रैपिड फायर
राजनेताओं के लिये स्मारक
- 02 Jan 2025
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स्रोत: द हिंदू
हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर किया गया, जो कि पहले से तय स्थानों पर दाह संस्कार करने एवं उसके बाद स्मारक स्थापित करने की परंपरा से अलग है।
- नियम और परंपराएँ: हालांकि पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिये स्मारक बनाने के संबंध में कोई विशिष्ट नियम नहीं हैं लेकिन आमतौर पर उनका अंतिम संस्कार निर्धारित स्थलों पर ही किया जाता है तथा उनमें से अधिकांश के स्मारक दिल्ली या अन्यत्र हैं।
- स्मारकों की उत्पत्ति और विरासत: राजनेताओं के स्मारक स्थल के रूप में राजघाट (महात्मा गांधी) का काफी महत्त्व है यह स्थल शांति एवं राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
- जवाहरलाल नेहरू (शांति वन), लाल बहादुर शास्त्री (विजय घाट), इंदिरा गांधी (शक्ति स्थल) और अटल बिहारी वाजपेयी (स्मृति स्थल) जैसे नेताओं के संदर्भ में विरासतों के प्रतीक के रूप में स्मारकों की परंपरा का पालन किया गया।
- राजनीतिक विचारधाराएँ: स्मारक अक्सर राजनीतिक विचारधाराओं को दर्शाते हैं, उदाहरण के लिये, पीवी नरसिम्हा राव की ज्ञान भूमि की स्थापना वर्तमान NDA सरकार द्वारा की गई थी जिसे पहले काॅन्ग्रेस द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था, जबकि वीपी सिंह एकमात्र ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री हैं जिनका कोई स्मारक नहीं है।
- स्मारकों का रखरखाव: स्मारकों का रखरखाव मुख्य रूप से राज्य सरकारों, स्थानीय नगर पालिकाओं एवं कभी-कभी शहरी विकास मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।
- भारत में स्मारक और प्रतीकवाद: राजेंद्र प्रसाद (बिहार), बी.आर. अंबेडकर (मुंबई), मोरारजी देसाई (अहमदाबाद) और गुलजारीलाल नंदा- अंतरिम प्रधानमंत्री (अहमदाबाद)।
- स्मारक के नाम राजनेताओं की पहचान को दर्शाते हैं, जैसे शास्त्री जी का विजय घाट (जीत), इंदिरा जी का शक्ति स्थल (मज़बूती) एवं चरण सिंह का किसान घाट (किसान नेतृत्व)।
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