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कल्लकाडल

  • 04 Apr 2024
  • 6 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में कल्लकाडल (Kallakkadal) नाम की ऊँची समुद्री लहरों के कारण केरल के कई तटीय इलाकों के सैकड़ों घरों में पानी भर गया है।

  • लक्षद्वीप और तमिलनाडु तट अन्य क्षेत्र हैं जो अक्सर कल्लकाडल से प्रभावित होते हैं।

 कल्लकाडल क्या है?

  • परिचय:
    • कल्लकाडल का तात्पर्य प्री-मॉनसून सीज़न (अप्रैल-मई) के दौरान और कभी-कभी भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर मॉनसून के बाद की लहरों के कारण होने वाली तटीय बाढ़ से है।
    • स्थानीय मछुआरों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द कल्लकाडल दो मलयालम शब्दों से मिलकर बना है, जिनमें कल्लन और काडल शामिल हैं। कल्लन का अर्थ है ‘चोर’ और काडल का अर्थ है ‘समुद्र’, अर्थात् इसका अर्थ ‘समुद्र का चोर’ है।
  • कारण:
    • यह समुद्र की तेज़ लहरों से बनी होती है, जो तूफान या लंबे समय तक चलने वाली तीव्र तूफानी हवाओं (आमतौर पर हिंद महासागर के दक्षिणी भाग में) से उत्पन्न होती हैं।
    • ये तूफान, पवन ऊर्जा को जल में स्थानांतरित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक ऊँची लहरें बनती हैं। 
    • ये लहरें तूफान केंद्र से तटरेखा तक पहुँचने तक काफी दूरी तय कर सकती हैं।
    • कल्लकाडल की घटना पूर्ववर्ती या किसी भी प्रकार की स्थानीय पवन गतिविधि के बिना होती है और परिणामस्वरूप, तटीय आबादी के लिये अग्रिम चेतावनी प्राप्त करना बहुत मुश्किल हो गया है।
    • हालाँकि, वर्ष 2020 में भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) द्वारा शुरू की गई स्वेल सर्ज फोरकास्ट सिस्टम जैसी प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ सात दिन पहले ही पूर्व चेतावनी दे देती हैं।

कल्लकाडल सुनामी से भिन्न क्यों है?

  • वर्ष 2004 की सुनामी के बाद कल्लकाडल सुर्खियों में आया और प्रायः इसे सुनामी समझ लिया जाता है। हालाँकि, सुनामी सागरीय जल की गहराई में अशांति से उत्पन्न होने वाली विशालकाय लहरों की एक शृंखला है, जो आमतौर पर समुद्रतल में या उसके समीप होने वाले भूकंपों से संबद्ध होती है।
    • महासागरीय लहरों (जैसे कल्लकाडल) की तरंगदैर्ध्य केवल 30 अथवा 40 मीटर होती है जबकि सुनामी की तरंगदैर्घ्य अत्यधिक लंबी होती है जो सैकड़ों किलोमीटर लंबी भी हो सकती है।

भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS)

  • INCOIS पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences- MoES) के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक स्वायत्त संगठन है।
    • यह हैदराबाद में स्थित है और इसे वर्ष 1999 में स्थापित किया गया था।
    • यह पृथ्वी प्रणाली विज्ञान संगठन (ESSO), नई दिल्ली की एक इकाई है।
  • इसका कार्य व्यवस्थित और केंद्रित अनुसंधान का प्रयोग करते हुए निरंतर समुद्री अवलोकन तथा निरंतर सुधार के माध्यम से समाज, उद्योग, सरकारी अभिकरणों एवं वैज्ञानिक समुदाय को सर्वोत्तम संभव समुद्री जानकारी व सलाहकार सेवाएँ प्रदान करना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. जेट प्रवाह केवल उत्तरी गोलार्द्ध में होते हैं।  
  2. केवल कुछ चक्रवात ही केंद्र में वाताक्षि उत्पन्न करते हैं।   
  3. चक्रवाती की वाताक्षि के अंदर का तापमान आस-पास के तापमान से लगभग 10ºC कम होता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2 
(d) केवल 1 और 3

उत्तर: (c)


प्रश्न. भारत में एक ऐसा स्थान है, जहाँ यदि आप समुद्र किनारे खड़े होकर समुद्र का अवलोकन करें, तो आप पाएंगे कि दिन में दो बार समुद्री जल तटीय रेखा से कुछ किलोमीटर पीछे की ओर चला जाता है और फिर तट पर वापस आता है तथा जब जल पीछे हटा होता है, तब आप वास्तव में समुद्र तल पर चल सकते हैं। यह अनूठी घटना कहाँ देखी जाती है? 

(a) भावनगर में
(c) चाँदीपुर में
(b) भीमुनिपटनम में
(d) नागपट्टिनम में

उत्तर: C

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