाम पर रखा गया है, जहाँ सबसे पहले इसका पता चला था।
- यह पहली बार घरेलू सुअरों में देखा गया और कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों तथा भेड़ों सहित घरेलू जानवरों की कई प्रजातियों में पाया गया।
- संक्रमण:
- यह रोग पटरोपस जीनस के ‘फ्रूट बैट’ अथवा 'फ्लाइंग फॉक्स' के माध्यम से फैलता है, जो निपाह और हेंड्रा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं।
- यह वायरस चमगादड़ के मूत्र और संभावित रूप से चमगादड़ के मल, लार व जन्म के समय तरल पदार्थों में मौजूद होता है।
- लक्षण:
- मानव संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, उनींदापन, भटकाव, मानसिक भ्रम, कोमा और संभावित मृत्यु आदि इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम सामने आते हैं।
- रोकथाम:
- वर्तमान में मनुष्यों और जानवरों दोनों के लिये कोई टीका उपलब्ध नहीं है। निपाह वायरस से संक्रमित मनुष्यों की गहन देखभाल की आवश्यकता होती है।