ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के लिये नए कराधान नियम | 26 May 2023
हाल ही में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes- CBDT) ने भारत में ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के लिये नए कराधान नियम प्रस्तुत किये हैं। इन नियमों का उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग के माध्यम से जीती गई राशि पर स्पष्टता सुनिश्चित करने और स्रोत पर कर कटौती (Tax Deducted at Source- TDS) के लिये दिशा-निर्देश निर्धारित करना है।
ऑनलाइन गेमिंग के लिये नए कराधान नियम:
- जीती गई 100 रुपए तक की राशि पर कोई TDS नहीं:
- यदि जीती गई राशि 100 रुपए से अधिक नहीं है तो ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को किसी खिलाड़ी के लिये स्रोत पर कर कटौती करने की आवश्यकता नहीं होगी।
- यह नियम छोटी धनराशि जीतने वाले खिलाड़ियों को राहत प्रदान करता है।
- यदि जीती गई राशि 100 रुपए से अधिक नहीं है तो ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को किसी खिलाड़ी के लिये स्रोत पर कर कटौती करने की आवश्यकता नहीं होगी।
- कर योग्य जमा:
- ऑनलाइन गेमिंग कंपनी द्वारा प्रदान किये जाने वाले बोनस, रेफरल बोनस और प्रोत्साहन को कर योग्य जमा माना जाता है।
- यह जमा आयकर अधिनियम के नियम 133 के तहत कर के अधीन होगी।
- शुद्ध जीत की गणना:
- ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में एक उपयोगकर्त्ता के पास कई खाते होने की स्थिति में शुद्ध जीत की गणना हेतु उपयोगकर्त्ता के प्रत्येक खाते पर अलग से विचार किया जाएगा।
- उपयोगकर्त्ता खाते में जमा, निकासी या शेष राशि व्यक्ति से जुड़े सभी उपयोगकर्त्ता खातों की कुल राशि को संदर्भित करती है।
- एक ही ऑनलाइन मध्यस्थ के तहत उपयोगकर्त्ता खातों के बीच स्थानांतरण को एक ही उपयोगकर्त्ता से संबंधित निकासी या जमा नहीं माना जाएगा।
- हालाँकि एक उपयोगकर्त्ता से दूसरे उपयोगकर्त्ता के खाते के बीच निकासी या जमा जैसे हस्तांतरण को निकासी माना जाएगा।
- ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में एक उपयोगकर्त्ता के पास कई खाते होने की स्थिति में शुद्ध जीत की गणना हेतु उपयोगकर्त्ता के प्रत्येक खाते पर अलग से विचार किया जाएगा।
- जीत का मूल्यांकन:
- वस्तु के रूप में जीत का मूल्यांकन उचित बाज़ार मूल्य पर आधारित होगा, उस स्थिति को छोड़कर जब ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थ ने विजित वस्तु को उपयोगकर्त्ता को देने से पहले खरीदा हो।
- यदि ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थ विजित वस्तुओं का विनिर्माण स्वयं करता है, तो उचित बाज़ार मूल्य पर विचार किया जाएगा।
- ऑनलाइन गेमिंग के लिये TDS प्रावधान:
- ऑनलाइन गेमिंग लेन-देन को विनियमित करने के लिये वित्त अधिनियम, 2023 ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194BA की शुरुआत की, जिसमें उपयोगकर्त्ता के खाते में जीती गई राशि पर शुद्ध आयकर कटौती करने के लिये ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म की आवश्यकता होती है।
- किसी भी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से कुल जीती गई राशि पर 30% की दर से TDS लागू होगा।
- निकासी के समय और वित्तीय वर्ष के अंत में कर कटौती की आवश्यकता होती है।
- प्रभाव:
- ऑनलाइन गेमर्स पर “कर” का भार बढ़ेगा।
- पेशेवर गेमर्स और स्ट्रीमर्स पर प्रभाव, संभावित रूप से उच्च कर और अधिक जटिल वित्तीय प्रबंधन।
- ई-स्पोर्ट्स संगठनों के वित्तीय मॉडल को समायोजित करने और राजस्व धाराओं के तहत कर निहितार्थों पर विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।
- गेमिंग आय पर वित्तीय प्रभाव और इसमें संभावित कमी हो सकती है।
- नए कर नियमों को समझने और उनका पालन करने में अनुपालन संबंधी चुनौतियाँ।
- अधिक अनुकूल कर विनियमों के परिणामस्वरूप खिलाड़ियों द्वारा न्यायिक क्षेत्राधिकार की ओर पलायन की संभावना होगी।
स्रोत पर कर कटौती (TDS):
- एक व्यक्ति (कटौतीकर्त्ता) जो किसी अन्य व्यक्ति (कटौतीकर्त्ता) को निर्दिष्ट प्रकृति का भुगतान करने के लिये उत्तरदायी है, वह स्रोत पर कर काटेगा और उसे केंद्र सरकार के खाते में जमा करेगा।
CBDT:
- यह एक वैधानिक प्राधिकरण है जो केंद्रीय राजस्व बोर्ड अधिनियम, 1963 के तहत कार्य करता है।
- यह वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग का एक हिस्सा है।
- यह भारत में प्रत्यक्ष करों की नीति और योजना के लिये निविष्टियाँ प्रदान करता है तथा आयकर विभाग के माध्यम से प्रत्यक्ष कर कानूनों के प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार है।
- प्रत्यक्ष करों में आयकर, निगम कर आदि शामिल हैं।
डिजिटल परिसंपत्ति से संबंधित अन्य कर नियम:
- भारत सरकार ने केंद्रीय बजट 2022 में आभासी डिजिटल परिसंपत्ति के लेन-देन को विनियमित करने का निर्णय लिया है।
- क्रिप्टोकरेंसी, नॉन-फंजिबल टोकन (NFTs) और अन्य आभासी डिजिटल परिसंपत्ति में निवेश को विनियमित करने के लिये आयकर अधिनियम, 1961 में प्रावधान प्रस्तावित किये गए हैं।
- डिजिटल संपत्ति से होने वाली आय पर 30% की दर से कर लगाया जाएगा।
- आभासी डिजिटल संपत्ति से जुड़े लेन-देन पर स्रोत पर 1% की कर कटौती लागू होगी।
- आभासी डिजिटल संपत्ति उपहार भी कराधान के अधीन होंगे।
- कोई कटौती एवं छूट की अनुमति नहीं है और ऐसी संपत्तियों के हस्तांतरण से होने वाली हानियों को किसी अन्य आय के विरुद्ध समायोजित नहीं किया जा सकता है।