रैपिड फायर
महाबोधि मंदिर
- 08 Apr 2025
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स्रोत:द हिंदू
अखिल भारतीय बौद्ध मंच (AIBF) के नेतृत्व में बौद्ध भिक्षुओं ने बोधगया के महाबोधि मंदिर (महाविहार) में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है और बोधगया मंदिर अधिनियम (BTA), 1949 को निरस्त करने की मांग की है।
अधिनियम के निम्नलिखित प्रावधान चर्चा में हैं:
- BTA ने हिंदुओं और बौद्धों के बराबर प्रतिनिधित्व वाली आठ सदस्यीय प्रबंधन समिति बनाई।
- इसने ज़िला मजिस्ट्रेट को पदेन अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
- चूँकि ज़िला मजिस्ट्रेट का पद पारंपरिक रूप से हिंदू बहुसंख्यकों का रहा है, इसलिये समिति में कार्यात्मक रूप से हिंदू बहुसंख्यक ही रहे।
- बौद्ध संस्थाएँ लंबे समय से महाबोधि मंदिर पर पूर्ण नियंत्रण की मांग कर रही हैं।
महाबोधि मंदिर:
- सम्राट अशोक ने बोधि वृक्ष की पूजा की और तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में महाबोधि मंदिर का निर्माण कराया।
- यह मंदिर पाल राजवंश के दौरान एक बौद्ध स्थल बना रहा और 629 ई. में चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने भी यहाँ का दौरा किया था।
- 13वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण के बाद इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म का पतन हो गया।
- वर्तमान मंदिर 5वीं-6वीं शताब्दी ई. (उत्तर गुप्त काल) का है; यह पूर्णतः ईंटों से निर्मित है।
- 1590 में एक हिंदू भिक्षु ने बोधगया मठ की स्थापना की और मंदिर को हिंदुओं के नियंत्रण में ले लिया।
- स्वतंत्रता के बाद, BTA (वर्ष 1949) ने हिंदू प्रमुख से नियंत्रण एक साझा प्रबंधन समिति को हस्तांतरित कर दिया।
- स्थापत्य विशेषताएँ: शिखर, वज्रासन (डायमंड थ्रोन), चैत्यगृह, आमलक, कलश, नक्काशीदार वेदिकाएँ बुद्ध प्रतिमाएँ, वोटिव स्तूप।
- सात पवित्र स्थलों में अनिमेषलोचन चैत्य, रत्नचक्र, कमल तालाब, अजपाल निग्रोध वृक्ष, रत्नघर चैत्य आदि शामिल हैं, ये बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के बाद के सात सप्ताह का प्रतीक है।
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