प्रारंभिक परीक्षा
कला कुंभ-कलाकार कार्यशालाएँ
- 15 Jan 2022
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आज़ादी के अमृत महोत्सव के भव्य समारोह के हिस्से के रूप में संस्कृति मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय के सहयोग से स्क्रॉल पेंटिंग के लिये कला कुंभ कलाकार कार्यशालाओं का आयोजन किया।
- प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों के साथ महानिदेशक, एनजीएमए (नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट) ने स्क्रॉल पेंटिंग कार्यशालाओं के लिये संरक्षक के रूप में काम किया।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- इन कलाकृतियों का प्रमुख विषय भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के गुमनाम नायकों से संबंधित है।
- अन्य प्रख्यात कलाकारों और सुलेखकों की एक टीम के साथ बंगाल स्कूल के आधुनिक भारतीय कला के प्रमुख आचार्यों में से एक नंदलाल बोस द्वारा भारत के संविधान में दिये गए दृष्टांतों से भी प्रेरणा ली गई है।
- नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट:
- परिचय:
- यह एक राष्ट्रीय प्रमुख संस्थान है जिसकी स्थापना वर्ष 1954 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में की थी।
- NGMA देश के सांस्कृतिक लोकाचार का भंडार है और विभिन्न कला के क्षेत्रों में वर्ष 1857 से शुरू होकर पिछले डेढ़ सौ वर्षों के दौरान बदलते कला रूपों को प्रदर्शित करता रहा है।
- मुख्यालय: नई दिल्ली।
- नोडल मंत्रालय: इसे संस्कृति मंत्रालय के तहत चलाया और प्रशासित किया जाता है।
नंदलाल बोस (1882-1966)
- 3 दिसंबर, 1882 को बिहार के मुंगेर ज़िले में जन्मे नंदलाल बोस आधुनिक भारतीय कला के अग्रदूतों में से एक थे और प्रासंगिक आधुनिकतावाद ( Contextual Modernism) से संबंधित थे।
- बोस रवींद्रनाथ टैगोर के भतीजे अवनिंद्रनाथ टैगोर जो पांच वर्ष के लिये वर्ष 1910 तक इंडियन सोसाइटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट के प्रमुख कलाकार और निर्माता रहे के साथ ही बड़े हुए।
- टैगोर परिवार के साथ जुड़ाव और अजंता के भित्ति चित्रों ने एक राष्ट्रवादी चेतना, शास्त्रीय और लोक कला के प्रति प्रतिबद्धता के साथ-साथ इसकी अंतर्निहित आध्यात्मिकता और प्रतीकवाद के आदर्शवाद को जागृत किया।
- उनकी क्लासिक कृतियों में भारतीय पौराणिक कथाओं, महिलाओं और ग्रामीण जीवन के दृश्यों के चित्र शामिल हैं।
- बोस ने अपने कार्यों में मुगल और राजस्थानी परंपराओं तथा चीनी-जापानी शैली और तकनीकी का प्रयोग किया।
- बोस वर्ष 1922 में रवींद्रनाथ टैगोर के अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय शांति निकेतन में कला भवन (कला महाविद्यालय) के प्राचार्य बने।
- जब भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया जा रहा था तब कांग्रेस ने बोस को के संविधान के पन्नों को चित्रित करने का कार्य सौंपा, साथ ही उनके शिष्य राममनोहर बोस ने संविधान की मूल पांडुलिपि को सुशोभित और सजाने का काम संभाला।
- 16 अप्रैल, 1966 को कलकत्ता में उनका निधन हो गया।
- आज कई आलोचक उनके चित्रों को भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण आधुनिक चित्रों में से एक मानते हैं।
- वर्ष 1976 में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने "नौ कलाकारों" के बीच कार्यों की घोषणा की तथा इनके कार्यो को कलात्मक और सौंदर्य मूल्य के संबंध में कला के रूप में" जाना जाता था।