संयुक्त संसदीय समिति (JPC) | 25 May 2024
स्रोत: द हिंदू
भारत के मुख्य विपक्षी दल ने कुछ ऐसे दावों की जाँच के लिये एक संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee - JPC) के गठन का आह्वान किया है जिनके आधार पर अडानी समूह ने उच्च गुणवत्ता बताते हुए तमिलनाडु में एक सरकारी कंपनी को निम्न श्रेणी का कोयला बेचा है।
- JPC एक तदर्थ समिति है, जो किसी विशिष्ट विषय या विधेयक की गहन जाँच करने के लिये संसद द्वारा स्थापित की जाती है।
- इसमें दोनों सदनों के साथ-साथ सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के सदस्य शामिल होते हैं तथा इसकी अध्यक्षता लोकसभा के एक सदस्य (लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नियुक्त) द्वारा की जाती है।
- संसद JPC की संरचना निर्धारित करती है और सदस्यों की संख्या पर कोई सीमा निर्धारित नहीं है।
- समिति को कार्यकाल या कार्य पूरा करने के बाद भंग कर दिया जाता है।
- समिति की सिफारिशें सलाहकारी होती हैं और सरकार के लिये उनका पालन करना अनिवार्य नहीं है।
- हालाँकि, प्रवर समितियों और JPC के सुझाव, जिसमें सत्तारूढ़ दल के सांसदों तथा प्रमुखों का बहुमत होता है, मुख्य तौर पर स्वीकार किये जाते हैं।
- JPC के पास विशेषज्ञों, सार्वजनिक निकायों, संघों, व्यक्तियों या इच्छुक दलों से उनके अनुरोधों के जवाब में साक्ष्य एकत्रित करने का अधिकार है।
- ऐसे कुछ मामले जिनमें JPC का गठन किया गया उनमें शामिल हैं:
- बोफोर्स घोटाला (1987)
- हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाला (1992)
- केतन पारेख शेयर बाज़ार घोटाला (2001)
- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC, 2016)
- व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक (2019)
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