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म्यूनिसिपल बॉण्ड

  • 24 Mar 2025
  • 2 min read

स्रोत: बिज़नेस लाइन

शहरी बुनियादी ढाँचे के लिये वित्तपोषण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत, म्यूनिसिपल बॉण्ड को भारत में ज़्यादा लोकप्रियता नहीं मिली है।

  • बॉण्ड ऋण उपकरण हैं जहाँ निवेशक आवधिक ब्याज और परिपक्वता पर मूलधन के पुनर्भुगतान के बदले जारीकर्त्ताओं को पैसा उधार देते हैं।
    • इसमें ट्रेजरी, म्यूनिसिपल, कॉर्पोरेट, फ्लोटिंग रेट, ज़ीरो-कूपन, परिवर्तनीय, मुद्रास्फीति-संरक्षित बॉण्ड आदि शामिल हैं।

Trends_In_Municipal_Bonds_Issuance

म्यूनिसिपल बॉण्ड: बुनियादी ढाँचे और विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये शहरी स्थानीय निकायों (ULB) द्वारा जारी किये गए ऋण उपकरण।

  • लाभ: सरकारी निधियों पर निर्भरता कम करना, वित्तीय स्वायत्तता बढ़ाना, निजी निवेश आकर्षित करना तथा दीर्घकालिक शहरी वित्तपोषण को सक्षम करना।
  • चुनौतियाँ: राज्य अनुदान पर अत्यधिक निर्भरता के कारण कम निर्गम (वित्त वर्ष 24 में राजस्व का 38%)। पुणे, अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद और लखनऊ जैसे कुछ ही शहरों ने बॉण्ड जारी किये हैं।
  • व्यय पैटर्न (वित्त वर्ष 18-वित्त वर्ष 25): बॉण्ड के माध्यम से नगरपालिकाओं द्वारा संगृहीत अधिकांश धनराशि शहरी जलापूर्ति और सीवरेज के लिये आवंटित की गई, उसके बाद नवीकरणीय ऊर्जा और नदी विकास के लिये आवंटित की गई।

  • शहरी स्थानीय निकायों के वित्त को सुदृढ़ बनाना, विनियमनों को सरल बनाना, तथा ऋण वृद्धि उपायों को लागू करना, म्यूनिसिपल बॉण्ड को अपनाने को बढ़ावा दे सकता है, तथा द्वितीयक बाज़ार का विकास करना तथा कर प्रोत्साहन प्रदान करना निवेशकों को आकर्षित करेगा।

और पढ़ें: भारत में शहरी स्थानीय शासन, बॉण्ड यील्ड  

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