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काॅम्ब जेली का रहस्यमय तंत्रिका तंत्र

  • 23 May 2023
  • 5 min read

काॅम्ब जेली या केटेनोफोरस प्राचीन समुद्री जंतु हैं, इनमें अद्वितीय विशेषताएँ पा जाती हैं, जिन्होंने वैज्ञानिक जिज्ञासा को प्रोत्साहित किया है। हाल के शोध में कॉम्ब जेली के तंत्रिका तंत्र के एक आश्चर्यजनक पहलू का पता चला है। 

काॅम्ब जेली:

  • कॉम्ब जेली समुद्री जंतु हैं जिन्होंने अपनी अद्वितीय विशेषताओं और विकासवादी इतिहास के कारण दशकों से वैज्ञानिकों को शोध हेतु आकर्षित किया है।
    • उनका जटिल तंत्रिका तंत्र उन्हें अन्य जंतुओं से अलग करता है और जंतु जगत की सबसे प्राचीन जीवित जंतुओं में से एक है।
  • यह पारदर्शी, जलचर हैं जो जल में अपने शरीर को आगे बढ़ाने के लिये लंबी सिलिअरी कोंब  प्लेट्स का उपयोग करते हैं।
    • यह आकार में कुछ मिलीमीटर से लेकर एक मीटर से अधिक लंबे होते हैं और उनके विविध आकार एवं रंग होते हैं। उनमें से कुछ बायोलुमिनेसेंस उत्पन्न कर सकते हैं, एक ऐसी घटना जिसमें जीवित जीव प्रकाश उत्सर्जित करते हैं।
  • यह फाइलम केटेनोफोरा से संबंधित है, जिसमें लगभग 200 प्रजातियाँ शामिल हैं। ये सभी महासागरों और सागरों में ध्रुवीय से लेकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों तक साथ ही उथले तटीय जल से लेकर गहरे समुद्र की खाइयों तक पाए जाते है ।
    • अपने शिकार को पकड़ने के लिये चिपचिपे स्पर्शक या ओरल लोब का उपयोग करते हुए प्लैंकटन, छोटी मछलियों और अन्य अकशेरुकी जीवों को खाते हैं।
      • अकशेरूकीय ऐसे जानवर हैं जिनके पास रीढ़ की हड्डी या कशेरुक स्तंभ नहीं है। 

कॉम्ब जेली नर्वस सिस्टम: 

  • अधिकांश जानवरों के विपरीत कॉम्ब जेली में मस्तिष्क नहीं होता है। इसके बजाय उनके पास एक तंत्रिका जाल होता है जिसमें उनके पूरे शरीर में परस्पर जुड़े हुए न्यूरॉन्स होते हैं।
    • तंत्रिका जाल विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करता है जैसे-  गति, भोजन, संवेदी धारणा और जैव प्रतिदीप्ति।
  • तंत्रिका जाल में न्यूरॉन्स सिनैप्टिक जंक्शनों से जुड़े नहीं होते हैं, जैसा कि किसी अन्य जानवर के तंत्रिका तंत्र में अपेक्षित है।
    • इसके बजाय वे जुड़े हुए हैं और एक सतत् झिल्ली साझा करते हैं, जिसे वैज्ञानिक सिंकेटियम कहते हैं। इसका मतलब है कि तंत्रिका कोशिकाओं के बीच कोई अंतराल नहीं है और विद्युत संकेत नेटवर्क के साथ स्वतंत्र रूप से प्रवाहित हो सकते हैं।
  • हालाँकि कॉम्ब जेली तंत्रिका तंत्र में सभी न्यूरॉन्स जुड़े हुए नहीं हैं। उनमें से कुछ अभी भी सिनैप्स के माध्यम से अन्य तंत्रिका कोशिकाओं से जुड़ते हैं।
    • इससे पता चलता है कि कॉम्ब जेली अपने तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संचार के दो अलग-अलग तरीकों का उपयोग करती हैं: एक सिनैप्टिक मोड (यानी बिना किसी अंतर्ग्रथन के) और एक सिन्सिटियल मोड।

नोट: सिनैप्स वे स्थान हैं जहाँ न्यूरॉन्स एक-दूसरे से जुड़ते और संचार करते हैं। प्रत्येक न्यूरॉन में कुछ सैकड़ों हज़ारों सिनैप्टिक कनेक्शन होते हैं और ये कनेक्शन स्वयं के साथ या नज़दीकी न्यूरॉन्स के साथ या मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों में न्यूरॉन्स के साथ हो सकते हैं।

  • कॉम्ब जेली में सिंकेटिया की खोज का तंत्रिका-तंत्र और न्यूरॉन्स के विकास को समझने के लिये गंभीर प्रभाव प्रकट करता है।
    • यह पारंपरिक दृष्टिकोण को चुनौती देता है कि तंत्रिका संचार के लिये सिनैप्स आवश्यक हैं और साथ ही वे सभी जानवरों के सामान्य पूर्वज में केवल एक बार विकसित हुए हैं।

स्रोत: द हिंदू

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