न्यूट्रीनो | 25 Jul 2024

स्रोत: द हिंदू 

कण भौतिकी और खगोल भौतिकी में न्यूट्रिनो महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह एक मौलिक प्राथमिक कण है और वायुमंडलीय न्यूट्रिनो का अध्ययन तब किया जा सकता है जब सौर विकिरण पृथ्वी के वायुमंडल से टकराता है। 

न्यूट्रिनो: 

  • न्यूट्रिनो उप-परमाणु कण होते हैं जिनमें कोई विद्युत आवेश नहीं होता है, उनका द्रव्यमान छोटा होता है और वे लेफ्ट हैंडेड होते हैं (उनके घूमने की दिशा उनकी गति की दिशा के विपरीत होती है)। 
    • वे ब्रह्मांड में फोटॉन के बाद दूसरे सबसे प्रचुर कण हैं और पदार्थ बनाने वाले कणों में सबसे प्रचुर हैं। 
  • न्यूट्रिनो पदार्थ के साथ बहुत कम ही परस्पर क्रिया करते हैं, जिससे उनका अध्ययन करना मुश्किल हो जाता है।
  • न्यूट्रिनो एक प्रकार (इलेक्ट्रॉन-न्यूट्रिनो, म्यूऑन-न्यूट्रिनो, टाऊ-न्यूट्रिनो) से दूसरे प्रकार में बदल सकते हैं क्योंकि वे यात्रा करते हैं और अन्य कणों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जिसे न्यूट्रिनो दोलन कहा जाता है।
  • न्यूट्रिनो पदार्थ के साथ सीमित परस्पर क्रिया दर के कारण बड़ी दूरी तक सूचना ले जा सकते हैं। 
  • उन्हें संभावित रूप से सूचना प्रसारित करने के लिये प्रयोग किया जा सकता है, जो संचार चैनलों में विद्युत चुंबकीय तरंगों की जगह ले सकता है।
    • भौतिकविदों ने न्यूट्रिनो का अध्ययन करने और न्यूट्रिनो तथा डिटेक्टर के पदार्थ के बीच परस्पर क्रिया की संख्या को अधिकतम करने के लिये बड़े एवं संवेदनशील डिटेक्टर बनाए हैं। 
  • भारत की न्यूट्रिनो वेधशाला परियोजना को थेनी (तमिलनाडु) के पोट्टीपुरम गाँव में 1,200 मीटर गहरी गुफा में स्थापित करने का प्रस्ताव है।

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