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सरोगेट के लिये मातृत्व अवकाश

  • 26 Jun 2024
  • 6 min read

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में सरकार ने सरोगेसी के माध्यम से जन्म लेने वाले शिशुओं के मामले में सरकारी कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) और अन्य लाभ प्रदान करने के लिये केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियमावली, 1972 में किये गए संशोधन को अधिसूचित किया।

  • इस पहल का उद्देश्य सरोगेसी के विकल्प का चयन करने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिये अवकाश नीतियों में मौजूदा कमियों में सुधार करना है।

अधिसूचित संशोधित नियमों के प्रावधान क्या हैं?

  • सरोगेट और कमीशनिंग माताओं के लिये मातृत्व अवकाश: संशोधन में उन महिला सरकारी कर्मचारियों के लिये 180 दिनों के मातृत्व अवकाश का प्रावधान किया गया है जिनके शिशु सरोगेसी के माध्यम से हुए हैं।
    • इसके अंतर्गत सरोगेट माँ और साथ ही कमीशनिंग माँ (इंटेंडेड मदर) जिनके दो से कम जीवित बच्चे हैं, दोनों को शामिल किया गया है।
  • कमीशनिंग पिताओं के लिये पितृत्व अवकाश: इस नई नियमावली में "कमीशनिंग पिता" (इंटेंडेड फादर के लिये भी 15 दिनों के पितृत्व अवकाश का प्रावधान किया गया है, जो सरकारी कर्मचारी हैं और जिनके दो से कम जीवित बच्चे हैं।
    • छुट्टी की प्रसुविधा को शिशु की जन्म तिथि से 6 माह के भीतर लिया जा सकता है।
  • कमीशनिंग माताओं के लिये चाइल्ड केयर लीव:
    • इसके अतिरिक्त, केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियमावली के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, ऐसी कमीशनिंग माँ जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, चाइल्ड केयर लीव यानी शिशु देखभाल अवकाश के लिये पात्र है।

सरोगेसी और संबंधित विनियमन क्या है?

  • परिचय:
    • यह एक ऐसी प्रथा है जिसमें एक महिला किसी इच्छित दंपत्ति के लिये बच्चे को जन्म देती है और जन्म के बाद उसे उन्हें सौंपने का इरादा रखती है।
    • इसे केवल परोपकारी उद्देश्यों के लिये या ऐसे दंपत्तियों के लिये अनुमति दी जाती है जो सिद्ध बांझपन या बीमारी से पीड़ित हैं।
    • बिक्री, वेश्यावृत्ति या किसी अन्य प्रकार के शोषण जैसे वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिये सरोगेसी निषिद्ध है।
    • सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुए बच्चे को दंपत्ति का जैविक (Biological) बच्चा माना जाएगा।
    • मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 2021 के प्रावधानों के अनुसार ऐसे भ्रूण का गर्भपात केवल सरोगेट मां और अधिकारियों की सहमति से ही किया जा सकता है।
  • मापदंड:
    • सरोगेसी का लाभ उठाने के लिये, दंपत्ति को कम से कम 5 साल तक विवाहित होना चाहिये, जिसमें पत्नी की आयु 25-50 वर्ष और पति की आयु 26-55 वर्ष के बीच होनी चाहिये।
    • जब तक बच्चा विकलांग या जानलेवा बीमारी से ग्रस्त न हो, तब तक उनका कोई जीवित बच्चा नहीं होना चाहिये।
    • दंपत्ति के पास पात्रता और अनिवार्यता के प्रमाण-पत्र भी होने चाहिये, जो बांझपन को साबित करते हों और सरोगेट बच्चे के पालन-पोषण और हिरासत के लिये न्यायालय का आदेश भी होना चाहिये।
    • इसके अतिरिक्त, इच्छुक दंपत्ति को सरोगेट माँ के लिये 16 महीने के लिये बीमा कवरेज़ प्रदान करना चाहिये।
  • सरोगेट माँ के लिये मानदंड:
    • वह दंपति का नज़दीकी रिश्तेदार होना चाहिये, विवाहित महिला होनी चाहिये और उसका अपना बच्चा भी हो, उसकी आयु 25-35 वर्ष हो तथा वह केवल एक बार सरोगेट बनी हो।
    • उसे सरोगेसी के लिये चिकित्सीय एवं मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य प्रमाणपत्र की भी आवश्यकता है।
  • विनियमन:
    • राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड तथा राज्य सरोगेसी बोर्ड, सरोगेसी क्लीनिकों को विनियमित करने के साथ-साथ उनके मानकों को लागू करने के लिये उत्तरदायी हैं।
    • यह अधिनियम व्यावसायिक सरोगेसी, भ्रूण बिक्री तथा सरोगेट माताओं अथवा बच्चों के शोषण या परित्याग जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाता है। उल्लंघन करने पर 10 वर्ष तक का कारावास या 10 लाख रुपए का ज़ुर्माना हो सकता है।

सरोगेसी से संबंधित कानून:

और पढ़ें: सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी, सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 2021

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. मानव प्रजनन प्रौद्योगिकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में "प्राक्केन्द्रिक स्थानांतरण ”(Pronuclear Transfer) का प्रयोग किस लिये होता है। (2020)

(a) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिये दाता शुक्राणु का उपयोग
(b) शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं का आनुवंशिक रूपांतरण
(c) स्टेम (Stem) कोशिकाओं का कार्यात्मक भ्रूूणों में विकास
(d) संतान में सूत्रकणिका रोगों का निरोध

उत्तर: (d)

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