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मिनिमल-जीनोम कोशिकाओं का सामान्य कोशिकाओं की भाँति तेज़ी से विकसित होना

  • 05 Sep 2023
  • 8 min read

स्रोत: द हिंदू 

इंडियाना यूनिवर्सिटी, ब्लूमिंगटन के शोधकर्ताओं ने मिनिमल/न्यूनतम जीनोम (जीन का सबसे छोटा सेट जो किसी जीव के जीवित रहने और प्रजनन के लिये आवश्यक होता है) वाली कोशिकाओं की विकासवादी क्षमता पर प्रकाश डाला है।

  • नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि कैसे केवल आवश्यक जीन से अलग कोशिकाएँ आनुवंशिक लचीलेपन और उत्परिवर्तन दर की पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देते हुए अनुकूलित एवं विकसित हो सकती हैं।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:

  • अध्ययन माइकोप्लाज़्मा मायकोइड्स के संश्लेषित न्यूनतम-कोशिका संस्करण पर केंद्रित है, एक जीवाणु प्रजाति जो बकरियों और मवेशियों में श्वसन रोग का कारण बन सकती है।
    • इस न्यूनतम संस्करण में 901 जीन वाले गैर-न्यूनतम स्ट्रेन के विपरीत केवल 493 आवश्यक जीन हैं तथा यह अध्ययन 300 दिनों से अधिक समय तक चला था।
    • माइकोप्लाज़्मा मायकोइड्स में किसी भी कोशिकीय जीव के लिये उच्चतम दर्ज की गई उत्परिवर्तन दर है।
  • न्यूनतम आवश्यक जीन वाली कोशिकाएँ सामान्य कोशिकाओं की तुलना में तेज़ी से अनुकूलन और विकास कर सकती हैं।
  • कम आनुवंशिक सामग्री के बावजूद न्यूनतम कोशिकाओं ने गैर-न्यूनतम कोशिकाओं के समान उत्परिवर्तन दर प्रदर्शित की।
    • जीनोम न्यूनीकरण ने न्यूनतम कोशिकाओं की अनुकूलन की दर में बाधा नहीं डाली।
  • न्यूनतम कोशिकाओं के विकास को समझना संश्लेषित जीव विज्ञान जैसे क्षेत्रों से संबंधित है, जहाँ शोधकर्ता चिकित्सा और ईंधन उत्पादन में अनुप्रयोगों के लिये जीवों को डिज़ाइन करने हेतु इंजीनियरिंग सिद्धांतों को नियोजित करते हैं।
    • इस अध्ययन से पता चलता है कि संशोधित कोशिकाएँ स्थिर नहीं होती हैं; वे विकास से गुज़रती हैं, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि विकास की अपरिहार्य शक्तियों का सामना करते समय संश्लेषित जीव कैसे अनुकूलित हो सकते हैं।
  • जीन: 
    • जीन, डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid- DNA) का एक खंड है जो एक विशिष्ट प्रोटीन या फंक्शन के लिये कोड करता है। जीन आनुवंशिकता की मूल इकाइयाँ हैं तथा इन्हें माता-पिता से विरासत में प्राप्त किया जाता है या पर्यावरणीय कारकों द्वारा उत्परिवर्तित किया जा सकता है।
  • जीन उत्परिवर्तन:
    • जीन उत्परिवर्तन किसी जीन के DNA अनुक्रम में परिवर्तन है जो उसके कार्य या अभिव्यक्ति को प्रभावित कर सकता है।
    • जीन उत्परिवर्तन DNA प्रतिकृति के दौरान त्रुटियों, विकिरण या रसायनों के संपर्क या अन्य कारकों के कारण हो सकता है।
  • जीनोम:
    • किसी जीव का जीनोम उसकी आनुवंशिक सामग्री का संपूर्ण सेट होता है।
  • आनुवंशिक अनुक्रमण:
    • यह DNA या RNA अणु में न्यूक्लियोटाइड या बेस (A, G, C और T) के क्रम को निर्धारित करने की प्रक्रिया है।
  • जीनोम एडिटिंग:
  • यह एक प्रकार की जेनेटिक इंजीनियरिंग है जिसमें किसी जीवित जीव के जीनोम में DNA डाला जाता है, हटाया जाता है, संशोधित किया जाता है या प्रतिस्थापित किया जाता है।
  • आनुवंशिक संशोधन:
  • यह एक अलग जीव के DNA के तत्त्वों को शामिल करके किसी जीव, जैसे कि जीवाणु, पौधे या जानवर के DNA को बदलने की प्रक्रिया है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले ‘जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सीक्वेंसिंग)’ की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017)

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकाें का अभिज्ञान करने हेतु जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को घटाने में मदद करती है।
  3. इसका प्रयोग फसलों में पोषी-रोगाणु संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: D

व्याख्या:

  • चीनी वैज्ञानिकों ने वर्ष 2002 में चावल के जीनोम को डीकोड किया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने पूसा बासमती- 1 और पूसा बासमती- 1121 जैसी चावल की बेहतर किस्मों को विकसित करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया, जो वर्तमान में भारत के चावल निर्यात में बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान देती हैं। कई ट्रांसजेनिक किस्में भी विकसित की गई हैं, जिनमें कीट प्रतिरोधी कपास, शाकनाशी सहिष्णु सोयाबीन तथा वायरस प्रतिरोधी पपीता शामिल हैं। अतः 1 सही है।
  • पारंपरिक प्रजनन में पादप प्रजनक अपने खेतों की जाँच करते हैं और ऐसे पौधों की खोज करते हैं जो वांछनीय लक्षण प्रदर्शित करते हैं। ये लक्षण उत्परिवर्तन नामक प्रक्रिया के माध्यम से अनायास उत्पन्न होते हैं, लेकिन उत्परिवर्तन की प्राकृतिक दर उन सभी पौधों के गुणों को उत्पन्न करने के लिये  बहुत धीमी तथा अविश्वसनीय है। हालाँकि जीनोम अनुक्रमण में कम समय लगता है, इसलिये यह अधिक बेहतर है। अतः 2 सही है।
  • रोगाणु अथवा वायरस द्वारा आणविक, सेलुलर, जीव अथवा जनसंख्या स्तर पर मेज़बान जीवों के भीतर खुद को बनाए/कायम रखने की क्रिया को मेज़बान-रोगजनक अंतः क्रिया कहते हैं। जीनोम अनुक्रमण एक फसल के संपूर्ण DNA अनुक्रम का अध्ययन करने में सक्षम बनाता है, इस प्रकार यह रोगजनकों के अस्तित्व या प्रजनन क्षेत्र को समझने में सहायता करता है। अतः 3 सही है।

अतः विकल्प (D) सही उत्तर है।

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