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समुद्री शैवाल के आयात हेतु नए दिशा-निर्देश

  • 01 Nov 2024
  • 2 min read

स्रोत: TH

हाल ही में केंद्र ने उच्च गुणवत्ता वाले बीज तत्त्व या जर्मप्लाज़्म के आयात का समर्थन करने हेतु 'भारत में जीवित समुद्री शैवाल के आयात के लिये दिशानिर्देश' जारी किये, जिसका उद्देश्य तटीय समुदायों के लिये आजीविका के अवसरों में वृद्धि करना है।

    दिशानिर्देश:

    • समुद्री शैवाल आयात के लिये रूपरेखा और प्रक्रियाएँ:
      • भारत में जीवित समुद्री शैवाल के आयात हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देशों के साथ एक नियामक ढाँचा स्थापित किया गया है, जिसमें कीटों, बीमारियों और जैव सुरक्षा जोखिमों को रोकने के लिये संगरोध, जोखिम मूल्यांकन तथा आयात के बाद की निगरानी शामिल है।
      • भारत के समुद्री शैवाल उद्योग को सीमित बीज उपलब्धता तथा गुणवत्ता संबंधी समस्याओं से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से व्यापक रूप से खेती की जाने वाली कप्पाफाइकस प्रजाति (Kappaphycus species) के संदर्भ में।
    • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY):
      • PMMSY का लक्ष्य वर्ष 2025 तक भारत के समुद्री शैवाल उत्पादन को 1.12 मिलियन टन से अधिक तक बढ़ाना है, जिसमें समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने के लिये तमिलनाडु में बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क जैसी प्रमुख पहल शामिल हैं।
    • धारणीय तथा ज़िम्मेदारीपूर्ण संवर्द्धन हेतु प्रोत्साहन:
      • ये दिशानिर्देश पर्यावरणीय दृष्टि से धारणीय एवं आर्थिक दृष्टि से लाभकारी समुद्री शैवाल की खेती को प्रोत्साहित करते हैं। 
      • नई प्रजातियों के आगमन से अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिलता है तथा लाल, भूरे और हरे शैवाल सहित विविध समुद्री शैवाल प्रजातियों के उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।

    और पढ़ें: समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने पर राष्ट्रीय सम्मेलन

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