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वर्ष 2024-25 के लिये नवीन संसदीय समितियों का गठन

  • 20 Aug 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष द्वारा छह नवीन संसदीय समितियों का गठन, सरकारी कार्यों के प्रबंधन में एक रणनीतिक कदम है।

  • इन समितियों में लोक लेखा समिति (PAC) (सरकारी व्यय का प्रबंधन), प्राक्‍कलन समिति (सरकारी व्यय की जाँच और दक्षता सुनिश्चित करना), लोक उपक्रम समिति (लोक क्षेत्र के उद्यमों के प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित करना) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के कल्याण पर केंद्रित समितियाँ शामिल हैं।
  • नवगठित समितियों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है और इसमें लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों के सदस्य शामिल हैं।
    • विगत लोकसभा के विपरीत, जहाँ समिति के गठन में प्रायः चुनाव शामिल होते थे, 18वीं लोकसभा में समितियों का गठन मुख्य रूप से आम सहमति से किया गया है।
  • भारत में संसदीय समितियों, जो कि ब्रिटिश संसद से ली गई हैं, को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 (शक्तियाँ और विशेषाधिकार) तथा अनुच्छेद 118 (कार्य-संचालन के लिये विनियमन) के अंतर्गत अधिकार प्राप्त है।
  • भारत में संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं: स्थायी समितियाँ और तदर्थ समितियाँ।
    • स्थायी समितियाँ, वे होती हैं जिनका गठन संसद द्वारा लोकनीति या प्रशासन के विशिष्ट क्षेत्रों से निपटने के लिये किया जाता है।
    • तदर्थ समितियाँ अस्थायी समितियाँ होती हैं जिनका गठन विशिष्ट कार्यों या विशेष विधेयकों की समीक्षा के लिये किया जाता है। अपने उद्देश्यों को पूरा करने के बाद इन्हें भंग कर दिया जाता है।

और पढ़ें: संसदीय समितियाँ  

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