निकोबारी होदी शिल्प | 21 Nov 2022
हाल ही में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने आवेदन किया है, जिसमें निकोबारी होदी शिल्प के लिये भौगोलिक संकेत (GI) टैग की मांग की गई है।
- यह केंद्रशासित प्रदेश से पहला आवेदन है जिसमें उसके किसी उत्पाद के लिये टैग की मांग की गई है।
- इससे पहले सरकार ने मिथिला मखाना को जीआई टैग से सम्मानित किया था।
निकोबारी होदी:
- होदी निकोबारी जनजाति का पारंपरिक शिल्प है। यह एक ओट्रिगर डोंगी है, जो आमतौर पर द्वीपों के निकोबार समूह में संचालित होती है।
- निकोबारियों को होदी बनाने के लिये तकनीकी कौशल अपने पूर्वजों से विरासत में मिले स्वदेशी ज्ञान पर आधारित है।
- होदी को या तो स्थानीय रूप से या आसपास के द्वीपों पर उपलब्ध पेड़ों से बनाया जाता है और इसका डिज़ाइन एक द्वीप से दूसरे द्वीप में थोड़ा भिन्न होता है।
- ध्यान में रखे जाने वाले विचारों में तैयार डोंगी की लंबाई शामिल है, जो इसकी चौड़ाई का 12 गुना होनी चाहिये, जबकि पेड़ के तने की लंबाई इस चौड़ाई का 15 गुना होनी चाहिये।
- होदी का उपयोग लोगों और सामानों को एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर ले जाने, नारियल भेजने, मछली पकड़ने और दौड़ प्रतियोगिता उद्देश्यों के लिये किया जाता है।
- तुहेट (एक मुखिया के अंतर्गत परिवारों का एक समूह) होदी को एक संपत्ति मानता है। होदी दौड़ द्वीपों और गाँवों के बीच आयोजित की जाती है।
भौगोलिक संकेतक (GI) टैग:
- परिचय:
- GI एक संकेतक है, जिसका उपयोग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली विशेष विशेषताओं वाले सामानों को पहचान प्रदान करने के लिये किया जाता है।
- ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतकों के पंजीकरण एवं बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
- यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों (TRIPS) के व्यापार-संबंधित पहलुओं का भी हिस्सा है।
- पेरिस कन्वेंशन के अनुच्छेद 1 (2) और 10 के तहत यह निर्णय लिया गया तथा यह भी कहा गया कि औद्योगिक संपत्ति भौगोलिक संकेत का संरक्षण बौद्धिक संपदा के तत्त्व हैं।
- यह मुख्य रूप से कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक सामान) हैं।
- वैधता:
- भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।
- भौगोलिक संकेतक का महत्त्व:
- एक बार भौगोलिक संकेतक का दर्जा प्रदान कर दिये जाने के बाद कोई अन्य निर्माता समान उत्पादों के विपणन के लिये इसके नाम का दुरुपयोग नहीं कर सकता है। यह ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के बारे में भी सुविधा प्रदान करता है।
- किसी उत्पाद का भौगोलिक संकेतक अन्य पंजीकृत भौगोलिक संकेतक के अनधिकृत उपयोग को रोकता है।
- साथ ही यह कानूनी सुरक्षा प्रदान करके भारतीय भौगोलिक संकेतों के निर्यात को बढ़ावा देता है और विश्व व्यापार संगठन के अन्य सदस्य देशों को कानूनी सुरक्षा प्राप्त करने में भी सक्षम बनाता है।
- GI टैग उत्पाद के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- यह ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के बारे में भी सुविधा प्रदान करता है।
- GI रजिस्ट्रेशन:
- GI उत्पादों के पंजीकरण की उचित प्रक्रिया है जिसमें आवेदन दाखिल करना, प्रारंभिक जाँच और परीक्षा, कारण बताओ नोटिस, भौगोलिक संकेत पत्रिका में प्रकाशन, पंजीकरण का विरोध एवं पंजीकरण शामिल है।
- इसके लिये कानून द्वारा या उसके तहत स्थापित व्यक्तियों, उत्पादकों, संगठन या प्राधिकरण का कोई भी संघ आवेदन कर सकता है।
- आवेदक को उत्पादकों के हितों का प्रतिनिधित्व करना चाहिये।
- GI टैग उत्पाद:
- कुछ प्रसिद्ध वस्तुएँ जिनको यह टैग प्रदान किया गया है उनमें बासमती चावल, दार्जिलिंग चाय, चंदेरी फैब्रिक, मैसूर सिल्क, कुल्लू शॉल, कांगड़ा चाय, तंजावुर पेंटिंग, इलाहाबाद सुरखा, फर्रुखाबाद प्रिंट, लखनऊ जरदोजी, कश्मीर केसर और कश्मीर अखरोट की लकड़ी की नक्काशी शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से किसे 'भौगोलिक संकेतक' का दर्जा प्रदान किया गया है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: C व्याख्या:
प्रश्न. भारत ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को किसके दायित्वों का पालन करने के लिये अधिनियमित किया? (2018) (a) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन उत्तर: (D) व्याख्या:
अतः विकल्प (D) सही है। |